Class 10 Sanskrit Chapter 1 मंगलम पाठ का अर्थ Question Answer

Prabhakar
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Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer
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Class 10 Sanskrit Chapter 1 मंगलम पाठ का अर्थ Question Answer : Introduction

This article contains all VVI Question Answers (2 marks each) from Class 10th Sanskrit book "Piyusham Part-2" Chapter-1 “Mangalam”. This also contains the hindi meaning of Mangalam chapter.

Dear students, the team of NextGen Study (#1 Online Study Portal for Bihar Board Exams) has provided the Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer here. Before this you will see the hindi meaning of Mangalam chapter.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 1 प्रश्न उत्तर को पढ़ने से पहले आपको मंगलम पाठ का अर्थ जानना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि इस पाठ को हिन्दी में पढ़ने के पश्चात् ही आप इसमें लिखी बातों को अधिक आसानी से याद कर पाएँगे।
इसलिए आज हम सबसे पहले मंगलम पाठ का अर्थ हिन्दी में पढ़ेंगे और तत्पश्चात कक्षा 10 संस्कृत पाठ 1 प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


मंगलम पाठ का अर्थ (हिन्दी में)

संस्कृत विषय तब तक कठिन लगता हैं जब तक कि उसका हिन्दी अनुवाद हमें पता नहीं रहता। किसी भी पाठ का हिन्दी में अनुवाद करते ही वह हमें बहुत रोचक लगने लगता है। मङ्गलम् पाठ में विभिन्न उपनिषदों से संकलित मंत्रों का उल्लेख हैं। इसलिए हम इन मंत्रों का हिन्दी अनुवाद करते हुए इनके अर्थ को भी समझेंगे। परंतु इन सबसे पहले मंगलम पाठ की कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं।


कक्षा 10 संस्कृत पाठ 1 नोट्स

  • मङ्गलम् पाठ को उपनिषदों से संकलित किया गया है।
  • मङ्गलम् पाठ में पाँच पद्यात्मक मंत्र संकलित हैं।
  • मङ्गलम् पाठ के मंत्रों को उपनिषदों से लिया गया है।
  • मङ्गलम् पाठ में चार उपनिषदों से मंत्रों को संकलित किया गया है।
  • उपनिषद का शाब्दिक अर्थ ‘गुरु के समीप रहकर उपदेश ग्रहण करना’ है।
  • उपनिषदों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास है। अतः मङ्गलम् पाठ के रचनाकार भी महर्षि वेदव्यास है।
  • उपनिषद वैदिक वाङ्मय के अंतिम भाग है।
  • उपनिषद दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों को प्रकट करता है।
  • उपनिषदों में परमपुरुष परमात्मा की महिमा बताई गई है।
  • यह संपूर्ण संसार परमात्मा के द्वारा अनुशासित है।
  • परमात्मा ही तपस्वीयों का परम लक्ष्य है।

मंगलम पाठ का पहला मंत्र हिरण्यमयेन पात्रेण ..... का अर्थ

हिरण्यमयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।
तत्त्वम्   पूषन्नापावृणु   सत्यधर्माय  द्रृष्टये।।

भावार्थ: “हिरण्यमयेन पात्रेण ............ ।” श्लोक को ईशावास्योपनिषद (ईशावास्य उपनिषद) से लिया गया है। इस श्लोक (या मंत्र) में बताया गया है कि सत्य का मुख हिरण्यमय (स्वर्णमय, सोना जैसा) ज्योतिर्मय पात्र से ढँका हुआ है। इस पात्र से आती तीव्र ज्योती के कारण हमें सत्य दिखाई नहीं देता है। सत्य और धर्म की प्राप्ति के लिए सत्य के द्वार पर लगे हिरण्यमय (स्वर्णमय, सोना जैसा) ज्योतिर्मय पात्र को हटा देना चाहिए।


मङ्गलम् पाठ का दुसरा मंत्र अणोरणीयान ..... का अर्थ

अणोरणीयान महतोमहीयान आत्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम्।
तमक्रतु   पश्यति   वीतशोको    धातुप्रसादान्महिमानमात्मन:।।

भावार्थ: “अणोरणीयान ......... ।” श्लोक को कठोपनिषद (कठ् उपनिषद) से संकलित किया गया है। इस श्लोक (या मंत्र) में आत्मा के गूढ़ रहस्य की व्याख्या की गई है। इस श्लोक द्वारा बताया गया है कि जीवों (प्राणी) के ह्रदय रूपी गुफा में आत्मा का निवास होता है। यह आत्मा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म (अणु से भी अणु) और महान से भी महान होती है। ऐसा जानकर, जीव आत्मा शोकरहित होकर परमात्मा में विलीन हो जाती है।


मङ्गलम् पाठ का तीसरा मंत्र सत्यमेव जयते ..... का अर्थ

सत्यमेव  जयते   नानृतं   सत्येन   पन्था   विततो   देवयानः।
येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत् सत्यस्य परं निधानम्।।

भावार्थ: “सत्यमेव जयते ........ ।” श्लोक को मुण्डकोपनिषद (मुण्डक उपनिषद) से लिया गया है। इस श्लोक (या मंत्र) में सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है और बताया गया है कि सदा सत्य की विजय होती है। असत्य की विजय नहीं होती है। सत्य से ही परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त होता है। देवलोक में सत्य का खजाना है। अतः ऋषिगण अपने आत्म कल्याण के लिए सत्य के मार्ग का अनुसरण कर परम निधान (ईश्वर) को प्राप्त करते हैं।


मंगलम् पाठ का चौथा मंत्र यथा नद्यः स्यन्दमानाः ..... का अर्थ

यथा नद्यः  स्यन्दमानाः  समुद्रे-ऽस्तं  गछन्ति नामरूपे  विहाय।
तथा विद्वान नामरूपाद् विमुक्तः परात्परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।

भावार्थ: “यथा नद्यः स्यन्दमानाः .......... ।” श्लोक को मुण्डकोपनिषद से संकलित किया गया है। इस श्लोक (या मंत्र) में बताया गया है कि प्रवाहित होती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिल जाती है। अर्थात समुद्र में मिलने के बाद नदियाँ अपना अस्तित्व खो देती है। उसी प्रकार विद्वान (ज्ञानी) भी अपने नाम और रूप से मुक्त होकर दिव्य परम पुरुष परमात्मा में विलीन हो जाते हैं।


मंगलम् पाठ का पाँचवाँ मंत्र वेदाहमेतम् पुरुषं ..... का अर्थ

वेदाहमेतम् पुरुषं महान्तम् आदित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वाति मृत्युमेति  नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय।।

भावार्थ: मंगलम् पाठ का पाँचवा व अंतिम श्लोक “वेदाहमेतम् पुरुषं .........।” को श्वेताश्वरोपनिषद् (श्वेताश्वर उपनिषद्) से संकलित किया गया है। इस श्लोक (या मंत्र) हिन्दी अर्थ है – मैं अंधकार (अज्ञान) से परे सूर्य के रंग वाले (प्रकाश-स्वरूप) इस महान व्यक्ति को जानता हूं। केवल उसे जानने से ही व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है, इसके अलावा उस प्रकाशमान परमात्मा तक जाने का कोई अन्य मार्ग नहीं है।


मंगलम् पाठ के सभी पाँच श्लोकों का अर्थ समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी श्लोकों का भावार्थ समझ गए होंगे।

अब हम मंगलम् अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न और उनके उत्तर पढ़ेंगे। इससे आप मंगलम् पाठ के तथ्यों को और अधिक सरलता से समझ पायेंगे और परीक्षा में इनका answer भी दे सकेंगे।



Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer

In the annual board examination of Sanskrit subject, 16 short answer type questions are asked, in which 1 or 2 questions from the chapter “Mangalam” are definitely included. Out of these 16 questions, only 8 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 1 मंगलम् प्रश्न उत्तर


1. उपनिषदों का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर:- उपनिषद वैदिक वाङ्मय के अंतिम भाग है। उपनिषदों में परमपुरूष परमात्मा की महिमा बताई गई है। इनका मूल उद्देश्य परमात्मा की महिमा बताना और सत्य का ज्ञान कराना है।

2. हिरण्यमय पात्र से कौन ढंका है? ईश्वर से इस पात्र को हटाने की प्रार्थना क्यों की गई है?
उत्तर:- हिरण्यमय पात्र से सत्य का मुख ढँका है। सत्य और धर्म तत्त्व की प्राप्ति के लिए ईश्वर से इस पात्र को हटाने की प्रार्थना की गई है।

3. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप बताएँ?
उत्तर:- मङ्गलम् पाठ के प्रथम श्लोक में सत्य के स्वरूप का वर्णन किया गया है। सत्य का मुख सोने जैसे ज्योतिर्मय पात्र से ढँका हुआ है। इस पात्र से आती तीव्र ज्योती के कारण हमें सत्य दिखाई नहीं देता है। इसलिए सत्य और धर्म की प्राप्ति के लिए ईश्वर से सत्य के द्वार पर लगे इस हिरण्यमय (सोने जैसे) ज्योतिर्मय पात्र को हटा देने की प्रार्थना की गई है।

4. “मङ्गलम्” पाठ के आधार पर आत्मा के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:- “मङ्गलम्” पाठ के दुसरे श्लोक में आत्मा के स्वरूप का वर्णन किया गया है। इस श्लोक में आत्मा के स्वरूप के बारे में यह बताया गया है कि आत्मा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म और महान से भी महान है। यह प्राणियों के हृदय रूपी गुफा में निवास करती है। जीवों की आत्मा शोकरहित होकर अंततः परमात्मा में विलीन हो जाती है।

5. आत्मा का स्वरूप कैसा है और वह कहाँ रहती है?
उत्तर:- आत्मा का स्वरूप सूक्ष्म से भी सूक्ष्म और महान से भी महान है। यह आत्मा प्राणियों के हृदय रूपी गुफा में निवास करती है। अंततः यह शोकरहित होकर परमात्मा में विलीन हो जाती है

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Mangalam Question Answer


6. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता का वर्णन करें।
उत्तर:- महर्षि वेदव्यास ने सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए लिखा है कि सदा सत्य की विजय होती है, असत्य की नहीं। सत्य से ही परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त होता है। देवलोक में सत्य का खजाना है। अतः ऋषि गण अपने आत्म कल्याण के लिए सत्य के मार्ग का अनुसरण कर परमात्मा को प्राप्त करते हैं।

7. नदियाँ किस प्रकार से समुद्र में जाकर मिल जाती है?
उत्तर:- बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात अपने अस्तित्व का त्याग करके समुद्र में जाकर मिल जाती है।

8. विद्वान क्या छोड़कर परमात्मा के पास जाते हैं?
उत्तर:- विद्वान अपने नाम और रूप अर्थात अपने अस्तित्व को छोड़कर परमात्मा के पास जाते हैं।

9. नदी और विद्वान में क्या समानता है?
उत्तर:- बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात अस्तित्व को छोड़कर समुद्र में मिल जाती है। ठीक उसी प्रकार विद्वान लोग अपने नाम और रूप अर्थात अस्तित्व को छोड़कर परमात्मा में विलीन हो जाते हैं। नदी और विद्वान में यही समानता है।

कक्षा 10 संस्कृत पाठ 1 मंगलम् प्रश्न उत्तर


10. महान लोग संसार रूपी सागर को कैसे पार करते हैं?
उत्तर:- अंधकार के उस पार सूर्य के वर्ण वाले (अर्थात प्रकाशमान) परमपुरुष परमात्मा रहते हैं। ऐसा जानने वाले महान लोग मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर लेते है, अर्थात वे इस संसार रूपी सागर को पार करते हैं। इसके अलावा संसार रूपी सागर को पार करने का कोई मार्ग नहीं है।

11. मृत्यु पर विजय कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:- अंधकार के उस पार सूर्य के वर्ण वाले (अर्थात प्रकाशमान) परमपुरुष परमात्मा रहते हैं। मृत्यु के बाद आत्मा उस परमात्मा में विलीन हो जाती है। ऐसा जानकर मृत्यु पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।

12. विद्वान मृत्यु को कैसे पराजित करते हैं?
उत्तर:- अंधकार के उस पार सूर्य के वर्ण वाले (अर्थात प्रकाशमान) परमपुरुष परमात्मा रहते हैं। मृत्यु के बाद आत्मा उस परमात्मा में विलीन हो जाती है। यह जानकार विद्वान मृत्यु को पराजित करते हैं।

Mangalam Chapter Question Answer pdf


13. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में वर्णन करें।
उत्तर:- मङ्गलम् पाठ को उपनिषदों से संकलित किया गया है जिसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास है। इस पाठ के पहले श्लोक में सत्य के स्वरूप का वर्णन किया गया है। दुसरे श्लोक में आत्मा का स्वरूप बताया गया है। तीसरे श्लोक में सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए परमात्मा को प्राप्त करने का उपाय बताया गया है। चौथे श्लोक में अपने नाम और रूप को भी त्याग कर परमात्मा में मिलने की प्रेरणा दी गई है। अंतिम और पाँचवे श्लोक में मृत्यु को पराजित कर संसार रूपी सागर को पार करने का उपाय बताया गया है।

14. मङ्गलम् पाठ के किसी एक मंत्र को साफ-साफ शब्दों में लिखें।
उत्तर:- मङ्गलम् पाठ का एक मंत्र निम्नलिखित है –
यथा नद्यः  स्यन्दमानाः  समुद्रे-ऽस्तं  गछन्ति नामरूपे  विहाय।
तथा विद्वान नामरूपाद् विमुक्तः परात्परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।
---------- इति समाप्तम् ----------
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