अलसकथा पाठ का अर्थ Class 10 Sanskrit Chapter 3 Question Answer and Notes

Prabhakar
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Class 10 Sanskrit Chapter 3 Question Answer
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अलसकथा पाठ का अर्थ Class 10 Sanskrit Chapter 3 Question Answer and Notes : Introduction

This article contains all VVI Question Answers (2 marks each) from Class 10th Sanskrit book “Piyusham Part-2” Chapter 3 “Alaskatha”. This also contains the hindi meaning of Alaskatha chapter.

Dear students, the team of NextGen Study (#1 Online Study Portal for Bihar Board Exams) has provided the Class 10 Sanskrit Chapter 3 Question Answer here. Before this you will see the hindi meaning of Alaskatha chapter.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 3 प्रश्न उत्तर को पढ़ने से पहले आपको अलसकथा पाठ का अर्थ जानना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि इस पाठ को हिन्दी में पढ़ने के पश्चात् ही आप इसमें लिखी बातों को अधिक आसानी से याद कर पाएँगे।
इसलिए आज हम सबसे पहले अलसकथा पाठ का अर्थ हिन्दी में पढ़ेंगे और तत्पश्चात प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


अलसकथा पाठ का अर्थ (हिन्दी में)

संस्कृत विषय तब तक कठिन लगता हैं जब तक कि उसका हिन्दी अनुवाद हमें पता नहीं रहता। किसी भी पाठ का हिन्दी में अनुवाद करते ही वह हमें बहुत रोचक लगने लगता है। अलसकथा पाठ में चार आलसियों की कहानी के द्वारा समझाया गया है कि आलस्य मनुष्य का बहुत बड़ा शत्रु है। आलसी मनुष्य अपने जीवन की रक्षा करने का भी प्रयत्न नहीं करता। यहाँ हम अलसकथा पाठ का हिन्दी अनुवाद करते हुए इसके अर्थ को भी समझेंगे। परंतु इन सबसे पहले अलसकथा पाठ और इसके लेखक से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं।


कक्षा 10 संस्कृत पाठ 3 नोट्स

  • विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलीकवि थे।
  • पुरुषपरीक्षा विद्यापति की रचना है।
  • ‘अलसकथा’ पाठ को ‘पुरुषपरीक्षा’ नामक कथाग्रंथ से संकलित किया गया है।
  • पुरुषपरीक्षा संस्कृत भाषा में है।
  • पुरुषपरीक्षा ग्रंथ में कथाओं के द्वारा मानव के विभिन्न प्रकार के गुणों के महत्व का वर्णन किया गया है और विभिन्न प्रकार के दोषों के निराकरण की शिक्षा दी गई है।
  • अलसकथा एक व्यंग्यात्मक लघुकथा है।
  • ‘अलसकथा पाठ’ में आलस्य नामक दोष का निरूपण किया गया है और इसके निवारण की प्रेरणा दी गई है।
  • नीतिकार आलस्य को शत्रु मानते हैं।

Class 10 Sanskrit Chapter 3 Notes

  • वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वह स्वभाव से दानी और करुणामयि थे।
  • वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों एवं अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन दिलवाते थे और उनमें से आलसियों को वह अन्न तथा वस्त्र भी दिलवाते थे।
  • धूर्त बनावटी आलस्य दिखा कर कौन भोजन ग्रहण करते थे।
  • धूर्तों के कारण अलसशाला में धन का खर्च बढ़ गया।
  • आलसियों की परीक्षा के लिए अलसशाला के कर्मचारियों ने अलसशाला में आग लगा दी, जब सभी सो रहे थे।
  • अलसशाला में आग लगा देखकर सभी धूर्त भाग गए।
  • अलसशाला में आग लगने पर भी चार लोग नहीं भागे। चारों पुरुष लेटे हुए परस्परालाप करने लगे।
  • आग बढ़ने पर चारों आलसियों को अलसशाला के कर्मचारियों ने केस पकड़कर घर में से बाहर खींच लिया।
  • वास्तविक आलसियों की संख्या चार थी।
  • इस संसार में स्त्रियों के रक्षक उनके पति है, बच्चों का सच्चा रक्षक उनकी माता है और आलसियों के रक्षक दयावान पुरुष है।

अलसकथा पाठ का हिन्दी अनुवाद

         मिथिला में वीरेश्वर नाम का एक मन्त्री था। स्वभाव से दानशील और दयालु, वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों एवं अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन देता था। उनके बीच आलसियों को अन्न और वस्त्र भी देता था। क्योंकि –

स्वभाव से सभी अकर्मण्यों में आलसी का स्थान पहला है। वह भूख की ज्वाला से पीड़ित होने पर भी कुछ करने का प्रयास नहीं करता।

तब आलसी लोगों को वांछित लाभ होता सुनकर बहुत से तोन्द बढ़ाने वाले वहाँ इकट्ठा होने लगे। क्योंकि –

सुविधाजनक स्थिति अवश्य ही सबको आकर्षित करती है। अपनी ही जातियों के सुख को देखकर कौन जीव नहीं दौड़ पड़ता? अर्थात् सजातियों के सुख को देख कर सभी जीव उस सुख को पाने की इच्छा करने लगते हैं।

बाद में आलसियों के सुख को देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन ग्रहण करने लगे। तब अलसशाला में अधिक धन का खर्च होता देखकर वहाँ नियुक्त पुरुषों ने विचार किया – हमारा दयालु स्वामी केवल बुद्धि से अक्षम आलसियों को ही वस्तुएँ दिलवाता है, परन्तु कपट करके जो आलसी नहीं हैं वे भी ले लेते हैं, यह हमारा आलस्य है। यदि हो सके तो हमलोग आलसी पुरुषों की परीक्षा करें। ऐसा विचार करके वहाँ नियुक्त पुरुषों ने अलसशाला में आग लगवा कर सोये हुए आलसियों का निरीक्षण किया।


         तब घर में लगी हुई आग को बढ़ता देखकर सभी धूर्त भाग गयें। इसके बाद जो कम आलसी थे, वे भी भाग गये। चार पुरुष वहाँ पर सोये हुए आपस में बातचीत करने लगे। एक कपड़ा से मुँह ढँके हुए ही बोला – अरे! यह कैसा कोलाहल हो रहा है? दूसरा बोला – लगता है हमारे घर में आग लग गयी है। तीसरा बोला – कोई भी धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो इस समय जल से भींगे हुए वस्त्रों या चटाइयों से हमे ढँक दे? चौथा बोला – ऐ वाचालों (बातूनी)! क्यों इतना बोलते हो? तुम चुप क्यों नहीं रहते?


         तब उन चारों की आपस की बातचीत को सुनकर तथा आग को फैल कर उनके ऊपर गिरते देखकर, कहीं वे मर न जाए, इस भय से नियुक्त पुरुषों ने उन चारों आलसियों के केशों को पकड़कर खींचते हुए घर से निकाल बाहर किया। बाद में उनको देखकर उन नियुक्त पुरुषों द्वारा पढ़ा गया –

स्त्रियों का रक्षक उनका पति ही होता है और बच्चों का रक्षक उनकी माता होती है। संसार में आलसी व्यक्तियों का रक्षक दयावान के अलावा कोई नहीं होता।

बाद में उन चारों आलसियों को मन्त्री ने और अधिक वस्तु दिलवायी।


अलसकथा पाठ के श्लोक का हिन्दी अर्थ


निर्गतिनां   च   सर्वेषामलसः  प्रथमो   मतः।
किञ्चिन्न क्षमते कर्तुं जाठरेणाऽपि वह्निना।।

भावार्थ: स्वभाव से सभी अकर्मण्यों में आलसी का स्थान पहला है। वह भूख की ज्वाला से पीड़ित होने पर भी कुछ करने का प्रयास नहीं करता।


स्थितिः  सौकर्यमूला   हि   सर्वेषामपि  संहते।
सजातीनां सुखं दृष्ट्वा के न धावन्ति जन्तवः॥

भावार्थ: सुविधाजनक स्थिति अवश्य ही सबको आकर्षित करती है। अपनी ही जातियों के सुख को देखकर कौन जीव नहीं दौड़ पड़ता? अर्थात् सजातियों के सुख को देख कर सभी जीव उस सुख को पाने की इच्छा करने लगते हैं।


पतिरेव  गतिः  स्त्रीणां  बालानां  जननी  गति:।
नालसानां गतिः कांचिल्लोके कारुणिकं बिना॥

भावार्थ: स्त्रियों का रक्षक उनका पति ही होता है और बच्चों का रक्षक उनकी माता होती है। संसार में आलसी व्यक्तियों का रक्षक दयावान के अलावा कोई नहीं होता।


यहाँ पर अलसकथा पाठ का अर्थ समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन इन्हें समझ कर याद कर लिए होंगे।

अब हम “अलसकथा” अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न और उनके उत्तर पढ़ेंगे। इससे आप अलसकथा पाठ के तथ्यों को और अधिक सरलता से समझ पायेंगे और परीक्षा में इस पाठ से पूछे गए प्रश्नों का answer भी दे सकेंगे।



Class 10 Sanskrit Chapter 3 Question Answer

In the annual board examination of Sanskrit subject, 16 short answer type questions are asked, in which 1 or 2 questions from the chapter “Alaskatha” are definitely included. Out of these 16 questions, only 8 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 3 अलसकथा प्रश्न उत्तर


1. विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की है?
उत्तर:- विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलीकवि थे। उन्होंने पुरुषपरीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की है। इस ग्रंथ में कथाओं के द्वारा मानव के विभिन्न प्रकार के गुणों के महत्व का वर्णन किया गया है और विभिन्न प्रकार के दोषों के निराकरण की शिक्षा दी गई है।

2. ‘अलसकथा’ पाठ के लेखक कौन है? इस पाठ में किसकी कहानी है?
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ के लेखक विद्यापति है। इस पाठ में आलस्य नामक दोष एवं आलसी व्यक्तियों की कहानी है।

3. ‘अलसकथा’ पाठ में किसका वर्णन है?
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ में आलस्य नामक दोष का वर्णन किया गया है। यह चार आलसी व्यक्तियों की कहानी है। इस कथा के द्वारा आलस्य के निराकरण की शिक्षा दी गई है।

4. वीरेश्वर कौन था? उनका स्वभाव कैसा था?
उत्तर: वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वह स्वभाव से दानी और दयालु थे। वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन दिलवाते थे। उनमें से आलसियों को वह अन्न तथा वस्त्र भी दिलवाते थे।

5. मंत्री वीरेश्वर के चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर: मिथिला के मंत्री वीरेश्वर दानी और दयालु स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन दिलवाते थे। उनमें से आलसियों को वह अन्न तथा वस्त्र भी दिलवाते थे।

Class 10 Sanskrit Chapter 3 Alaskatha Question Answer


6. कौन प्रतिदिन आलसियों को उनकी इच्छानुसार भोजन और वस्त्र देते थे?
उत्तर:- मिथिला के मंत्री वीरेश्वर प्रतिदिन आलसियों को उनकी इच्छानुसार भोजन और वस्त्र देते थे।

7. आलसी कौन है?
उत्तर:- अलसकथा पाठ के अनुसार आलसी वैसे मनुष्य है जो भले ही भूखे रह जाए परन्तु कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे मनुष्य संकट के समय अपनी रक्षा भी नहीं कर पाते हैं।

8. निर्गतियों और अनाथों में आलसी को प्रथम क्यों माना गया है?
उत्तर:- आलसियों को छोड़कर बाकी अन्य निर्गति और अनाथ लोग अपने जीवनयापन के लिए कुछ-न-कुछ काम जरूर करते हैं। जो इसमें सक्षम नहीं होते हैं, वे भिक्षा मांग कर अपना पेट भरते हैं। परंतु आलसी वैसे प्राणी है, जो भले ही भूखे रह जाए परन्तु कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे मनुष्य संकट के समय अपनी रक्षा भी नहीं कर पाते हैं। इसीलिए निर्गतियों और अनाथों में आलसी को प्रथम माना गया है।

9. ‘अलसकथा’ पाठ में किस दोष का वर्णन है?
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ में आलस्य नामक दोष का वर्णन किया गया है और इसके निराकरण की शिक्षा दी गई है।

बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 3 अलसकथा प्रश्न उत्तर


10. ‘अलसकथा’ पाठ में किस पर चर्चा की गई है?
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ में आलस्य नामक दोष पर चर्चा की गई है और इसके निराकरण की शिक्षा दी गई है।

11. अलसशाला का खर्च‌‌ क्यों बढ़ गया?
उत्तर:- आलसियों के सुख को देखकर बहुत सारे धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में भोजन ग्रहण करने लगे। इसके परिणामस्वरूप अलसशाला का खर्च बढ़ गया।

12. अलसशाला में धन का खर्च बढ़ जाने पर अलसशाला के कर्मचारियों ने क्या किया?
उत्तर:- अलसशाला में धन का खर्च बढ़ जाने पर अलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा‌‌ ली। उन्होंने रात्रि में अलसशाला में आग लगवा दिया और सोये हुए आलसियों का निरीक्षण किया। आग देखकर सभी धूर्त्त और कम आलसी लोग भाग गए। परन्तु चार लोग, जो वास्तविक आलसी थे, नहीं भागे और अलसशाला में ही लेटे हुए वार्तालाप करने लगे।

13. अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों ली?
उत्तर: अलसशाला में धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में भोजन ग्रहण करने लगे थे। जिसके परिणामस्वरूप अलसशाला में धन का खर्च बढ़ गया था। अतः वास्तविक आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा ली।

14. अलसशाला में आग क्यों लगाई गई?
उत्तर: आलसियों की परीक्षा लेने तथा वास्तविक आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला में आग लगाई गई।

Alaskatha Sanskrit Chapter 3 Question Answer in Hindi


15. अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ?
उत्तर: अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त्त लोग भाग गए। बाद में, जो कम आलसी थे वे भी भाग गए। परंतु आग लगा देखकर भी चार व्यक्ति नहीं भागे और लेटे हुए ही आपस में बात करने लगे। जब आग चारों तरफ फैल गया, तब वहाँ नियुक्त पुरूषों ने चारों आलसियों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला।

16. चारों आलसियों के वार्तालाप (संवाद) को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर: अलसशाला में आग लगा देखकर भी चार पुरुष नहीं भागे और वहाँ पर सोये हुए आपस में बातचीत करने लगे। एक कपड़ा से मुँह ढँके हुए ही बोला कि अरे! यह कैसा कोलाहल हो रहा है? तो दूसरा बोला कि लगता है, हमारे घर में आग लग गयी है। तीसरा बोला कि कोई भी धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो इस समय जल से भींगे हुए वस्त्रों या चटाइयों से हमे ढँक दे? इस पर चौथा गुस्से से बोला – ऐ वाचालों (बातूनी)! क्यों इतना बोलते हो? तुम चुप क्यों नहीं रहते?

17. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर बताईए कि आलसी पुरूषों को किसने और क्यों निकाला?
उत्तर:- आलसियों के परस्पर वार्तालाप को सुनकर और अलसशाला में चारों तरफ आग फैल कर उन आलसी पुरूषों पर गिरता देखकर उनकी जीवन रक्षा के लिए अलसशाला के कर्मचारियों ने चारों आलसी पुरूषों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला। क्योंकि ये चारों आलसी न तो अलसशाला से बाहर आ रहे थे और न ही आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे।

18. अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों को आग से कैसे और क्यों निकाला?
उत्तर: अलसशाला के कर्मियों ने चारों आलसियों को उनके केस पकड़ कर आग से बाहर निकाला। क्योंकि ये चारों आलसी न तो अलसशाला से बाहर आ रहे थे और न ही आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे। यदि उन्हें वैसे ही छोड़ दिया जाता तो वे आग में झुलस कर मर जाते।

अलसकथा पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


19. ‘अलसकथा’ पाठ में वास्तविक आलसियों की पहचान कैसे हुई?
उत्तर: अलसकथा’ पाठ में वास्तविक आलसियों की पहचान अलसशाला के कर्मियों द्वारा आलसियों की परीक्षा लेने के बाद हुई। उन्होंने आलसियों के सो जाने पर अलसशाला में आग लगवा दिया। आग देखकर सभी धूर्त्त और कम आलसी लोग भाग गए। परन्तु चार लोग, जो वास्तविक आलसी थे, नहीं भागे और अलसशाला में ही आपस में बातचीत करने लगे।

20. मिथिला के मंत्री कौन थे? उन्होंने कृत्रिम आलसियों की परीक्षा कैसे ली?
उत्तर:- मिथिला के मंत्री का नाम वीरेश्वर था । वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को अन्न और वस्त्र देते थे। आलसियों की परीक्षा के लिए उनके अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों के सो जाने पर अलसशाला में आग लगवा दिया। आग देखकर पर सभी कृत्रिम आलसी भाग गए। परन्तु चार लोग, जो वास्तविक आलसी थे, नहीं भागे और अलसशाला में ही आपस में बातचीत करने लगे।

21. ‘अलसकथा’ पाठ की विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ में आलस्य नामक दोष का वर्णन किया गया है और इसके निराकरण की शिक्षा दी गई है। इस पाठ का अध्ययन करने से हमें पता चलता है कि आलस्य एक महान शत्रु है। आलसी व्यक्ति अपनी भूख शांत करने के लिए भी कुछ नहीं करता, यहाँ तक कि अपनी जान बचाने का प्रयास भी नहीं करता है।

22. ‘अलसकथा’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: ‘अलसकथा’ पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य एक महान शत्रु है। यह पाठ संदेश देता है कि आलसी व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकता है। आलसियों का जीवन दयावनों पर निर्भर करता है। इस पाठ से हमें आलस्य दोष को दूर करने की शिक्षा मिलती है।

Alaskatha Sanskrit Chapter 3 Question Answer PDF Download


23. अलसकथा का संदेश क्या है?
उत्तर: अलसकथा का संदेश यही है कि आलस्य एक महान शत्रु है। हमें इस दोष से बचना चाहिए। क्योंकि इस दोष से ग्रसित व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकता है। संकट के समय वह अपनी रक्षा भी नहीं कर पाता। इनका जीवन दयावनों पर निर्भर करता है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि आलसियों का जीवन पशुओं से भी निम्न होता है।

24. ‘अलसकथा’ का सारांश लिखें।
अथवा, ‘अलसकथा’ पाठ की कहानी को संक्षेप में लिखें।
उत्तर:- ‘अलसकथा’ पाठ के लेखक विद्यापति है। इसमें आलस्य नामक दोष का निरूपण किया गया है और आलस्य के निराकरण की शिक्षा दी गई है। वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वे प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को भी अन्न और भोजन देते थे। आलसियों को मिलने वाली वस्तुओं को देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में भोजन ग्रहण करने लगे। इससे अलसशाला में धन का खर्च बढ़ गया। इसके बाद नियोगी पुरूष ने आलसियों की परीक्षा लेने के लिए उनके सोये अवस्था में अलसशाला के चारों ओर आग लगवा दिया। अलसशाला में आग लगा देखकर सभी धूर्त्त लोग भाग गए परन्तु चार आलसी नहीं भागे और सोये हुए ही आपस में बात करने लगे। अलसशाला के चारों तरफ आग फैल जाने पर और आलसियों के परस्पर वार्तालाप को सुनकर नियोगी पुरूष ने चारों आलसियों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला। इसके पश्चात् मंत्री द्वारा चारों आलसियों को पहले से अधिक धन दिया जाने लगा।
---------- इति समाप्तम् ----------

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