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विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer : Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10 Physics Chapter 5 Magnetic Effect of Electric Current. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10 Physics Chapter 5 Question Answer (Short Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Physics section, in which 1 or 2 questions from the chapter “Magnetic Effect of Electric Current” are definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer
1. दिक्सूची क्या है?
उत्तर:- दिक्सूची एक छोटा छड़ चुंबक होती है। इसका एक सिरा जो उत्तर की ओर संकेत करता है उत्तर ध्रुव कहलाता है तथा दुसरा सिरा जो दक्षिण की ओर संकेत करता है दक्षिण ध्रुव कहलाता है।
2. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर:- दिक्सूचक की सूई एक छोटा छड़ चुंबक ही होती है। चूँकि चुंबक के सजातीय ध्रुवों के बीच परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों के बीच परस्पर आकर्षण होता है। इसलिए चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है।
3. विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव को दिखाने हेतु एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर:- विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव को दिखाने हेतु एक प्रयोग :
एक स्विच तथा सेल के साथ समायोजित विद्युत परिपथ में एक मोटे चालक तार AB को उत्तर-दक्षिण दिशा में जोड़ देते हैं। तार AB के नीचे एक चुंबकीय सुई NS रखते है, जो पृथ्वी के चुंबकत्व के कारण उत्तर-दक्षिण दिशा में रहती है। स्विच ऑन करने पर तार AB से विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। हम देखते हैं कि तार से धारा प्रवाहित होते ही चुंबकीय सुई विक्षेपित होकर तार के लगभग लंबवत हो जाती है। फिर स्विच को ऑफ करने पर चुंबकीय सुई अपने पूर्ववत स्थिति में आ जाती है। इस तरह हम विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव को देखते है।
4. चुंबकीय क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को परिभाषित करें।
उत्तर:- किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके चुंबकीय बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है। वे रेखाएँ जिनके द्वारा किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र का निरूपण किया जाता है, उन्हें चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
Class 10 Physics Chapter 5 Question Answer in Hindi
5. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:- एक छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ:
6. चुम्बकीय क्षेत्र-रेखाओं के किन्हीं दो गुणों को लिखें।
उत्तर:- चुम्बकीय क्षेत्र-रेखाओं के दो गुण –
(i) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती है।
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
7. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:- दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं। क्योंकि यदि ऐसा होता तो उस प्रतिच्छेद बिंदु पर दिक्सूचक को रखने पर उसकी सूई दो भिन्न दिशाओं की ओर संकेत करेगी, जो कि संभव नहीं है।
8. चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:- चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीके –
(i) एक सीधे विद्युत धारावाही चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित कर।
(ii) एक विद्युत धारावाही परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित कर।
9. किसी धारावाही तार के निकट चुंबकीय दिक्सूची रखने पर यह विक्षेप दर्शाती है। यदि तार में प्रवाहित धारा में वृद्धि कर दी जाए, तो दिक्सूची के विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ेगा? कारण सहित उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:- यदि तार में प्रवाहित धारा में वृद्धि कर दी जाए, तो दिक्सूची के सूई का विक्षेप में भी वृद्धि हो जाएगी, क्योंकि धारा में वृद्धि करने पर तार द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ जाती है।
10. किसी धारावाही तार के निकट चुंबकीय दिक्सूची रखने पर यह विक्षेप दर्शाती है। यदि दिक्सूची की तार से दूरी में वृद्धि कर दी जाए, तो दिक्सूची के विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ेगा? कारण सहित उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:- यदि दिक्सूची की तार से दूरी में वृद्धि कर दी जाए, तो दिक्सूची के सूई का विक्षेप में कमी हो जाएगी, क्योंकि तार में प्रवाहित विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता तार से दूर जाने पर घटती जाती है।
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 5 प्रश्न उत्तर
11. विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव से संबंधित 'दक्षिण हस्त-अंगूठा' के नियम को लिखें।
उत्तर:- 'दक्षिण हस्त-अंगूठा' के नियम: यदि किसी विद्युत धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अंगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।
12. परिनालिका क्या है? यह चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है?
उत्तर:- जब एक लंबे विद्युतरोधित चालक तार को सर्पिल (Spiral) रूप में इस प्रकार लपेटा जाए कि तार के फेरे एक-दूसरे से अलग परंतु अगल-बगल हो, तो ऐसी व्यवस्था को परिनालिका कहते है। परिनालिका से विद्युत धारा को प्रवाहित करने पर इसका एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दुसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करने लगता है। अर्थात यह चुंबक की भाँति व्यवहार करने लगती है।
13. किसी विद्युत धारावाही परिनलिका के भीतर एवं उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को प्रदर्शित करने के लिए चित्र बनाइये।
उत्तर:- एक विद्युत धारावाही परिनालिका के भीतर एवं चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को प्रदर्शित करने के लिए चित्र –
14. क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं? कैसे?
उत्तर:- हाँ, हम किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं। हम छड़ चुंबक के उत्तर ध्रुव को बारी-बारी से परिनालिका के दोनों सिरों के समीप ले जाएँगें। जो सिरा प्रतिकर्षित होगा वह परिनालिका का उत्तर ध्रुव होगा और जो सिरा आकर्षित होगा वह परिनालिका का दक्षिण ध्रुव होगा।
15. किसी सीधी धारावाही परिनालिका के सिरों के निकट चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का अपसरण क्या निर्दिष्ट करता है?
उत्तर:- किसी सीधी धारावाही परिनालिका के सिरों के निकट चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का अपसरण अर्थात क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि में कमी परिनालिका के सिरों के निकट तथा सिरों से दूर चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता में कमी को निर्दिष्ट करता है।
16. किसी धारावाही परिनालिका के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के बारे में बताएँ। परिनालिका में फेरों की संख्या बढ़ाने पर इसका चुंबकीय क्षेत्र किस प्रकार प्रभावित होता है?
उत्तर:- जब किसी परिनालिका से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो परिनालिका के भीतर तथा उसके आसपास चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। परिनालिका के भीतर प्रत्येक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र एकसमान रहता है। परिनालिका में फेरों की संख्या बढ़ाने पर इसके चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, यदि फेरों की संख्या n गुणी हो जाए तो चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता भी पहले की अपेक्षा n गुणी हो जाएगी।
17. विद्युत चुंबक क्या है और इसे किस प्रकार बनाई जाती है?
उत्तर:- विद्युत चुंबक एक ऐसा चुंबक है जिसमें चुंबकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक उसमें विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है। किसी धारावाही परिनालिका के भीतर क्रोड के रूप में नर्म लोहे जैसे चुंबकीय पदार्थ को रखकर विद्युत चुंबक बनाया जाता है।
Physics Class 10th Chapter 5 Question Answer
18. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:- किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब विद्युत धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत होती है।
19. "फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम" लिखें।
उत्तर:- फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम: यदि हम अपने बाएं हाथ के तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को परस्पर लंबवत फैलाएँ और यदि मध्यमा धारा की दिशा को तथा तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाते हैं, तब अंगूठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता है।
20. दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम में अंगूठे की दिशा क्या निर्दिष्ट करती है? यह नियम किस प्रकार फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से भिन्न है?
उत्तर:- दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम में अंगूठे की दिशा सीधे चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को निर्दिष्ट करती है। यह नियम फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से भिन्न है, क्योंकि फ्लेमिंग का वामहस्त नियम बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी धारावाही चालक पर आरोपित बल की दिशा बताता है।
21. चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व का क्या उपयोग है?
उत्तर:- मानव शरीर के दो मुख्य भाग जिनमें चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्वपूर्ण है, वे हृदय तथा मस्तिष्क है। एक विशेष तकनीक जिसे चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन (Magnetic Resonance Imaging, MRI) कहते हैं, के उपयोग द्वारा इन चुंबकीय क्षेत्रों की सहायता से शरीर के विभिन्न आंतरिक भागों का प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व का महत्वपूर्ण उपयोग है।
22. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:- विद्युत मोटर का सिद्धांत विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है। विद्युत मोटर में लौह क्रोड पर लिपटी कुंडली अर्थात आर्मेचर से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तब मोटर के क्षेत्र चुंबक के कारण आर्मेचर एक बल का अनुभव करता है जिससे यह घूर्णन करने लगता है। आर्मेचर के घूमने की दिशा का निर्धारण फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम से होता है।
23. दिक् परिवर्तक क्या होते हैं?
उत्तर:- वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, उसे दिक् परिवर्तक कहते हैं। विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक् परिवर्तक का कार्य करते है।
24. विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्व है?
उत्तर:- विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक् परिवर्तक का कार्य करते है। यह युक्ति परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता देती है।
25. सरल विद्युत मोटर में दो स्थिर चालक ब्रुशों की क्या भूमिका होती है?
उत्तर:- सरल विद्युत मोटर में दो स्थिर चालक ब्रुशें बैटरी से संयोजित रहते हैं और मोटर के अंदर विभक्त वलय के दो भागों को बाहर से स्पर्श करते है। इस प्रकार ये ब्रुशें विद्युत मोटर के आर्मेचर में विद्युत धारा पहुँचाती हैं।
कक्षा 10 भौतिक विज्ञान पाठ 5 प्रश्न उत्तर
26. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते है?
उत्तर:- विद्युत पंखा, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, विद्युत मिश्रक, कम्प्यूटर, MP 3 प्लेयर आदि; ऐसी कुछ युक्तियों के नाम हैं जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते है।
27. व्यावसायिक मोटरों की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:- व्यावसायिक मोटरों की तीन विशेषताएँ –
व्यावसायिक मोटरों में,
(i) स्थायी चुंबकों के स्थान पर विद्युत चुंबक प्रयोग किए जाते हैं,
(ii) विद्युत धारावाही कुंडली में फेरों की संख्या अत्यधिक होती है तथा
(iii) कुंडली को नर्म लौह-क्रोड पर लपेटी जाती है।
इन विशेषताओं के कारण मोटर की शक्ति में वृद्धि हो जाती है।
28. वैद्युत चुंबकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है, वैद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।
29. गैल्वेनोमीटर क्या है?
उत्तर:- गैल्वेनोमीटर एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत परिपथ में विद्युत धारा का संसूचन करता है। इसे G से निरूपित करते हैं। जब परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है तब इसकी सूई शून्य पर रहती है। जब इससे धारा प्रवाहित होती है, तब यह शून्य चिह्न के दायीं या बायीं ओर विक्षेपित हो सकती है। यह विक्षेप विद्युत धारा की दिशा पर निर्भर करता है।
30. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग इस प्रकार हैं –
(i) चुम्बक एवं कुण्डली के बीच आपेक्षिक गति उत्पन्न करके।
(ii) धारावाही चालक एवं कुण्डली के बीच आपेक्षिक गति उत्पन्न करके।
(iii) कुण्डली के समीप रखे चालक में विद्युत धारा का मान परिवर्तित कर।
31. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:- हाँ, यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो निकट स्थित कुंडली B में एक क्षणिक विद्युत धारा प्रेरित होगी। क्योंकि कुंडली A में विद्युत धारा में परिवर्तन करने पर इसका चुंबकीय क्षेत्र भी परिवर्तित हो जाता है जिससे कुंडली B के चारों ओर की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ भी परिवर्तित होती है। कुंडली B के चारों ओर की चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन ही प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होने का कारण होता है।
Magnetic Effect of Electric Current Subjective Question Answer
32. एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक लूप को घूर्णित करने पर किस प्रकार की धारा चलेगी?
उत्तर:- एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक लूप को घूर्णित करने पर चालक लूप में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होने लगेगी।
33. फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम लिखें।
उत्तर:- फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम: यदि हम अपने दाएँ हाथ के तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को परस्पर समकोणिक फैलाएँ और यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा को दर्शाते हैं, तब मध्यमा प्रेरित विद्युत धारा की दिशा को व्यक्त करता है।
34. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर:- (i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त अँगुष्ठ नियम।
(ii) फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम।
(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम।
35. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:- विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित है। जब एक आयताकार कुंडली को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। इस विद्युत धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से प्राप्त होता है।
36. विद्युत जनित्र में ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:- विद्युत जनित्र में कार्बन ब्रुशों आर्मेचर के दोनों वलयों को हल्के से स्पर्श करते हैं। इनका कार्य कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा को बाहर स्थानांतरित करने में सहायता करना है।
37. विद्युत मोटर किस प्रकार जनित्र से भिन्न होती हैं?
उत्तर:- विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करते है जबकि विद्युत जनित्र द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
Magnetic Effect of Electric Current VVI Question Answer
38. प्रत्यावर्ती धारा में कौन-सी दो कमियाँ होती है?
उत्तर:- प्रत्यावर्ती धारा की दो कमियाँ —
(i) प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत लेपन तथा बैटरियों का आवेशन नहीं किया जा सकता है।
(ii) प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत विश्लेषण (electrolysis) नहीं किया जा सकता है। इसलिए ऐसे कारखाने जहाँ विद्युत विश्लेषण की आवश्यकता है, वहाँ दिष्ट धारा का उपयोग किया जाता है।
39. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:- दिष्ट धारा के कुछ स्त्रोतों के नाम हैं – DC जनित्र, डायनेमो, सेल आदि।
40. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:- प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम हैं – AC जनित्र, इन्वर्टर आदि।
41. प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में अंतर बताएँ।
उत्तर:- प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में अंतर निम्नलिखित हैं –
प्रत्यावर्ती धारा |
दिष्ट धारा |
1. यह एक निश्चित समय-अंतराल पर अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है। स्त्रोत – AC जनित्र, इन्वर्टर आदि। |
1. यह सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती है। स्त्रोत – DC जनित्र, डायनेमो, सेल आदि। |
2. यह सर्पी वलय युक्त जनित्र से प्रेरित होता है। |
2. यह विभक्त वलय युक्त जनित्र से प्रेरित होता है। |
3. इसके द्वारा विद्युत शक्ति को सूदूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा क्षय के भेजी जा सकती है। |
3. इसके द्वारा विद्युत शक्ति को सूदूर स्थानों पर भेजने पर अधिक ऊर्जा क्षय होता है। |
42. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:- विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं – भू-संपर्क तार तथा विद्युत फ्यूज।
43. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है?
उत्तर:- भूसंपर्क तार का कार्य धात्विक आवरण वाले साधित्र का उपयोग करने वाले को तीव्र विद्युत आघात से बचाना है। भूसंपर्क तार घर के निकट पृथ्वी में काफी नीचे मिट्टी में दबी एक धातु की एक चालक प्लेट से जुड़ा होता है। इसे धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों में जोड़ दिया जाता है। जब कभी साधित्र के धात्विक आवरण में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो वह भू-संपर्क तार से होती हुई पृथ्वी में चली जाती है। इससे साधित्र का उपयोग करने वाला तीव्र विद्युत आघात से बचा रहता है।
44. धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपिर्कत करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:- धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपिर्कत करना आवश्यक है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्रों के धात्विक आवरण में यदि विद्युत धारा का कोई भी क्षरण होगा तो साधित्र का विभव पृथ्वी के विभव के बराबर हो जाएगा और उस साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर झटका नहीं लगेगा।
कक्षा 10 भौतिकी पाठ 5 प्रश्न उत्तर
45. दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में क्या अंतर है? भारत में उपयोग होने वाली प्रत्यावर्ती धारा की दिशा एक सेकंड में कितनी बार परिवर्तित होती है?
उत्तर:- दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में मूल अंतर यह है कि दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित समय-अंतराल पर अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है। भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज है तथा प्रत्येक चक्र में यह दो बार परिवर्तित होती है। अतः भारत में उपयोग होने वाली प्रत्यावर्ती धारा एक सेकंड में 2 × 50 = 100 बार दिशा में परिवर्तन करती है।
46. 2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- विद्युत तंदूर की शक्ति (P) = 2 kW = 2000 W,
विद्युत परिपथ की वोल्टता (V) = 220 V और
विद्युत तंदूर का विद्युत धारा अनुमतांक = 5 A.
अब, विद्युत तंदूर द्वारा उपभुक्त धारा (I) = P/V
= 2000W/220V
= 9.09 A
चूँकि विद्युत तंदूर का विद्युत धारा अनुमतांक (5 A) उसमें 220 V पर प्रवाहित विद्युत धारा के मान (9.09 A) से कम है। अतः विद्युत तंदूर में अधिक धारा प्रवाहित होने के कारण वह क्षतिग्रस्त हो जाएगा।
47. घरेलू परिपथ में उपयोग किए जाने वाले तीनों तारों के बारे में बताइए।
उत्तर:- घरेलू परिपथ में निम्नलिखित तीन प्रकार के तार उपयोग किये जाते हैं –
(i) विद्युन्मय तार: इस पर लाल रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है। इसे धनात्मक तार भी कहते हैं।
(ii) उदासीन तार: इस पर काले रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है। इसे ऋणात्मक तार भी कहते हैं।
(iii) भूसंपर्क तार: इस पर हरे रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है।
48. मुख्य तार या मेन्स तार किसे कहते हैं?
उत्तर:- हम अपने घरों में विद्युत शक्ति की आपूर्ति जिन दो तारों से प्राप्त करते हैं, उन्हें मुख्य तार या मेन्स तार किसे कहते हैं। इनमें से एक विद्युन्मय तार तथा दुसरा उदासीन तार होता हैं। इनपर क्रमशः लाल तथा काले रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है। विद्युत उपकरणों को इन दोनों तारों के बीच समांतरक्रम में जोड़ा जाता है। हमारे देश में इन दोनों तारों के बीच 220 V का विभवान्तर होता है।
49. अतिभारण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- जब परिपथ में विद्युत साधित्र आवश्यकता से अधिक विद्युत धारा अपनी ओर खींचते हैं तो उसे अतिभारण कहते हैं। यह तब होता है जब विद्युन्मय तार एवं उदासीन तार एक दूसरे के सीधे संपर्क में आते हैं या तारों का विद्युतरोधित परत क्षतिग्रस्त हो जाता है या साधित्र में कोई दोष होता है।
50. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:- घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए परिपथ में उचित अनुमतांक के विद्युत फ्यूज का उपयोग करना चाहिए। यह अवांछित उच्च विद्युत धारा के प्रवाह को समाप्त करके संभावित क्षति से बचाता है। साथ ही अतिभारण से बचने के लिए एक ही सॉकेट से बहुत अधिक साधित्रों को संयोजित करने से बचना चाहिए।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पाठ के प्रश्न उत्तर
51. 'लघुपथन' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- जब किसी परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है और परिपथ से बहुत अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है तो उस स्थिति को लघुपथन कहते हैं। यह परिपथ में अतिभारण के कारण होता है।
52. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर:- जब किसी विद्युत परिपथ में अतिभारण होता है तो उसके कारण विद्युत परिपथ में लघुपथन होता है। ऐसा तब होता है जब तारों का विद्युतरोधन क्षतिग्रस्त हो जाता है अथवा साधित्र में कोई दोष होता है, जिससे विद्युन्मय तार तथा उदासीन तार दोनों एक-दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं।
53. किसी भी विद्युत साधित्र के साथ श्रेणी क्रम में उपयोग किए जाने वाले फ्यूज की क्या भूमिका होती है?
उत्तर:- किसी भी विद्युत साधित्र के साथ श्रेणी क्रम में उपयोग किए जाने वाले फ्यूज साधित्रों को अतिभारण एवं लघुपथन से बचाता है। इसके लिए साधित्र के साथ उचित अनुमतांक वाले फ्यूज को श्रेणी क्रम में जोड़ना चाहिए। जब परिपथ में फ्यूज के अनुमतांक से अधिक धारा प्रवाहित होती है तो फ्यूज उड़ (पिघल) जाता है, जिससे धारा का प्रवाह रूक जाता है और साधित्र क्षतिग्रस्त होने से बच जाता है।
54. किसी निर्धारित अनुमतांक के फ्यूज को अधिक अनुमतांक के फ्यूज द्वारा प्रतिस्थापित क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर:- यदि किसी निर्धारित अनुमतांक के फ्यूज को अधिक अनुमतांक के फ्यूज द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है तो परिपथ में अनुमत धारा से अधिक मान की धारा प्रवाहित होने पर भी फ्यूज नहीं उड़ता (पिघलता), जिससे विद्युत साधित्र क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से निर्धारित अनुमतांक से अधिक अनुमतांक के फ्यूज के उपयोग की आदत से सदैव बचना चाहिए।
55. विद्युत और चुंबकत्व किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं?
उत्तर:- एक विद्युत धारावाही चालक तार अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। पुनः एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में एक कुंडली की आपेक्षिक गति कराने पर कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। इस प्रकार विद्युत और चुंबकत्व एक-दूसरे से संबंधित हैं।
यहाँ पर विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10 Physics Chapter 5 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Physics section, in which 1 question may be from the chapter “Magnetic Effect of Electric Current”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 6 marks are fixed for each of these questions.
1. धारावाही चालक के इर्द-गिर्द चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। उसे दर्शाने के लिए ऑर्स्टेड के प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर:- विद्युत धारावाही तार चुंबक की भाँति व्यवहार करता है, अर्थात जब किसी चालक तार से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसे सर्वप्रथम ओर्स्टेड ने दिखलाया था।
ओर्स्टेड का प्रयोग :- एक मोटे चालक तार AB को उत्तर-दक्षिण दिशा में एक स्विच तथा सेल के साथ समायोजित विद्युत परिपथ में जोड़ देते हैं। एक चुंबकीय सुई NS को चालक तार के नीचे रख दिया जाता है, जो पृथ्वी के चुंबकत्व के कारण उत्तर-दक्षिण दिशा में रहती है। स्विच को ऑन करने पर तार AB से विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। हम देखते हैं कि तार से धारा प्रवाहित होते ही चुंबकीय सुई विक्षेपित होकर तार के लगभग लंबवत हो जाती हैं। फिर स्विच को ऑफ करने पर चुंबकीय सुई अपने पूर्ववत स्थिति में आ जाती हैं। तार से धारा की दिशा परिवर्तित करने या चुंबकीय सुई का स्थान परिवर्तित करने पर, प्रत्येक स्थिति में चुंबकीय सुई विक्षेपित होती हैं। यह दर्शाता है कि तार AB में धारा प्रवाहित करने पर यह चुंबक की भाँति व्यवहार करता है, अर्थात धारावाही चालक के इर्द-गिर्द चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 5 प्रश्न उत्तर
2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:- चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण निम्नलिखित है –
(1) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती है।
(2) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
(3) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकल कर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती है।
(4) चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
(5) चुंबकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दर्शायी जाती है।
3. विद्युत मोटर क्या है? इसके सिद्धांत और क्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:- विद्युत मोटर एक ऐसी घूर्णन युक्ति है जिसमें विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इसका उपयोग विद्युत पंखों, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, कम्प्यूटर आदि में होता है।
विद्युत मोटर की रचना: विद्युत मोटर में किसी चुंबकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच एक नर्म लौह क्रोड पर लिपटी विद्युतरोधित तार की एक आयताकार कुंडली ABCD होती है, जिसे मोटर का आर्मेचर कहते हैं। आर्मेचर के दोनों सिरे पीतल के विभक्त वलयों P तथा Q से जुड़े होते हैं। इन वलयों को क्रमशः कार्बन ब्रुशें X तथा Y हल्के से स्पर्श करते हैं। दोनों ब्रुशों को एक बैटरी एवं एक स्विच से जोड़ देते हैं।

विद्युत मोटर का सिद्धांत: विद्युत मोटर का सिद्धांत विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है। विद्युत मोटर में लौह क्रोड पर लिपटी कुंडली अर्थात आर्मेचर से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तब मोटर के क्षेत्र चुंबक के कारण आर्मेचर एक बल का अनुभव करता है जिससे यह घूर्णन करने लगता है। आर्मेचर के घूमने की दिशा का निर्धारण फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम से होता है।
विद्युत मोटर की क्रियाविधि: जब विद्युत मोटर के आर्मेचर से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली के आमने-सामने की भुजाओं AB तथा CD में समान मान के परंतु विपरित दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। इससे विद्युत मोटर के चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के भुजाओं AB तथा CD पर समान मान के परंतु विपरित दिशा में बल लगते हैं। इनसे एक बल युग्म बनता है जिस कारण आर्मेचर घूर्णन करने लगता है। आधे घूर्णन के बाद कुंडली के भुजाओं AB तथा CD के स्थान परस्पर बदल जाते हैं। इसके साथ ही वलयों R₁ तथा R₂ के स्थान भी परस्पर बदल जाते हैं। इस तरह कुंडली के भुजाओं AB तथा CD में धारा की दिशाएँ वहीं बनी रहती है। अतः आर्मेचर पर लगा बल युग्म आर्मेचर को लगातार एक ही दिशा में (वामावर्ती या दक्षिणावर्ती) घुमाता रहता है।
Class 10 Physics Chapter 5 Question Answer in Hindi
4. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि् स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:- विद्युत जनित्र का नामांकित आरेख –

विद्युत जनित्र का बनावट :- विद्युत जनित्र में एक स्थायी चुंबक के दो ध्रुवों के बीच नर्म लौह क्रोड पर लिपटी विद्युतरोधित तार की एक आयताकार कुंडली ABCD होती हैं, जिसे जनित्र का आर्मेचर कहते हैं। आर्मेचर के के दोनों सिरें दो वलयों R₁ तथा R₂ से जुड़े होते हैं। इन वलयों को क्रमशः कार्बन ब्रुशें B₁ तथा B₂ हल्के से स्पर्श करते हैं। दोनों वलय R₁ तथा R₂ भीतर से धुरी से जुड़े होते हैं। दोनों वलयों के बीच एक गैल्वेनोमीटर को जोड़ देते हैं।
विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत :- विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित है। जब एक आयताकार कुंडली को एक समान चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो यह कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युत-धारा उत्पन्न करती है। इस विद्युत धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से प्राप्त होती है।
विद्युत जनित्र की कार्यविधि :- जब आर्मेचर को घुमाया जाता है तो कुंडली के भीतर के चुंबकीय क्षेत्र प्रत्येक क्षण परिवर्तित होते रहते हैं। जब कुंडली का AB भाग ऊपर जाता है और CD भाग नीचे आता है तो फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम के अनुसार कुंडली में ABCD के अनुदिश धारा प्रवाहित होती है। पुनः दूसरे अर्धचक्र में जब DC ऊपर तथा AB नीचे आ जाती है तो धारा DCBA के अनदिश प्रवाहित होती है। अर्थात प्रत्येक अर्द्ध घूर्णन के पश्चात् धारा की दिशा बदल जाती है। ऐसी धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहते है और इस युक्ति को प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (ac generator) कहते है।
विद्युत जनित्र में ब्रुशों का कार्य :- विद्युत जनित्र में ब्रुशों का कार्य कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा को बाहर स्थानांतरित करने में सहायता करना है।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Subjective Question Answer
5. प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा से आप क्या समझते हैं? इनमें अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:- ऐसी विद्युत धारा जो एक निश्चित समय-अंतराल पर अपनी दिशा उत्क्रमित करती रहती है, उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं और सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित विद्युत धारा को दिष्ट धारा कहते हैं। प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में अंतर निम्नलिखित हैं –
प्रत्यावर्ती धारा |
दिष्ट धारा |
1. यह एक निश्चित समय-अंतराल पर अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है। |
1. यह सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती है। |
2. इसके द्वारा विद्युत शक्ति को सूदूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा क्षय के भेजी जा सकती है। |
2. इसके द्वारा विद्युत शक्ति को सूदूर स्थानों पर भेजने पर अधिक ऊर्जा क्षय होता है। |
3. यह सर्पी वलय युक्त जनित्र से प्रेरित होता है। |
3. यह विभक्त वलय युक्त जनित्र से प्रेरित होता है। |
4. प्रत्यावर्ती धारा के स्त्रोत AC जनित्र, इन्वर्टर आदि हैं। |
4. दिष्ट धारा के स्त्रोत DC जनित्र, डायनेमो, सेल आदि हैं। |
5. प्रत्यावर्ती धारा को आसानी से दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जा सकता है। |
5. दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में परिवर्तित करने में कठिनाई होती है। |
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6. विद्युत चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक में किस प्रकार का लोहा प्रयुक्त होता है? दोनों तरह के चुम्बक में अंतर बताएँ।
उत्तर:- विद्युत-चुम्बक बनाने में नरम लोहा प्रयुक्त होता है, वहीं स्थायी चुम्बक बनाने में इस्पात (लोहे का मिश्रधातु) प्रयुक्त होता है।
विद्युत चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक में अंतर –
विद्युत चुम्बक |
स्थायी चुम्बक |
1. ये अस्थायी रूप से चुम्बकित होते हैं। |
1. ये स्थायी रूप से चुम्बकित होते हैं। |
2. ये सामान्यतः पर नरम सामग्री से बने होते हैं। |
2. ये सामान्यतः पर कठोर सामग्रियों से बने होते हैं। |
3. विद्युत चुंबक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की मात्रा को परिवर्तित कर इसकी ताकत को बदला जा सकता है। |
3. स्थायी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की ताकत स्थिर होती है। अर्थात इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। |
4. धारा की दिशा बदल कर इसके ध्रुवों को परिवर्तित किया जा सकता है। |
4. इसके ध्रुवों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। |
5. विद्युत चुम्बक का उदाहरण एक कील पर लपेटी हुई परिनालिका है, जिसे बैटरी से जोड़ दिया जाता है। |
5. स्थायी चुंबक का उदाहरण बार चुंबक है। |