
हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय और नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य: Introduction
In this article, the biography of Hazari Prasad Dwivedi and his works have been described according to Class 10th Godhuli (Prose) Chapter-4 “Nakhoon Kyon Badhate Hain”. Also some important sentences from that chapter are included here. All these will help you to solve objective questions easily.
Dear students, यहाँ “हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय और नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य” के अन्तर्गत आपके हिन्दी विषय (गोधूलि भाग-2) के गद्यखंड के अध्याय “नाखून क्यों बढ़ते हैं” से सभी महत्वपूर्ण वाक्यों को संकलित कर प्रकाशित किया गया है। साथ ही हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय का संक्षिप्तीकरण सरल शब्दों में दिया गया है।
तो चलिए आज हम सबसे पहले गोधूलि भाग-2 के अनुसार हजारी प्रसाद द्विवेदी का परिचय एवं उनकी रचनाओं आदि की जानकारी लेते हैं और तत्पश्चात “नाखून क्यों बढ़ते हैं” के महत्वपूर्ण वाक्यों को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय
‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ शीर्षक पाठ के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी है। यहाँ पर उनके जन्म, शिक्षा, उपलब्धियाँ, योगदान, व्यक्तित्व, रचनाएँ आदि के बारे में बताया गया है। ये जानकारी वैकल्पिक प्रश्नों को हल करने के लिए बहुत उपयोगी है। हजारी प्रसाद द्विवेदी का व्यक्ति-परिचय पाठ्य पुस्तिका के अनुसार निम्नलिखित है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के लेखक कौन है
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी है। वे संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, बाँग्ला आदि भाषाओं के ज्ञाता थे। द्विवेदी जी हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक प्रसिद्ध निबंधकार और आलोचक हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी के जीवन के महत्वपूर्ण तथ्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी : कार्य
हजारी प्रसाद द्विवेदी काशी हिंदू विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय आदि में प्रोफेसर और प्रशासनिक पदों पर रहे।
हजारी प्रसाद द्विवेदी : पुरस्कार और उपाधि
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी को आलोकपर्व पर ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा ‘पदमभूषण’ सम्मान और लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा ‘डी० लिट्०’ की उपाधि मिली।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ
- अशोक के फूल
- कल्पलता
- विचार और वितर्क
- कुटज
- विचार प्रवाह
- आलोक पर्व
- प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद
- बाणभट्ट की आत्मकथा
- चारुचंद्रलेख
- पुनर्नवा
- अनामदास का पोथा
- सूर साहित्य
- कबीर
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप
- नाथ संप्रदाय
- कालिदास की लालित्य योजना
- हिंदी साहित्य का आदिकाल
- हिंदी साहित्य की भूमिका
- हिंदी साहित्य: उद्भव और विकास
- संदेशरासक
- पृथ्वीराजरासो
- नाथसिद्धों की बानियाँ
विशेष रचनाएँ: हजारी प्रसाद द्विवेदी को “आलोक पर्व” पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। उन्होंने विश्व भारती (शांति निकेतन) पत्रिका का संपादन किया।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक विशेषता
- हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का साहित्य कर्म भारतवर्ष के सांस्कृतिक इतिहास की रचनात्मक परिणति है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं में संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, बाँग्ला आदि भाषाओं व उनके साहित्य के साथ-साथ इतिहास, संस्कृति, धर्म, दर्शन और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की व्यापकता व गहनता प्रकट होती है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी का अगाध पांडित्य उनकी रचनाओं में नवीन मानवतावादी सर्जना और आलोचना की क्षमता लेकर प्रकट हुआ है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी का रचना-संसार विचार की तेजस्विता, कथन के लालित्य और बंध की शास्त्रीयता का संगम है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं में एकसाथ कबीर, तुलसी और रवींद्रनाथ एकाकार हो उठते हैं।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार भारतीय संस्कृति किसी एक जाति की देन नहीं, बल्कि समय-समय पर उपस्थित अनेक जातियों के श्रेष्ठ साधनांशों के लवण-नीर संयोग से विकसित हुई है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ का स्त्रोत
अध्याय ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ को ‘हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली’ से संकलित किया गया है। यह एक ललित निबंध है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ का सार
‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली से प्रस्तुत एक ललित निबंध है। इस ललित निबंध में लेखक ने बार-बार काटे जाने पर भी बढ़ जाने वाला नाखूनों के बहाने अत्यंत सहज शैली में सभ्यता और संस्कृति की विकास-गाथा उद्घाटित कर दिखायी है।
एक ओर नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की आदिम पाश्विक वृत्ति और संघर्ष चेतना का प्रमाण है तो दूसरी ओर उन्हें बार-बार काटते रहना और अलंकृत करते रहना मनुष्य के सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक चेतना को भी निरूपित करता है।
लेखक ने नाखूनों के बहाने मनोरंजक शैली में मानव-सत्य का दिग्दर्शन कराने का सफल प्रयत्न किया है। यह निबंध नई पीढ़ी में सौंदर्यबोध, इतिहास चेतना और सांस्कृतिक आत्मगौरव का भाव जगाता है।
यहाँ पर हजारी प्रसाद द्विवेदी का परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी पूर्ण हुई। आशा है कि आप हजारी प्रसाद द्विवेदी के जीवन से परिचित हो गए होंगे और उनके कार्यों और रचनाओं को याद कर लिए होंगे।
अब हम “नाखून क्यों बढ़ते हैं” पाठ से कुछ महत्वपूर्ण वाक्यों का अध्ययन कर याद करने का प्रयास करेंगे।
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य
आपके हिन्दी विषय की बोर्ड परीक्षा में कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न इस प्रकार पूछे जाते हैं – एक वाक्य दिया जाता है और प्रश्न किया जाता है कि ‘यह किस पाठ की पंक्ति है?’ अतः नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण वाक्यों को याद करना आवश्यक हो जाता है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के नोट्स
1. अल्पज्ञ पिता बड़ा दयनीय जीव होता है।
2. मनुष्य की पशुता को जितनी बार भी काट दो, वह मरना नहीं जानती।
3. सहजात वृत्ति अनजानी स्मृतियों का ही नाम है।
4. भारतीय चित्त जो आज भी ‘अनधीनता’ के रूप में न सोचकर ‘स्वाधीनता’ के रूप में सोचता है, वह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है।
5. पुराने का ‘मोह’ सब समय वांछनीय ही नहीं होता।
6. मरे-बच्चे को गोद में दबाए रहने वाली ‘बँदरिया’ मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती।
Class 10 Hindi Chapter 4 Notes
7. कालिदास ने कहा था कि सब पुराने अच्छे नहीं होते, सब नए खराब ही नहीं होते
8. मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके दुख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। (गौतम बुद्ध ने कहा था)
9. अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।
10. उच्छृंखलता पशु की प्रवृत्ति है, ‘स्व’ का बंधन मनुष्य का स्वभाव है।
11. सफलता और चरितार्थता में अंतर है।