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परिवहन जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 Question Answer: Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th Biology Chapter-3 “Transportation”. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले परिवहन पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10th Biology Chapter 3 Question Answer (Short Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Biology section, in which at least 1 question from the chapter “Transportation” is definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 Question Answer
1. रक्त क्या है? इसका कौन-सा घटक गैसीय परिवहन में सहायक है?
उत्तर:- रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है। यह श्वसन गैसों, पचे हुए भोजन, हार्मोन और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में संवहन करता है। इसका तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है जिसमें ठोस कण RBC, WBC तथा प्लेटलेट्स निलंबित रहते हैं। RBC में हीमोग्लोबिन पाया जाता है और यही घटक गैसीय परिवहन में सहायक होता है।
2. हीमोग्लोबिन का महत्त्व क्या है?
उत्तर:- हीमोग्लोबिन एक लौह युक्त प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिका में पाया जाता है। यह ऑक्सीजन को (ऑक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में) फेफड़े से शरीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाता है और वहाँ से कार्बन डाइऑक्साइड को (कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में) वापस फेफड़े तक लाता है। इस तरह हीमोग्लोबिन का हमारे शरीर में बहुत महत्त्व है।
3. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:- हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के कमी हो जाने पर श्वसन क्रिया प्रभावित होगी। हीमोग्लोबिन की कमी होने से कोशिकाओं तक कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचेगा। इससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन कम हो जाएगा। परिणामस्वरूप व्यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस होगी।
4. हृदय क्या है? हमारे शरीर में इसका क्या कार्य है?
उत्तर:- हृदय एक पेशीय अंग है जो वक्षगुहा के मध्य में पसलियों के नीचे तथा दोनों फेफड़ों के बीच स्थित होता है। ऑक्सीजनित रुधिर को विऑक्सीजनित रुधिर में मिलने से रोकने के लिए यह चार कोष्ठों में बँटा होता है। हमारे शरीर में इसका कार्य ऑक्सीजनित रुधिर को फेफड़ों से ग्रहण कर शरीर के विभिन्न अंगों में पंपित करना तथा विऑक्सीजनित रुधिर को शरीर के विभिन्न अंगों से ग्रहण कर फेफड़ों में पंपित करना है।
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 प्रश्न उत्तर
5. हृदय के चार कक्ष होने के क्या लाभ है?
उत्तर:- हृदय के चार कक्ष होने से ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर आपस में कभी नहीं मिल पाते हैं। इससे ऑक्सीजनित रुधिर निर्बाध रूप से शरीर के सभी अंगों तक पहुँचता रहता है। पक्षी तथा स्तनधारी जैसे प्राणियों के लिए यह व्यवस्था लाभदायक है, क्योंकि उन्हें अपने शरीर का तापक्रम सामान्य बनाए रखने के लिए निरंतर उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
6. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:- स्तनधारी तथा पक्षियों अपने शरीर का तापक्रम सामान्य बनाए रखने के लिए निरंतर उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है। शरीर में निरंतर ऊर्जा उत्पादन के लिए यह आवश्यक है कि कोशिकाओं तक ऑक्सीजन निर्बाध रूप से पहुँचती रहे। इसके लिए ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है। इस तरह का बँटवारा शरीर को दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है।
7. रक्त का द्विगुण परिवहन क्या है?
उत्तर:- हमारे शरीर में रक्त परिसंचरण के एक चक्र में रक्त हृदय से होकर दो बार गुजरता है। एक बार ऑक्सीजनित रक्त के रूप में हृदय के बायें अर्धांश से होकर, और दूसरी बार विऑक्सीजनित रक्त के रूप में हृदय के दायें अर्धांश से होकर। इसे ही रक्त का द्विगुण परिवहन या दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
8. रक्तदाब क्या है? हमारे शरीर का सामान्य रक्तदाब कितना होता है?
उत्तर:- रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। धमनियों के अंदर रुधिर का दाब प्रकुंचन तथा शिराओं के अंदर अनुशिथिलन कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब 120 mm (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब 80 mm (पारा) होता है। अतः हमारे शरीर का सामान्य रक्तदाब 120 mm / 80 mm (पारा) होता है।
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 के महत्वपूर्ण प्रश्न
9. धमनी तथा शिरा में अंतर बताइए।
उत्तर:- धमनी तथा शिरा में अंतर है –
धमनी |
शिरा |
1. इनकी भित्ति मोटी, प्रत्यास्थ और कपाटहीन होती है। |
1. इनकी भित्ति पतली, अप्रत्यास्थ और कपाटयुक्त होती है। |
2. ये रुधिर को हृदय से शरीर के सभी अंगों तक ले जाती हैं। |
2. ये रुधिर को शरीर के सभी अंगों से एकत्रित कर वापस हृदय में लाती हैं। |
3. इनमें ऑक्सीजनित रक्त प्रवाहित होती है (अपवाद: फुफ्फुस धमनी)। |
3. इनमें विऑक्सीजनित रक्त प्रवाहित होती है (अपवाद: फुफ्फुस शिरा)। |
4. इसमें रक्तदाब अपेक्षाकृत अधिक होता है। |
4. इसमें रक्तदाब अपेक्षाकृत कम होता है। |
10. धमनियों की अपेक्षा शिराओं की भित्तियाँ पतली क्यों होती हैं?
उत्तर:- धमनियाँ रुधिर को हृदय से उच्च दाब के साथ शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं और इसीलिए उनकी भित्तियाँ मोटी और प्रत्यास्थ होती हैं। जबकि शिराएँ रुधिर को विभिन्न अंगों से वापस हृदय में लाती हैं। यह रुधिर प्रवाह बिना किसी दाब के होता है और इसीलिए शिराओं की भित्तियाँ धमनियों की अपेक्षा पतली एवं कपाटयुक्त होती हैं ताकि रुधिर का प्रवाह केवल एक ही दिशा में हो सके।
11. रक्त प्लेटलेट्स की रक्त जमने में क्या भूमिका है?
उत्तर:- रक्त प्लेटलेट्स की रक्त जमने में महत्वपूर्ण भूमिका है। रक्त प्लेटलेट्स कोशिकाएँ पूरे शरीर में भ्रमण करती रहती हैं और रक्तस्राव के स्थान पर रक्त का थक्का बनाकर मार्ग अवरूद्ध कर देती है। इससे रक्तस्राव रूक जाता है।
12. रुधिर में पट्टिकाएँ न हो तो क्या होगा?
रुधिर में पट्टिकाओं की अनुपस्थिति में रुधिर की थक्कन-प्रक्रिया (रक्त जमने की प्रक्रिया) प्रभावित होगी। फलस्वरूप रक्तस्राव बंद नहीं होगा। अधिक रक्तस्राव होने पर मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
13. लसीका क्या है? इसके कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:- रक्त जब ऊतक की कोशिकाओं से होकर गुजरता है तब रक्त से कुछ प्लाज्मा, प्रोटीन एवं रक्त कोशिकाएँ बाहर निकल जाते हैं। इस तरल को ऊतक द्रव या लसीका कहते हैं। हीमोग्लोबिन की अनुपस्थिति के कारण यह रंगहीन दिखता है।
कार्य:- लसीका रक्त एवं कोशिकाओं के बीच पोषक पदार्थ एवं गैस का आदान-प्रदान करता है और अवशोषित वसा का वहन करता है। यह शरीर की संक्रमण से रक्षा भी करता है।
Biology Class 10 Chapter 3 Question Answer
14. रक्त एवं लसीका में अंतर बतायें।
उत्तर:- रक्त एवं लसीका में अंतर –
रक्त |
लसीका |
1. इसमें RBC उपस्थित रहता है। |
1. इसमें RBC अनुपस्थित रहता है। |
2. यह शरीर की सभी कोशिकाओं तक श्वसन गैसों तथा पोषक पदार्थ को पहुँचाता हैं। |
2. यह रक्त एवं कोशिकाओं के बीच श्वसन गैसों तथा पोषक पदार्थ का आदान-प्रदान करती हैं। |
3. यह लाल रंग का दिखाई देता है। |
3. यह रंगहीन होता है। |
15. साइनोऑरिकुलर नोड क्या है?
उत्तर:- हृदय का लयबद्ध संकुचन एक विशेष प्रकार के तंत्रिका-ऊतक द्वारा आरंभ और बनाए रखा जाता हैं। उसे साइनोऑरिकुलर नोड या S–A नोड कहते हैं। इसे पेसमेकर भी कहा जाता है। इससे हमारी सामान्य हृदय स्पंदन दर 70-75 प्रति मिनट बना रहता है।
16. प्राणियों की अपेक्षा पौधों की ऊर्जा आवश्यकताएँ कम होती है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- पौधे एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं आते-जाते। साथ ही पौधे के बृहत् शरीर में स्क्लेरेंकाइमा जैसी अनेक मृत कोशिकाएँ होती हैं, जिन्हें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं है। जबकि प्राणी विचरण करते हैं और उनमें मृत कोशिकाएँ बहुत कम होती हैं। इस कारण प्राणियों की तुलना में पौधों को कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
17. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या है?
उत्तर:- उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक जाइलम तथा फ्लोएम ऊतक है। जाइलम ऊतक जल तथा घुलित खनिज लवणों का परिवहन करते हैं और फ्लोएम ऊतक प्रकाश संश्लेषण के विलेय उत्पादों का स्थानान्तरण करते हैं।
18. रसारोहण क्या है?
उत्तर:- पौधों के जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं घुलनशील खनिज लवणों को उपरिमुखी गति द्वारा पत्तियों तक पहुँचाने की क्रिया को रसारोहण कहते हैं। यह क्रिया पौधों में जाइलम वाहिनियों के द्वारा होती है।
19. जड़ों के जाइलम में जल क्यों और कैसे अविच्छिन्न रूप से चढ़ता जाता है?
उत्तर:- जड़ों की कोशिकाएँ मिट्टी के संपर्क में होती हैं और इसीलिए वे आयनों को तेजी के साथ ग्रहण कर लेती हैं। इससे जड़ के भीतर आयन-सांद्रता मृदा की आयन-सांद्रता की अपेक्षा बढ़ जाती है। इस आयन-सांद्रता को बराबर करने के लिए मिट्टी में से जल जड़ों के भीतर तेजी से आने लगता है, और यह प्रक्रिया सतत् रूप से होती रहती है।
परिवहन जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 Question Answer
20. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर:- पादप के जड़ों में उपस्थित जाइलम कोशिकाएँ मृदा से जल और खनिज लवण प्राप्त करती हैं और उन्हें ऊपर की ओर धकेलती हैं। पादप के वायवीय भागों में होनेवाला वाष्पोत्सर्जन से कोशिकाओं में एक चूषण उत्पन्न होता है जो जल को अपनी ओर खींचता है। इस प्रकार, पादप में जाइलम वाहिकाओं द्वारा जल और खनिज लवण का वहन जड़ से पत्तियों तक होता है।
21. पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन क्यों महत्वपूर्ण होता है?
उत्तर:- पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जड़ों से जल एवं खनिज लवणों के अवशोषण और उनकी पत्तियों तक ऊपर की ओर गति में सहायता करता है। साथ ही, इसके कारण पौधे के विभिन्न भाग गर्म भी नहीं हो पाते।
22. पौधों में भोजन का स्थानान्तरण कैसे होता है?
उत्तर:- पौधों में भोजन का स्थानान्तरण सुक्रोज के रूप में फ्लोएम ऊतक द्वारा होता है। प्रकाश-संश्लेषण द्वारा निर्मित भोजन ATP की ऊर्जा का प्रयोग करके फ्लोएम की चालनी नलिकाओं में स्थानांतरित होता है। इससे फ्लोएम ऊतक का परासरण दाब बढ़ जाता है और इसमें जल प्रवेश कर जाता है। इस दाब के कारण निर्मित भोजन फ्लोएम ऊतक द्वारा पौधों के प्रत्येक वांछित भागों (निम्न दाब क्षेत्रों) तक पहुँचाया जाता है।
23. वाष्पोत्सर्जन एवं स्थानांतरण में अंतर लिखें।
उत्तर:- वाष्पोत्सर्जन एवं स्थानांतरण में अंतर –
वाष्पोत्सर्जन |
स्थानांतरण |
1. पौधों के वायवीय भागों से रंध्रों द्वारा वाष्प के रूप में जल के निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। |
1. पौधों के विभिन्न भागों में प्रकाश-संश्लेषित उत्पाद का विलेय रूप में वहन को स्थानांतरण कहा जाता है। |
2. वाष्पोत्सर्जन सदैव गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध होता है। |
2. स्थानांतरण सदैव गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध नहीं होता है। |
3. वाष्पोत्सर्जन में मुख्य रूप से जाइलम कोशिकाएँ शामिल होती हैं। |
3. स्थानांतरण में जाइलम और फ्लोएम दोनों प्रकार की कोशिकाएँ शामिल होती हैं। |
24. जाइलम तथा फ्लोएम ऊतकों में क्या अंतर है?
उत्तर:- जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नलिखित अंतर है –
जाइलम |
फ्लोएम |
1. जाइलम की कोशिकाएँ मृत होती है। |
1. फ्लोएम की कोशिकाएँ जीवित होती है। |
2. जाइलम में वहन केवल ऊपर की दिशा में (एकदिशीय) होता है। |
2. फ्लोएम में वहन ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में (द्विदिशीय) होता है। |
3. यह जल एवं घुलित खनिज लवणों का परिवहन करता है। |
3. यह विलेय रूप में सूक्रोज तथा अमीनों अम्ल का स्थानांतरण करता है। |
यहाँ पर परिवहन अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम परिवहन अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10 Biology Chapter 3 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Biology section, in which 1 question may be from the chapter “Transportation”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 5 marks are fixed for each of these questions.
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 नोट्स
1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:- मानव में वहन तंत्र के घटक हृदय, रुधिर, रुधिर वाहिकाएँ और लसीका है। हृदय का कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन मिश्रित रुधिर प्राप्त कर इसे पूरे शरीर में पंप करना है और शरीर के विभिन्न अंगों से विऑक्सीजनित रुधिर प्राप्त कर इसे ऑक्सीकरण के लिए फेफड़ों में भेजना है। रुधिर का कार्य श्वसन गैसों, पचे हुए भोजन, हार्मोन और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में पहुँचाना हैं। रुधिर वाहिकाओं का कार्य पूरे शरीर में रुधिर का परिवहन करना है। लसीका का कार्य रुधिर एवं कोशिकाओं के बीच पोषक पदार्थ एवं गैस का आदान-प्रदान करना और अवशोषित वसा का वहन करना है।
2. रुधिर क्या है? इसके घटक कौन-से हैं और इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:- रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक है। यह हमारे शरीर में श्वसन गैसों, पचे हुए भोजन, हार्मोन और उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन करता है। रुधिर के दो प्रमुख घटक होते हैं – (1) प्लाज्मा और (2) कणिकाएँ।
रुधिर के घटकों के कार्य –
(1) प्लाज्मा का कार्य:- रुधिर का तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है जिसमें ठोस कण (RBC, WBC तथा प्लेटलेट्स) निलंबित रहते हैं। यह भोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ का विलीन रूप में वहन करता है।
(2) कणिकाओं का कार्य:- रुधिर का ठोस भाग जिसमें लाल रक्त कोशिकाएँ, श्वेत रक्त कोशिकाएँ तथा रक्त पट्टिकाणु होते हैं, कणिकाएँ कहलाती है। लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का कार्य ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का वहन करना है। श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC) का कार्य रुधिर को स्वच्छ रखना और रोग-प्रतिरोधक के रूप में कार्य करना है। वहीं, रक्त पट्टिकाणु का कार्य रक्तस्राव के स्थान पर रक्त का थक्का बनाकर इसके मार्ग को अवरूद्ध करना है।
Class 10 Biology Transportation VVI Question Answer in Hindi
3. लाल रक्त कोशिका तथा श्वेत रक्त कोशिका में अंतर बताइए।
उत्तर:- लाल रक्त कोशिका तथा श्वेत रक्त कोशिका में निम्नलिखित अंतर है –
लाल रक्त कोशिका |
श्वेत रक्त कोशिका |
1. इसमें हीमोग्लोबिन उपस्थित रहता है। |
1. इसमें हीमोग्लोबिन अनुपस्थित रहता है। |
2. यह श्वसन गैसों, लवण आदि का परिवहन करता है। |
2. यह रोग-प्रतिरोधक का कार्य करता है। |
3. यह लाल रंग का दिखाई देता है। |
3. यह रंगहीन दिखाई देता है। |
4. इसका जीवन-काल 120 दिन होता है। |
4. इसका जीवन-काल 12 से 20 दिन होता है। |
5. इसमें केन्द्रक नहीं पाया जाता है। |
5. इसमें केन्द्रक पाया जाता है। |
6. रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है। |
6. रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है। |
7. रक्त में एक ही प्रकार की लाल रक्त कोशिकाएँ पायी जाती है। |
7. रक्त में विभिन्न प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएँ पायी जाती है। |
4. मानवों में हृदय में से होकर रुधिर-प्रवाह का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- मानव हृदय ऑक्सीजनित रूधिर को विऑक्सीजनित रूधिर से मिलने को रोकने के लिए चार कोष्ठो में बँटा होता है। ये चार कोष्ठ है – दायाँ अलिंद, बायाँ अलिंद, दायाँ निलय और बायाँ निलय।
हृदय में से होकर ऑक्सीजनित रुधिर का प्रवाह –
ऑक्सीजन मिश्रित रुधिर फेफड़ों से फुफ्फुस शिरा द्वारा हृदय में बायीं ओर स्थित ऊपरी कोष्ठ बायाँ अलिंद, में आता है। इस रूधिर को एकत्र करते समय बायाँ अलिंद शिथिल रहता है। जब नीचे वाला संगत कोष्ठ, बायाँ निलय फैलता है तो बायाँ अलिंद संकुचित होता है और रुधिर को बायाँ निलय में स्थानांतरित कर देता है। अपनी बारी पर जब बायाँ निलय संकुचित होता है, तब ऑक्सीजनित रुधिर महाधमनी से होते हुए शरीर के विभिन्न अंगों में पंपित हो जाता है।
हृदय में से होकर विऑक्सीजनित रुधिर का प्रवाह –
हृदय में दायीं ओर स्थित ऊपरी कोष्ठ दायाँ अलिंद, जब फैलता है तो शरीर से विऑक्सीजनित रुधिर महाशिरा के माध्यम से इसमें आ जाता हैं। जब दायाँ अलिंद संकुचित होता है तो नीचे वाला संगत कोष्ठ, दायाँ निलय, फैल जाता है और रुधिर दायाँ अलिंद से दायाँ निलय में स्थानांतरित होता है। दायाँ निलय संकुचित होकर इस रुधिर को फुफ्फुस धमनी के माध्यम से ऑक्सीकरण हेतु फेफड़ों में पंपित कर देता है।
अलिंदों और निलयों में वाल्व पाया जाता है जो इनके संकुचित होने पर विपरित दिशा में रुधिर के प्रवाह को रोकते हैं।
फेफड़े → फुफ्फुस शिरा → बायाँ अलिंद → बायाँ निलय → महाधमनी → धमनियाँ → कोशिकाएँ → शिराएँ → महाशिरा → दायाँ अलिंद → दायाँ निलय → फुफ्फुस धमनी → फेफड़े
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5. मानव हृदय का नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर:- मानव हृदय का नामांकित चित्र –
6. मनुष्य में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:- मनुष्य में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन रुधिर में उपस्थित हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन के द्वारा होता है।
ऑक्सीजन का परिवहन:
श्वास द्वारा ली गई वायु कंठ से होते हुए फेफड़ों में प्रवाहित होती है। फेफड़े के अंदर रक्त का हीमोग्लोबिन वायु के ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन नामक यौगिक बनाता है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन युक्त रक्त फेफड़े से हृदय में पहुँचता है जिसे हृदय द्वारा शरीर के सभी भागों में पंप कर दिया जाता है। इस प्रकार ऑक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में ऑक्सीजन मिश्रित रक्त शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है। यहाँ ऑक्सीहीमोग्लोबिन टूटकर हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन देता है, जिसका उपयोग श्वसन प्रक्रिया के माध्यम से भोजन-अणुओं को ऑक्सीकृत करके ऊर्जा उत्पादन किया जाता है।
कार्बन-डाइऑक्साइड का परिवहन:
जब रक्त कोशिकाओं को सारी ऑक्सीजन दे देता है, तो श्वसन प्रक्रम में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में घुल जाती है। रक्तचाप के कारण यह रक्त इसी रूप में हृदय में पहुँचता है, जहाँ से इसे फेफड़ों में पंप किया जाता है। फेफड़े द्वारा कार्बन-डाइऑक्साइड को रक्त से अलग कर दिया जाता है जिसे नासिका द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 3 नोट्स PDF
7. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:- हमारे हृदय का बायाँ अलिंद फेफड़ों से ऑक्सीजनित रुधिर प्राप्त करता है और संकुचित होकर बायाँ निलय में स्थानांतरित कर देता है। बायाँ निलय इस रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में पंपित कर देता है। ये रुधिर शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन प्रदान कर उनसे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं। पुनः कार्बन डाइऑक्साइड मिश्रित रुधिर ह्रदय के दायाँ अलिंद में वापस लाया जाता है। दायाँ अलिंद संकुचित होकर इस रुधिर को दायाँ निलय में स्थानांतरित करता है। दायाँ निलय इस रुधिर को ऑक्सीकरण हेतु फेफड़ों में पंपित कर देता है। इस प्रकार रक्त परिसंचरण के एक चक्र में रुधिर हृदय से होकर दो बार गुजरता है। इसे ही मनुष्य में रुधिर का दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
मनुष्य में दोहरा परिसंचरण ऑक्सीजनित रुधिर और विऑक्सीजनित रुधिर को अलग-अलग रखता है और इन्हें आपस में मिलने से रोकता है। यह बँटवारा शरीर की सभी कोशिकाओं तक दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। इससे कोशिकाओं द्वारा निरंतर ऊर्जा का उत्पादन होता रहता है जो मनुष्य के शरीर का तापक्रम सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
8. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर:- जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नलिखित अंतर है –
जाइलम में वहन |
फ्लोएम में वहन |
1. जाइलम में जल तथा विलेय खनिज लवणों का वहन होता है। |
1. फ्लोएम में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा उत्पादित भोजन, अमीनों अम्ल आदि का वहन होता है। |
2. जाइलम में केवल उपरिमुखी दिशा में वहन होता है। |
2. फ्लोएम में उपरिमुखी और अधोमुखी दोनों दिशाओं में वहन होता है। |
3. जाइलम में वहन की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है। |
3. फ्लोएम में वहन की प्रक्रिया स्थानांतरण कहलाती है। |
4. जाइलम में वहन की प्रक्रिया मूलदाब तथा वाष्पोत्सर्जन कर्षण के द्वारा होता है। |
4. फ्लोएम में वहन की प्रक्रिया में एटीपी से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग होता है। |