
नलिन विलोचन शर्मा का जीवन परिचय और विष के दाँत पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य: Introduction
In this article, the biography of Nalin Vilochan Sharma and his works have been described according to Class 10th Godhuli (Prose) Chapter-2 “Vish Ke Daant”. Also some important sentences from that chapter are included here. All these will help you to solve objective questions easily.
Dear students, यहाँ “नलिन विलोचन शर्मा का जीवन परिचय और विष के दाँत पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य” के अन्तर्गत आपके हिन्दी विषय (गोधूलि भाग-2) के गद्यखंड के अध्याय “विष के दाँत” से सभी महत्वपूर्ण वाक्यों को संकलित कर प्रकाशित किया गया है। साथ ही नलिन विलोचन शर्मा का जीवन परिचय का संक्षिप्तीकरण सरल शब्दों में दिया गया है।
तो चलिए आज हम सबसे पहले गोधूलि भाग-2 अनुसार नलिन विलोचन शर्मा का परिचय एवं उनकी रचनाओं आदि की जानकारी लेते हैं और तत्पश्चात “विष के दाँत” के महत्वपूर्ण वाक्यों को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
नलिन विलोचन शर्मा का जीवन परिचय
‘विष के दाँत’ शीर्षक पाठ के लेखक नलिन विलोचन शर्मा है। यहाँ पर उनके जन्म, शिक्षा, कार्य, उपलब्धियाँ, व्यक्तित्व, रचनाएँ आदि के बारे में बताया गया है। ये जानकारी वैकल्पिक प्रश्नों को हल करने के लिए बहुत उपयोगी है। नलिन विलोचन शर्मा का व्यक्ति-परिचय पाठ्य पुस्तिका के अनुसार निम्नलिखित है।
विष के दाँत के लेखक कौन है
विष के दाँत के लेखक नलिन विलोचन शर्मा है। वे हिन्दी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक और नवीन शैली के आलोचक थे।
नलिन विलोचन शर्मा के जीवन के महत्वपूर्ण तथ्य
नलिन विलोचन शर्मा की शिक्षा
नलिन विलोचन शर्मा के कार्य
सेवा:- नलिन विलोचन शर्मा हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, आरा, राँची विश्वविद्यालय और पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे।
विशेष कार्यकाल:- नलिन विलोचन शर्मा 1959 में पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने और मृत्युपर्यन्त इस पद पर कार्यरत रहे।
नलिन विलोचन शर्मा की उपाधि
- हिन्दी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक
- आधुनिक शैली के आलोचक
नलिन विलोचन शर्मा की प्रमुख रचनाएँ:-
- दृष्टिकोण
- साहित्य का इतिहास दर्शन
- मानदंड
- हिन्दी उपन्यास – विशेषतः प्रेमचंद
- साहित्य तत्त्व और आलोचना
- विष के दाँत और अन्य कहानियाँ
- नकेन के प्रपद्य
- नकेन – दो
- सदल मिश्र ग्रंथावली
- अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ
- संत परंपरा और साहित्य
नलिन विलोचन शर्मा के लेखन की विशेषता
- आलोचकों के अनुसार, “प्रयोगवाद” का वास्तविक प्रारंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ।
- नलिन विलोचन शर्मा की कहानियों में मनोवैज्ञानिकता के तत्त्व समग्रता से उभरकर आए।
- नलिन विलोचन शर्मा आलोचना मे आधुनिक शैली के समर्थक थे। वे कथ्य, शिल्प, भाषा आदि सभी स्तरों पर नवीनता के आग्रही लेखक थे।
- नलिन विलोचन शर्मा ने अनेक पुराने शब्दों को नया जीवन दिया, जो आधुनिक साहित्य में पुनः प्रतिष्ठित हुए।
विष के दाँत पाठ का स्त्रोत
अध्याय ‘विष के दाँत’ नलिन विलोचन शर्मा के प्रसिद्ध कहानी संग्रह ‘विष के दाँत तथा अन्य कहानियाँ’ से लिया गया है। यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है।
विष के दाँत पाठ का सार
“विष के दाँत” एक व्यंग्यात्मक कहानी है। इस कहानी में दो परिवारों की चर्चा हुई है। एक ओर उच्च मध्यवर्गीय सेन परिवार है, जो अपने महत्वकांक्षा और सफेदपोशी के पीछे लिंग-भेद एवं सामाजिक भेदभाव जैसे कुसंस्कारों को छिपाए हुए है। दूसरी ओर नौकरीपेशा निम्न मध्यवर्गीय गिरधर पर थोपी गई बंदिशें, उसकी बहादुरी, साहस और संघर्ष को दिखाया गया है। वह अपनी नौकरी बचाए रखने के लिए सेन साहब की उलाहना सुनता है और अपने बच्चे को पीटता है। यह कहानी सामाजिक भेदभाव, लिंग-भेद और आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यहाँ पर नलिन विलोचन शर्मा का परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी पूर्ण हुई। आशा है कि आप नलिन विलोचन शर्मा के जीवन से परिचित हो गए होंगे और उनके कार्यों और रचनाओं को याद कर लिए होंगे।
अब हम “विष के दाँत” पाठ से कुछ महत्वपूर्ण वाक्यों का अध्ययन कर याद करने का प्रयास करेंगे।
विष के दाँत पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य
आपके हिन्दी विषय की बोर्ड परीक्षा में कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न इस प्रकार पूछे जाते हैं – एक वाक्य दिया जाता है और प्रश्न किया जाता है कि ‘यह किस पाठ की पंक्ति है?’ अतः विष के दाँत पाठ के महत्वपूर्ण वाक्यों को याद करना आवश्यक हो जाता है।
विष के दाँत पाठ के नोट्स
1. लड़कियाँ तो पाँचो बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरी सो भी लड़कियाँ, तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
2. मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे इसकी पूरी आजादी रहेगी।
3. ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं।
Class 10 Hindi Chapter 2 Notes
4. हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
5. यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी।
6. महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में अक्सर महलवाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में, जब दूसरे झोपड़ीवाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।