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समाजवाद एवं साम्यवाद Class 10 History Chapter 2 Question Answer: Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th History Chapter-2 “Socialism And Communism”. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 इतिहास अध्याय 2 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले “समाजवाद एवं साम्यवाद” अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi (Short Answer Type)
In the annual board examination of Social Science subject, 6 short answer type questions are asked in History section, in which at least 1 question may be from the chapter “Samajvad Evam Samyavad”. Out of these 6 questions, only 3 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi
1. पूँजीवाद क्या है?
उत्तर:- औद्योगिक क्रांति के दौरान उद्योगों का मशीनीकरण उन लोगों ने ही किया जिनके पास पूँजी अर्थात धन था। इस प्रकार से उत्पादन के सभी साधनों एवं लाभों पर पूँजीपतियों ने अपना अधिकार जमा लिया। इससे एक नई आर्थिक व्यवस्था का उदय हुआ जिसे पूँजीवादी व्यवस्था या पूँजीवाद कहा गया।
2. समाजवाद क्या है? कुछ प्रमुख समाजवादियों के नाम का उल्लेख करें।
उत्तर:- समाजवाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों एवं लाभों पर सरकार का एकाधिकार होता है। यह धन के समान वितरण पर जोर देता है और शोषण मुक्त समाज की स्थापना करता है। कुछ प्रमुख समाजवादियों के नाम हैं – सेन्ट साइमन, चार्ल्स फौरियर, लुई ब्लां, रॉबर्ट ओवन, कार्ल मार्क्स और एंगेल्स।
3. समाजवाद की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:- औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप सभी साधनों एवं लाभों पर पूँजीपतियों का नियंत्रण हो गया। वे अधिक उत्पादन के लिए श्रमिकों का शोषण करने लगे। इससे श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का पतन होने लगा। उसी समय सेंट साइमन, रॉबर्ट ओवन, कार्ल मार्क्स आदि ने श्रमिकों की स्थिति को सुधारने के लिए एक नवीन विचारधारा का प्रतिपादन किया, जिसे ‘समाजवाद’ के नाम से जाना जाता है।
4. औद्योगिक क्रांति ने उस समय के आर्थिक एवं समाजिक व्यवस्था को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर:- औद्योगिक क्रांति ने सभी देशों की आर्थिक एवं समाजिक व्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन लाया। पारंपरिक कुटीर उद्योग-धंधों के स्थान पर विशाल पैमाने पर उद्योगों का मशीनीकरण किया गया। इससे उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई और आर्थिक व्यवस्था मजबूत हुई। परंतु इसके साथ ही समाज दो वर्गों में बँट गया – पूँजीपति और श्रमिक। पूँजीपती अधिक उत्पादन के लिए श्रमिकों का शोषण करने लगे। जिससे श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का तेजी से पतन होने लगा।
5. कार्ल मार्क्स कौन था? उसके योगदानों को संक्षेप में लिखें।
उत्तर:- कार्ल मार्क्स एक महान दार्शनिक, सामाजिक चिंतक और लेखक था। उसने अपने मित्र एंगेल्स के साथ मिलकर 1848 ई० में एक ‘साम्यवादी घोषणा पत्र’ का प्रकाशन किया, जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। इस घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। मार्क्स ने 1867 ई० में ‘दास-कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की, जिसे ‘समाजवादियों की बाइबिल’ कहा जाता है।
कक्षा 10 इतिहास अध्याय 2 Question And Answer
6. कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों का उल्लेख करें।
उत्तर:- कार्ल मार्क्स के सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
(i) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
(ii) वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
(v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना
7. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे?
उत्तर: औद्योगिक क्रांति के बाद समाज दो वर्गों (पूँजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग) में बँट गया था। संपत्ति और उत्पादन के साधनों पर पूँजीपतियों का अधिकार था और श्रमिकों का लगातार शोषण हो रहा था। इस समय साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था के रूप में उभर कर आया। इसके अंतर्गत एक वर्गहीन समाज की कल्पना की गई और निजी संपत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया गया। उत्पादन के सभी साधनों और संपत्तियों पर राज्य का अधिकार हो गया।
8. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर: रूसी क्रांति के दो कारण निम्नलिखित हैं।
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन:- जार निकोलस द्वितीय को आम लोगों के सुख-दुख की कोई चिंता नहीं थी। उसने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। उसके अधिकारी अस्थिर, अयोग्य और अकुशल थे।
(ii) रूस की प्रथम विश्व युद्ध में पराजय:- रूस प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ। परंतु अच्छे हथियार और पर्याप्त भोजन की सुविधा न होने के कारण रूस पराजित हुआ।
9. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर: क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। सन् 1861 में अलेक्जेंडर द्वितीय द्वारा कृषक दासता अवश्य समाप्त कर दी गई थी, परन्तु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। उनके खेत बहुत छोटे-छोटे थे, जिन पर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था और वे करों के बोझ से भी दबे हुए थे।
10. क्रांति से पूर्व रूसी श्रमिकों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:- क्रांति से पूर्व रूसी श्रमिकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें कम मजदूरी के बदले अधिक काम करना पड़ता था। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उनके पास कोई राजनैतिक अधिकार नहीं थे। वे अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल भी नहीं कर सकते थे। कुल मिलाकर श्रमिकों का पूँजीवादी वर्ग द्वारा केवल शोषण हो रहा था और सरकार भी इनकी मदद नहीं कर रही थी।
Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi pdf
11. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?
उत्तर:- सोवियत रूस में स्लाव जाति के लोगों के अतिरिक्त फिन, पोलो, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी रहते थे। ये सभी भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे तथा इनका रस्म-रिवाज भी भिन्न-भिन्न था। जार निकोलस द्वितीय ने रूसीकरण की नीति द्वारा देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इसका विद्रोह करने पर अल्पसंख्यकों का निर्दयतापूर्वक दमन किया गया। इससे रूसी राजतंत्र के प्रति अल्पसंख्यकों का आक्रोश बढ़ा, जो क्रांति का एक मुख्य कारण बना।
12. बोल्शेविक क्रांति के दो तात्कालिक कारण बताइए।
उत्तर: 1917 में हुई रूसी क्रांति या बोल्शेविक क्रांति के निम्नलिखित दो तात्कालिक कारण थे।
(i) जार निकोलस द्वितीय की निरंकुशता और अयोग्य शासन- जार निकोलस द्वितीय को आम लोगों के सुख-दुख की कोई चिंता नहीं थी। उसने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। उसके अधिकारी अस्थिर, अयोग्य और अकुशल थे।
(ii) रूस की प्रथम विश्व युद्ध में पराजय- रूस प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ। परंतु अच्छे हथियार और पर्याप्त भोजन की सुविधा न होने के कारण रूस पराजित हुआ।
13. खूनी रविवार क्या है?
उत्तर: 1905 के ऐतिहासिक रूस-जापान युद्ध में रूस के बुरी तरह पराजित होने पर जनता में असंतोष फैल गया। 9 जनवरी 1905 (नये कैलेंडर के अनुसार, 22 जनवरी 1905) को लोगों का समूह ‘रोटी दो’ के नारे लगाते हुए सेंट पीट्सबर्ग स्थित महल की बढ़ने लगा। जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाई, जिसमें हजारों लोग मारे गए। तब से ही रूस के इतिहास में 22 जनवरी के दिन को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
14. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया, कैसे?
उत्तर:- अच्छे हथियार और पर्याप्त भोजन की सुविधा न होने के कारण प्रथम विश्व युद्ध में चारों तरफ रूसी सेनाओं की पराजय हो रही थी। युद्ध के मध्य जार निकोलस II ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया। जार की अनुपस्थिति में जरीना (जार निकोलस II की पत्नी) तथा उसके गुरु रासपुटिन (पादरी) को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया, जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई। इससे रूसी लोगों का आक्रोश चरम सीमा पर पहुँच गया। इस प्रकार से प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।
15. अक्टूबर क्रांति से आप क्या समझते हैं?
अथवा, बोल्शेविक क्रांति क्या है?
उत्तर: लेनिन के नेतृत्व में 7 नवंबर 1917 (पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 25 अक्टूबर 1917) को बोल्शेविकों ने प्रदर्शन करते हुए बलपूर्वक केरेन्सकी की सरकार का तख्तापलट कर दिया। इस महान क्रांति को बोल्शेविक क्रांति कहते हैं। चूंकि पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार यह क्रांति 25 अक्टूबर 1917 को संपन्न हुई थी। इसलिए इसे अक्टूबर क्रांति भी कहा जाता है।
समाजवाद एवं साम्यवाद प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10
16. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:- समाज का ऐसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर एवं आम गरीब लोग शामिल हो, उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं। अर्थात सर्वहारा वर्ग समाज के निचले क्रम के लोगों का समूह है, जो शोषित और पीड़ित होते हैं।
17. मार्च क्रांति के बाद केरेंसकी के नेतृत्व में बनी सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: बुर्जुआ सरकार के पतन के बाद केरेंसकी के नेतृत्व में एक उदार समाजवादियों की सरकार गठित हुई। इस सरकार की स्थापना का मूल उद्देश्य था - मित्र राष्ट्रों से सहयोग, निजी संपत्ति के अधिकार की रक्षा, संविधान सभा द्वारा भूमि-समस्या का निदान, अधिकृत भूमि के लिए मुआवजा तथा निर्वाचित संविधान सभा द्वारा शासन में परिवर्तन लाना। किंतु उसने ऐसा नहीं किया। इस कारण साम्यवादी उसका भी विरोध करने लगे।
18. 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:- 1917 ई० की बोल्शेविक क्रांति बीसवीं शताब्दी के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस क्रांति के परिणामस्वरूप रूस में जारशाही की निरंकुशता समाप्त हुई। इसने सामाजिक, आर्थिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में कुलीनों, पूँजीपतियों और जमींदारों की शक्ति का अंत कर किसानों और मजदूरों की सत्ता को स्थापित किया। इस क्रांति ने एक नई राजनीतिक व्यवस्था ‘साम्यवाद’ का आदर्श उपस्थित करने के साथ-साथ विश्व में पहली बार सर्वहारा वर्ग की सत्ता की स्वीकृति का प्रयास किया।
19. नई आर्थिक नीति क्या थी? इसे किसने और क्यों लागू किया था?
उत्तर:- नई आर्थिक नीति आर्थिक सुधारों की एक नीति है जिसे रूसी शासक लेनिन ने 1921 ई० में लागू किया था। लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यवहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने अनुभव किया कि देश में तत्काल पूरी तरह से समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ पूरी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है। इसलिए उसने 1921 में मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करते हुए नई आर्थिक नीति की घोषणा की।
20. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था, कैसे?
उत्तर:- नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था। इसे हम निम्नलिखित तथ्यों से समझ सकते हैं।
(i) मार्क्सवादी सिद्धांतों के अनुसार जमीन पर राज्य का नियंत्रण होता है। परंतु नई नीति के द्वारा व्यवहार में जमीन किसानों की हो गई, फिर भी यह सिद्धांत रखा गया कि जमीन राज्य की है।
(ii) मार्क्सवाद उद्योगों के निजीकरण का विरोध करता है। परंतु नई आर्थिक नीति द्वारा 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया। साथ ही निर्णय एवं क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छूट दी गई।
कक्षा 10 इतिहास अध्याय 2 समाजवाद एवं साम्यवाद प्रश्न उत्तर
21. लेनिन का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर: लेनिन एक रूसी साम्यवादी क्रान्तिकारी था। रूस के राजनीतिक मंच पर लेनिन का प्रादुर्भाव फरवरी क्रांति के पश्चात् हुआ। उसने रूसी लोगों को एक और क्रांति के लिए उकसाया। 7 नवंबर 1917 को सेना और जनता की सहायता से उसने केरेन्सकी सरकार का तख्तापलट कर दिया। रूस का शासक बनने के बाद लेनिन ने नया संविधान लागू किया और सदैव रूस के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयास किया। 1921 में उसने नई आर्थिक नीति लागू की। 1924 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।
22. लेनिन द्वारा नई आर्थिक नीति की घोषणा क्यों की गई?
उत्तर: लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यवहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने अनुभव किया कि देश में तत्काल पूरी तरह से समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ पूरी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है। इसलिए उसने 1921 में मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करते हुए एक नई नीति की घोषणा की, जिसे नई आर्थिक नीति कहा गया।
23. रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर: रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। इसके दो उदाहरण हैं –
(i) रूसी क्रांति के बाद विश्व दो अलग-अलग विचारधारा गुटों में विभाजित हो गया – साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व।
(ii) इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद से मुक्ति को प्रोत्साहन दिया।
24. शीत युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:- शीत युद्ध पूँजीवादी गुट और साम्यवादी गुट के बीच वैचारिक युद्ध था। पूँजीवादी गुट का नेता संयुक्त राज्य अमेरिका था और साम्यवादी गुट का नेता सोवियत रूस था। इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् हुई और यह आगामी चार दशकों तक चलती रही।
यहाँ पर समाजवाद एवं साम्यवाद अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम समाजवाद एवं साम्यवाद अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
बिहार बोर्ड इतिहास कक्षा 10 अध्याय 2 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Social Science subject, 2 long answer type questions are asked in History section, in which 1 question may be from the chapter “Socialism And Communism”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 4 marks are fixed for each of these questions.
समाजवाद एवं साम्यवाद प्रश्न उत्तर Class 10
1. यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर: सेन्ट साइमन, चार्ल्स फौरियर, लुई ब्लां और रॉबर्ट ओवन यूटोपियन समाजवादी थे। इनके विचारों का वर्णन निम्नलिखित हैं।
सेंट साइमन:– सेंट साइमन एक फ्रांसीसी विचारक और प्रथम यूटोपियन (स्वप्नदर्शी) समाजवादी था। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार’। आगे यही समाजवाद का मूलभूत नारा बना।
चार्ल्स फौरियर:– चार्ल्स फौरियर आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी था। उसका मानना था कि श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिए।
लुई ब्लां:– लुई ब्लां एकमात्र फ्रांसीसी यूटोपियन विचारक था, जिसने राजनीति में भी हिस्सा लिया था। उसका मानना था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है।
रार्बट ओवन:– रार्बट ओवन एक यूटोपियन चिन्तक और उद्योगपति था। उसने अपनी फैक्ट्री में श्रमिकों को अच्छी वैतनिक सुविधाएँ प्रदान की। उसने पाया कि मुनाफा कम होने के बजाए और भी बढ़ गया था। अतः वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक है।
2. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर:- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 ई० को जर्मनी के राइन प्रांत में हुआ था। वह विश्व के उन गिने चुने चिंतकों में से एक है, जिसने इतिहास की धारा को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। वह दार्शनिक हीगल के विचारों से प्रभावित था। उसने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का अध्ययन किया। उसने अपने मित्र एंगेल्स के साथ मिलकर 1848 ई० में एक ‘साम्यवादी घोषणा पत्र’ का प्रकाशन किया, जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। इस घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को व्यक्त किया है। मार्क्स ने 1867 ई० में ‘दास-कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की, जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है। कार्ल मार्क्स की मृत्यु 1883 ई० में हुई।
कार्ल मार्क्स के सिद्धांत हैं –
(i) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
(ii) वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
(v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना
समाजवाद एवं साम्यवाद Class 10 History Chapter 2 Question Answer
3. रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर: रूसी क्रांति के निम्नलिखित मुख्य कारण थे –
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन:- जार निकोलस द्वितीय राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखता था। उसे आम लोगों के सुख-दुःख की कोई चिंता नहीं थी। उसके अधिकारी अस्थिर, अकुशल और अयोग्य थे। गलत सलाहकारों के कारण जार की निरंकुशता और प्रशासनिक अयोग्यता बढ़ती गई। जिससे रूसी राजतंत्र के प्रति लोगों का आक्रोश बढ़ता गया।
(ii) कृषकों और मजदूरों की दयनीय स्थिति:- क्रांति से पूर्व किसानों और मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। किसानों के खेत बहुत छोटे-छोटे थे, जिन पर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था और वे करों के बोझ से भी दबे हुए थे। वहीं श्रमिकों को कम मजदूरी में अधिक काम करना पड़ता था। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। इनके पास कोई राजनैतिक अधिकार नहीं थे। ऐसे में उनका झुकाव साम्यवाद की तरफ हुआ।
(iv) औद्योगिकरण की समस्या:- रूस में महत्वपूर्ण उद्योग कुछ ही क्षेत्रों में संकेंद्रित थे। वहाँ राष्ट्रीय पूँजी का भी अभाव था। अतः उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ गई थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण का बढ़ावा दे रहे थे। इसके कारण रूसी लोगों में असंतोष फैल गया।
(v) रूसीकरण की नीति:- जार निकोलस द्वितीय ने रूसीकरण की नीति द्वारा देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। इससे रूसी अल्पसंख्यकों में विद्रोह की भावना जागृत हुई और उनमें राजतंत्र के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा, जो क्रांति का एक मुख्य कारण बना।
(vi) विदेशी घटनाओं का प्रभाव:- रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं की भूमिका महत्वपूर्ण थी। क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने देश में सुधारों का युग आरंभ कर दिया। 1905 में जापान से रूस की पराजय ने पहली क्रांति को जन्म दिया। जिससे बोल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
(vii) रूस में मार्क्सवाद का प्रभाव तथा बुद्धिजीवियों का योगदान:- रूस के किसान और मजदूर कार्ल मार्क्स, लियो टॉलस्टाय, दोस्तोवस्की एवं तुर्गनेव जैसे बुद्धिजीवियों के विचारों से प्रभावित थे। मार्क्सवादियों ने मजदूरों को संगठित करना आरंभ कर दिया। ये संगठन किसानों और मजदूरों के माँगों को उठाते थे। ये संगठन रूस की क्रांति का एक महान कारण साबित हुए।
(viii) प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय:- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से शामिल हुआ। परंतु अच्छे हथियार और पर्याप्त भोजन की सुविधा न होने के कारण इस युद्ध में चारों तरफ रूसी सेनाओं की पराजय हो रही थी। यह रूस की क्रांति का तात्कालिक कारण साबित हुआ। जिसके परिणामस्वरूप फरवरी क्रांति हुई और फिर बोल्शेविक क्रांति हुई।
4. रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:- रूस के औद्योगिक मजदूरों पर कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारों का पूर्ण प्रभाव था। मार्क्सवादियों ने मजदूरों को संगठित करना शुरू कर दिया था। रूस का पहला साम्यवादी प्लेखानोव रूस में जारशाही की निरंकुशता समाप्त करके साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना करना चाहता था। इसके लिए उसने 1898 ई० में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। जो साम्यवादी दल का पूर्ववर्ती था। शीघ्र ही 1903 ई० में साधन एवं अनुशासन के मुद्दे पर पार्टी में फूट पड़ गई। इसके परिणामस्वरूप बहुमतवाला दल ‘बोल्शेविक’ कहलाया और अल्पमतवाला दल ‘मेनशेविक'। मेनशेविक मध्यवर्गीय क्रांति के पक्षधर थे पर, बोल्शेविक सर्वहारा क्रांति के पक्षधर थे। इसके अतिरिक्त 1901 ई० में ‘सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी का गठन हुआ जो किसानों की माँगों को उठाती थी। इस प्रकार मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित मजदूर एवं किसानों का संगठन रूस की क्रांति का एक महान कारण साबित हुआ।
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5. लेनिन के जीवन एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
उत्तर: लेनिन का जन्म 10 अप्रैल 1870 को रूस में हुआ था। उसके क्रांतिकारी विचारों के कारण सरकार ने उसे रूस से निर्वासित कर दिया था। 1917 की फरवरी क्रांति के बाद वह स्वीटजरलैंड से रूस वापस आया और बोल्शेविक दल का नेतृत्व ग्रहण किया। रूसी जनता और सेना की सहायता से लेनिन और ट्रॉटस्की ने केरेन्सकी की सरकार का तख्ता पलट दिया। लेनिन बोल्शेविक सरकार का अध्यक्ष बना और ट्रॉटस्की को विदेश मंत्री बनाया। सत्ता संभालने के बाद लेनिन ने रूस की समस्याओं के निराकरण का प्रयास आरंभ कर दिया। उसने 1918 में जर्मनी के साथ ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि कर युद्ध समाप्त कर दिया। उसने लाल सेना और ‘चेका’ की सहायता से क्रमशः विदेशी आक्रमणों और आंतरिक विद्रोह का सफलतापूर्वक दमन किया। 1918 में उसने एक नया संविधान लागू किया। बैंक, रेलवे और बड़े-बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया। शिक्षा पर से चर्च का अधिकार समाप्त कर उसका भी राष्ट्रीयकरण किया गया। लेनिन ने 1921 में आर्थिक सुधारों के लिए एक नई आर्थिक नीति लागू की, जिसके परिणामस्वरूप कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई। 1924 में उसकी मृत्यु हो गई।
6. नई आर्थिक नीति क्या है? विवेचना करें।
उत्तर: लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यवहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने अनुभव किया कि देश में तत्काल पूरी तरह से समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ पूरी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है। इसलिए उसने 1921 में मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करते हुए एक नई नीति की घोषणा की, जिसे नई आर्थिक नीति कहा गया। इसकी निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ थी –
(i) किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लिया जाने लगा।
(ii) जमीन व्यवहारिक रूप से किसानों को सौंप दी गई। फिर भी सैद्धांतिक रूप से जमीन पर राज्य का ही अधिकार रहा।
(iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार दिया गया।
(iv) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण किया गया। निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छूट दी गई।
(v) सीमित मात्रा में विदेशी पूँजी निवेश की अनुमति दी गई।
(vi) राजकीय ऐजेंसी द्वारा जीवन बीमा शुरू किया गया।
(vii) विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
(viii) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।
नई आर्थिक नीति लागू करने के पश्चात् कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।
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7. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर: रूसी क्रांति के निम्नलिखित प्रभाव हुए।
(i) शासन पर सर्वहारा वर्ग का अधिकार – इस क्रांति के पश्चात् सामाजिक, आर्थिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में कुलीनों, पूँजीपतियों और जमींदारों की शक्ति का अंत हुआ और श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई।
(ii) एक नवीन राजनीतिक व्यवस्था का उदय – इस क्रांति ने एक नई राजनीतिक व्यवस्था ‘साम्यवाद’ का आदर्श उपस्थित किया तथा अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया।
(iii) विश्व का दो खेमों में विभाजन – रूसी क्रांति के बाद विश्व दो अलग-अलग विचारधारा गुटों में विभाजित हो गया – साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व। इसके पश्चात् यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया – पूर्वी यूरोप एवं पश्चिमी यूरोप।
(iv) शीतयुद्ध की शुरुआत – द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् पूँजीवादी विश्व तथा साम्यवादी विश्व के बीच शीतयुद्ध की शुरुआत हुई। जो अगले चार दशकों तक चली। पूँजीवाद का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था और साम्यवाद का सोवियत रूस।
(v) नवीन आर्थिक व्यवस्था का उदय – लेनिन के नई आर्थिक नीति को पूँजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में अपनाया। इस प्रकार स्वयं पूँजीवाद के चरित्र में भी परिवर्तन आ गया।
(vi) औपनिवेशिक स्वतंत्रता का बढ़ावा – इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद से मुक्ति को प्रोत्साहन दिया। क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशियाई और अफ्रीकी देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक समर्थन प्रदान किया।

8. सुमेलित करें –
खंड I |
|
खंड II |
(i) दास कैपिटल |
|
(क) 1953 |
(ii) चेका |
|
(ख) कार्ल मार्क्स |
(iii) नई आर्थिक नीति |
|
(ग) 1883 |
(iv) कार्ल मार्क्स की मृत्यु |
|
(घ) गुप्त पुलिस संगठन |
(v) स्टालिन की मृत्यु |
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(ङ) लेनिन |
उत्तर:- सही मिलान हैं –
खंड I |
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खंड II |
(i) दास कैपिटल |
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(ख) कार्ल मार्क्स |
(ii) चेका |
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(घ) गुप्त पुलिस संगठन |
(iii) नई आर्थिक नीति |
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(ङ) लेनिन |
(iv) कार्ल मार्क्स की मृत्यु |
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(ग) 1883 |
(v) स्टालिन की मृत्यु |
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(क) 1953 |