मैक्समूलर का जीवन परिचय और भारत से हम क्या सीखें पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य

Prabhakar
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Max Muller
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मैक्समूलर का जीवन परिचय और भारत से हम क्या सीखें पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य: Introduction

In this article, the biography of Nalin Vilochan Sharma and his works have been described according to Class 10th Godhuli (Prose) Chapter-3 “Bharat Se Ham Kya Seekhen”. Also some important sentences from that chapter are included here. All these will help you to solve objective questions easily.


Dear students, यहाँ “मैक्समूलर का जीवन परिचय और भारत से हम क्या सीखें पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य” के अन्तर्गत आपके हिन्दी विषय (गोधूलि भाग-2) के गद्यखंड के अध्याय “भारत से हम क्या सीखें” से सभी महत्वपूर्ण वाक्यों को संकलित कर प्रकाशित किया गया है। साथ ही मैक्समूलर का जीवन परिचय का संक्षिप्तीकरण सरल शब्दों में दिया गया है।

तो चलिए आज हम सबसे पहले गोधूलि भाग-2 के अनुसार मैक्समूलर का परिचय एवं उनकी रचनाओं आदि की जानकारी लेते हैं और तत्पश्चात “भारत से हम क्या सीखें” के महत्वपूर्ण वाक्यों को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


मैक्समूलर का जीवन परिचय

‘भारत से हम क्या सीखें’ शीर्षक पाठ के लेखक मैक्समूलर है। यहाँ पर उनके जन्म, शिक्षा, कार्य, उपलब्धियाँ, व्यक्तित्व, रचनाएँ आदि के बारे में बताया गया है। ये जानकारी वैकल्पिक प्रश्नों को हल करने के लिए बहुत उपयोगी है। मैक्समूलर का व्यक्ति-परिचय पाठ्य पुस्तिका के अनुसार निम्नलिखित है।

मैक्समूलर के जीवन के महत्वपूर्ण तथ्य

जन्म:- 06 दिसंबर 1823 ई०
जन्म-स्थान:- डेसाऊ, जर्मनी
पूरा नाम:- फ्रेड्रिक मैक्समूलर

पिता का नाम:- विल्हेल्म मूलर
विशेष:- जब मैक्समूलर चार वर्ष के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था।

निधन:- 28 अक्टूबर, 1900

मैक्समूलर की शिक्षा

स्कूली शिक्षा:- बचपन में ही वे संगीत के अतिरिक्त ग्रीक और लैटिन भाषा में निपुण हो गए थे और लैटिन भाषा में कविताएँ भी लिखने लगे थे।

उच्च शिक्षा:- 18 वर्ष की उम्र में मैक्समूलर ने लिपजिंग विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्ययन आरंभ कर दिया था।

विशेष-शिक्षा:- बचपन में ही संगीत के अतिरिक्त ग्रीक और लैटिन भाषा में निपुण हो गये तथा लैटिन में कविताएँ भी लिखने लगे।


मैक्समूलर की प्रमुख (भारतीय) रचनाएँ

मैक्समूलर ने ‘हितोपदेश’ का जर्मन भाषा में अनुवाद प्रकाशित करवाया। इसके साथ ही ‘कठ और केन’ आदि उपनिषदों का जर्मन भाषा में अनुवाद किया। कालिदास द्वारा रचित ‘मेघदूतम्’ का उन्होंने जर्मन भाषा में पद्यानुवाद किया।


मैक्समूलर की उपाधियाँ

स्वामी विवेकानंद ने मैक्समूलर को ‘वेदांतियों का वेदांती’ कहा। इनके भाषण से प्रभावित होकर साम्राज्ञी विक्टोरिया ने उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि दी। परंतु मैक्समूलर ने इस उपाधि को अस्वीकार कर दिया था।


मैक्समूलर के जीवन की विशेष घटना

मैक्समूलर के प्रकांड पांडित्य से प्रभावित होकर साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 1868 ई० में उन्हें अपने ओस्बॉर्न प्रासाद में ऋग्वेद और संस्कृत के साथ यूरोपियन भाषाओं की तुलना आदि विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था। उनके भाषण से प्रभावित होकर साम्राज्ञी विक्टोरिया ने उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि प्रदान कर दी। परंतु मैक्समूलर को यह पदवी अत्यंत तुच्छ लगी और उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया।


मैक्समूलर के व्यक्तित्व की विशेषता

मैक्समूलर भारतभक्त, संस्कृतानुरागी एवं वेदों के प्रति अगाध आस्था रखने वाले व्यक्ति थे। वे उन थोड़े-से पाश्चात्य विद्वानों में अग्रणी माने जाते हैं, जिन्होंने वैदिक तत्त्वज्ञान को मानव सभ्यता का मूल स्रोत माना।


भारत से हम क्या सीखें पाठ की विशेषताएँ

अध्याय ‘भारत से हम क्या सीखें’ मैक्समूलर द्वारा नवांगतुक युवा अँग्रेज अधिकारियों को (स्वाधीनता पूर्व) भारत आगमन के अवसर पर संबोधित भाषण का अंश है, जिसका भाषांतरण (अनुवाद) ‘डॉ० भवानीशंकर त्रिवेदी’ ने किया है। इस भाषण द्वारा मैक्समूलर ने भारत की प्राचीनता और विलक्षणता का प्रतिपादन करते हुए नवांगतुक अधिकारियों को यह बताया है कि विश्व की सभ्यता भारत से बहुत कुछ सीखती और ग्रहण करती आयी है। नवांगतुक अधिकारी भी इस विलक्षण देश और उसकी सभ्यता-संस्कृति से बहुत कुछ सीख-जान सकते है। इस अध्याय को पढ़ कर आप अपने देश तथा इसकी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-साधना, प्राकृतिक वैभव आदि की महत्ता का प्रमाणिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगें।


यहाँ पर मैक्समूलर का परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी पूर्ण हुई। आशा है कि आप मैक्समूलर के जीवन से परिचित हो गए होंगे और उनके कार्यों और रचनाओं को याद कर लिए होंगे।

अब हम “भारत से हम क्या सीखें” पाठ से कुछ महत्वपूर्ण वाक्यों का अध्ययन कर याद करने का प्रयास करेंगे।


भारत से हम क्या सीखें पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य

आपके हिन्दी विषय की बोर्ड परीक्षा में कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न इस प्रकार पूछे जाते हैं – एक वाक्य दिया जाता है और प्रश्न किया जाता है कि ‘यह किस पाठ की पंक्ति है?’ अतः भारत से हम क्या सीखें पाठ के महत्वपूर्ण वाक्यों को याद करना आवश्यक हो जाता है।


भारत से हम क्या सीखें पाठ के नोट्स


1. सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बताऊँगा कि वह देश है – भारत।


2. भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट्र धर्म की यह शरणस्थली है।


3. मानव इतिहास से सम्बद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादेय प्रामाणिक सामग्री का एक बहुत बड़ा भाग भारत और केवल भारत में ही संचित है।


Class 10 Hindi Chapter 3 Notes


4. निश्चित ही संस्कृत इन सब भाषाओं की अग्रजा है। उससे हमें ऐसी बहुत-सी बातें ज्ञात हो सकीं जो इस परिवार की किसी अन्य भाषा में सर्वथा भुला दी गई थीं।


5. एक भाषा बोलना एक (माँ के) दूध पीने से भी बढ़कर एकात्मकता का परिचायक है।


6. भारत को सर विलियम जोन्स जैसे अभी न जाने कितने स्वप्नदर्शियों की आवश्यकता है।


7. किसी भी नए सिकन्दर को यह सोचकर निराश नहीं हो जाना चाहिए कि गंगा और सिन्ध के पुराने मैदानों में अब उसके लिए विजय करने को कुछ भी शेष नहीं रहा।


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