
श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य और भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय : Introduction
In this article, the biography of Bhimrao Ambedkar and his works have been described according to Class 10th Godhuli (Prose) Chapter-1 “Shram Vibhajan Aur Jati-Pratha”. Also some important sentences from that chapter are included here. All these will help you to solve objective questions easily.
Dear students, यहाँ श्रम विभाजन और जाति प्रथा के महत्वपूर्ण वाक्य और भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय के अन्तर्गत आपके हिन्दी विषय (गोधूलि भाग-2) के गद्यखंड के अध्याय “श्रम विभाजन और जाति प्रथा” से सभी महत्वपूर्ण वाक्यों को संकलित कर प्रकाशित किया गया है। साथ ही बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय का संक्षिप्तीकरण सरल शब्दों में दिया गया है।
तो चलिए आज हम सबसे पहले गोधूलि भाग-2 अनुसार भीमराव अम्बेडकर का परिचय एवं उनकी रचनाओं आदि की जानकारी लेते हैं और तत्पश्चात “श्रम विभाजन और जाति प्रथा” के महत्वपूर्ण वाक्यों को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
श्रम विभाजन और जाति प्रथा के लेखक कौन है
भीमराव अम्बेडकर के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ
जन्म-स्थान :- महू, मध्यप्रदेश
पारिवारिक पृष्ठभूमि :- इनका जन्म एक दलित परिवार में हुआ था।
निधन :- दिसंबर, 1956
निधन-स्थान :- दिल्ली
भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा
भीमराव अम्बेडकर ‘बड़ौदा नरेश’ के प्रोत्साहन पर उच्चतर शिक्षा के लिए पहले न्यूयॉर्क (अमेरिका) और फिर लंदन (इंग्लैंड) गए।
विशेष अध्ययन :- संस्कृत का धार्मिक, पौराणिक और पूरा वैदिक वाङ्मय अनुवाद के जरिए पढ़ा।
भीमराव अम्बेडकर की वैयक्तिक विशेषता
भीमराव अम्बेडकर इतिहास मीमांसक, विधिवेत्ता (कानून के जानकार), अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, शिक्षाविद् तथा धर्म-दर्शन के व्याख्याता थे। वे अपने समय के सबसे सुपठित जनों में से एक थे।
भीमराव अम्बेडकर के चिंतन व रचनात्मकता के तीन प्रेरक व्यक्ति
भीमराव अम्बेडकर के चिंतन व रचनात्मकता के तीन प्रेरक व्यक्ति रहे हैं – बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फुले।
भीमराव अम्बेडकर को दी गई उपाधि
भीमराव अम्बेडकर को ‘संविधान निर्माता’ की उपाधि दी गई। उन्हें ‘मानव मुक्ति के पुरोधा’ कहा जाता है।
भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य
भीमराव अम्बेडकर ने समाज और राजनीति में बेहद सक्रिय भूमिका निभाते हुए अछूतों, स्त्रियों और मजदूरों को मानवीय अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए अथक संघर्ष किया। इसके साथ ही भारत के संविधान निर्माण में महान भूमिका निभाई।
भीमराव अम्बेडकर की प्रमुख रचनाएँ एवं भाषण
- द कास्ट्स इन इंडिया : देयर मैकेनिज्म
- जेनेसिस एंड डेवलपमेंट
- द अनटचेबल्स
- हू आर दे
- हू आर शूद्राज
- बुद्धिज्म एण्ड कम्युनिज्म
- बुद्धा एण्ड हिज धम्मा
- थॉट्स ऑन लिंग्युस्टिक स्टेट्स
- द राइज एण्ड फॉल ऑफ द हिंदू वीमेन
- एनीहिलेशन ऑफ कास्ट
श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ का स्त्रोत
अध्याय ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ एक निबंध है और भीमराव अंबेडकर के विख्यात भाषण ‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ के हिंदी रूपांतरण ‘जाति-भेद का उच्छेद’ से लिया गया है।
‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का विख्यात भाषण था, जिसे उन्होंने बाद में पुस्तक का रूप दे दिया। इस भाषण को ‘जाति-पाति तोड़क मंडल’ के वार्षिक सम्मेलन (लाहौर, 1936) के अध्यक्षीय भाषण के रूप में तैयार किया गया था।
‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ का हिंदी रूपांतरण ललई सिंह यादव ने ‘जाति-भेद का उच्छेद’ नाम से किया है।

यहाँ पर भीमराव अम्बेडकर का परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी पूर्ण हुई। आशा है कि आप भीमराव अम्बेडकर के जीवन से परिचित हो गए होंगे और उनके कार्यों और रचनाओं को याद कर लिए होंगे।
अब हम श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ से कुछ महत्वपूर्ण वाक्यों का अध्ययन कर याद करने का प्रयास करेंगे।
श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य
आपके हिन्दी विषय की बोर्ड परीक्षा में कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न इस प्रकार पूछे जाते हैं – एक वाक्य दिया जाता है और पूछा जाता है कि ‘यह किस पाठ की पंक्ति है?’ अतः श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के महत्वपूर्ण वाक्यों को याद करना आवश्यक हो जाता है।
Class 10 Hindi Chapter 1 Notes
1. आधुनिक सभ्य समाज ‘कार्य कुशलता’ के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है और चूँकि जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दुसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।
2. कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशा या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके।
3. जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशे में बाँध देती है।
4. आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं है जितनी यह कि बहुत से लोग ‘निर्धारित’ कार्य को ‘अरुचि’ के साथ केवल विवशतावश करते हैं।
श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के नोट्स
5. मेरा उत्तर होगा कि मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृत्व पर आधारित होगा।
6. किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सके।
7. तात्पर्य यह कि दूध-पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है, और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।
8. लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलतः सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम हैं।