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विद्युत धारा भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer : Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10 Physics Chapter 4 Electric Current. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले विद्युत धारा अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10 Physics Chapter 4 Question Answer (Short Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Physics section, in which 1 or 2 questions from the chapter “Electric Current” are definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer
1. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है? चित्र सहित समझाएँ।
उत्तर:- विद्युत धारा के सतत एवं बंद परिपथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। ऐसे परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है।
2. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर:- एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10ᐨ¹⁹ कूलॉम
⇒ 1.6 × 10ᐨ¹⁹ कूलॉम आवेश = 1 इलेक्ट्रॉन
⇒ 1 कूलॉम आवेश = 1/(1.6 × 10ᐨ¹⁹) इलेक्ट्रॉन
⇒ = 6 × 10¹⁸ इलेक्ट्रॉन
अतः एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 × 10¹⁸ है।
3. किसी चालक में विद्युत धारा कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:- जब किसी चालक के सिरों पर किसी प्रक्रिया द्वारा विभवान्तर उत्पन्न किया जाता है तो उस चालक में विद्युत धारा उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, सेल या बैटरी को जब किसी चालक के सिरों पर संयोजित किया जाता है तो सेल या बैटरी चालक के सिरों पर विभवान्तर उत्पन्न करती है जिससे चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है।
4. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर:- एक या एक से अधिक सेलों से बनी बैटरी वह युक्ति है जो अपनी संचित रासायनिक ऊर्जा का उपयोग कर किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है। सेल के भीतर होने वाली रासायनिक अभिक्रिया सेल के टर्मिनलों के बीच विभवान्तर उत्पन्न करती है। जब सेल को किसी चालक के सिरों के बीच संयोजित किया जाता है तो सेल का विभवान्तर चालक के आवेश में गति ला देता है, जिससे चालक के सिरों पर विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है।
5. सेल या बैटरी क्या है?
उत्तर:- सेल वह युक्ति है जो अपने अंदर संचित रासायनिक ऊर्जा का उपयोग कर किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है। इससे चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। सेलों की समूहीकृत व्यवस्था को बैटरी कहा जाता है।
Class 10 Physics Chapter 4 Question Answer in Hindi
6. विद्युत विभव से क्या समझते है?
उत्तर:- एकांक धनावेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिन्दु का विद्युत विभव कहते हैं। इसे V से सूचित करते हैं और इसका S.I. मात्रक वोल्ट (V) है।
7. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर 1 V है?
उत्तर:- दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर 1 V है। इसका तात्पर्य यह है कि 1 कूलॉम (C) आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक लाने में 1 जूल (J) कार्य किया जाता है।
8. वोल्टमीटर क्या है? इसे परिपथ में किस प्रकार से संयोजित करते हैं?
उत्तर:- वोल्टमीटर एक यंत्र है जिससे विद्युत परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच का विभवान्तर मापा जाता है। इसे सदैव विद्युत परिपथ में उन दो बिंदुओं के पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है जिनके बीच विभवान्तर मापना रहता है।
9. 6 V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर:- 6 V की बैटरी से एक कूलॉम आवेश गुजरती है। उपभुक्त ऊर्जा ज्ञात करनी है।
बैटरी के दोनों टर्मिनलों का विभवान्तर, V = 6 V
बैटरी से गुजरने वाली आवेश की मात्रा, Q = 1 C
अतः बैटरी द्वारा दी जाने वाली ऊर्जा, W = VQ (∵ V = W/Q)
= 6 V × 1C
= 6 VC = 6 J.
अतः बैटरी द्वारा आवेश को 6 जूल ऊर्जा दी जाती है।
10. विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर:- किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट से होकर एकांक समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण उस अनुप्रस्थ-काट से प्रवाहित विद्युत धारा की प्रबलता होती है। यदि किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट से 1 सेकंड में 1 कुलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो उस अनुप्रस्थ-काट से प्रवाहित विद्युत धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है।
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 4 प्रश्न उत्तर
11. ऐम्पियर की परिभाषा दें।
उत्तर:- ऐम्पियर विद्युत धारा का S.I. मात्रक है। यदि किसी चालक तार के अनुप्रस्थ-काट से 1 सेकंड में 1 कूलॉम विद्युत आवेश प्रवाहित होता है तो उस अनुप्रस्थ-काट से प्रवाहित विद्युत धारा की प्रबलता 1 ऐम्पियर (A) होती है।
12. ऐमीटर क्या है? इसे परिपथ में किस प्रकार से संयोजित करते हैं?
उत्तर:- ऐमीटर एक यंत्र है जिससे विद्युत परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा की प्रबलता मापी जाती हैं। इसे सदैव विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है।
13. एमीटर एवं वोल्टमीटर के उपयोग बताएँ।
उत्तर:- एमीटर का उपयोग विद्युत-परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा को मापने में किया जाता है और वोल्टमीटर का उपयोग विद्युत-परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर को मापने में किया जाता है।
14. ऐमीटर एवं वोल्टमीटर क्या अंतर है?
उत्तर:- ऐमीटर एवं वोल्टमीटर में अंतर –
ऐमीटर |
वोल्टमीटर |
(i) यह किसी विद्युत परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा को मापता है। |
(i) यह किसी विद्युत परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर को मापता है। |
(ii) इसे श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है। |
(ii) इसे पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है। |
(iii) इसका स्केल ऐम्पियर (A) में अंकित रहता है। |
(iii) इसका स्केल वोल्ट (V) में अंकित रहता है। |
15. ऐमीटर का प्रतिरोध निम्न होना चाहिए अथवा उच्च? उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:- ऐमीटर को सदैव विद्युत परिपथ में युक्ति के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है। इसलिए ऐमीटर का प्रतिरोध यथासंभव शून्य के निकट होना चाहिए। ऐमीटर का प्रतिरोध अधिक होने पर यह परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा को प्रभावित करता है।
16. ओम के नियम को लिखें।
उत्तर:- एक विद्युत परिपथ में यदि किसी चालक तार के तापमान में परिवर्तन नहीं होता है, तो उसके सिरों के बीच विभवान्तर उस तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है। अर्थात V ∝ I. इसे ओम का नियम कहते हैं।
17. ओम के नियम में कौन-राशि स्थिर रहती है? व्याख्या करें।
उत्तर:- ओम का नियम नियत ताप पर किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर और उससे प्रवाहित विद्युत धारा के बीच संबंध बताता है। अतः इस नियम में चालक का तापमान स्थिर रहता है।
Physics Class 10th Chapter 4 Question Answer
18. ओम के नियम में कौन-सी राशि अचर रहती है जब तापक्रम नियत रहे? व्याख्या करें।
उत्तर:- ओम के नियम के अनुसार, नियत तापक्रम पर किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर उससे प्रवाहित विद्युत धारा के समानुपाती होता है। अर्थात विभवान्तर और विद्युत धारा का अनुपात अचर रहता है। इस अचर राशि को चालक का प्रतिरोध कहते हैं। इसे R से सूचित करते हैं।
19. प्रतिरोध क्या है? इसका सूत्र एवं मात्रक लिखें।
उत्तर:- किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर विद्युत-धारा के प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का प्रतिरोध कहलाता है। इसे R से सूचित करते हैं। किसी चालक का प्रतिरोध (R) उसके सिरों के बीच विभवान्तर (V) और उसमें प्रवाहित विद्युत धारा (I) का अनुपात होता है। अतः प्रतिरोध का सूत्र है, R = V/I. इसका S.I. मात्रक ओम (Ω) है।
20. प्रतिरोध की उत्पत्ति का कारण क्या है?
उत्तर:- जब किसी चालक तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो इलेक्ट्रॉन गति करने लगते हैं। प्रवाहित इलेक्ट्रॉन तार के परमाणुओं, आयनों या अन्य इलेक्ट्रॉनों से टकराते हैं, जिससे इनकी गति में रुकावट उत्पन्न होती है। यही रुकावट तार में प्रतिरोध की उत्पत्ति का कारण है।
21. यदि किसी विद्युत बल्ब के तंतु का प्रतिरोध 1200 Ω है तो बल्ब 220 V स्रोत से कितनी विद्युत धारा लेगा?
उत्तर:- दिया गया है कि V = 220 V, R = 1200 Ω
ओम के नियम से, V = IR
⇒ I = V/R = 220 V / 1200 Ω = 0.18 A (लगभग)
अतः बल्ब स्त्रोत से 0.18 A विद्युत धारा लेगा।
22. किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 V की बैटरी को संयोजित करने पर 2.5 mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
उत्तर:- प्रश्नानुसार,
V = 12 V, I = 2.5 mA = 2.5 × 10ᐨ³ A, R = ?
ओम के नियम से, R = V/I
= 12 V/2.5 × 10ᐨ³ A
= 4.8 × 10³ Ω
अतः प्रतिरोधक का प्रतिरोध 4.8 × 10³ Ω है।
23. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:- किसी चालक का प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है –
(i) चालक की लंबाई, (ii) चालक के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल, (iii) चालक का ताप और (iv) चालक का पदार्थ की प्रकृति।
24. किसी तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल से कैसे प्रभावित होता है?
उत्तर:- किसी तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल बढ़ने पर तार का प्रतिरोध घट जाता है और अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल घटने पर तार का प्रतिरोध बढ़ जाता है।
25. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दुसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्त्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर:- समान विद्युत स्त्रोत से संयोजित करने पर समान पदार्थ के दो तारों एक पतला तथा दुसरा मोटा तार में से मोटे तार में विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी, क्योंकि समान पदार्थ के मोटे तार का प्रतिरोध पतले तार की तुलना में कम होता है। ऐसा इसलिए कि किसी तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
कक्षा 10 भौतिक विज्ञान पाठ 4 प्रश्न उत्तर
26. वैद्युत प्रतिरोधकता किसे कहते है? इसका सूत्र एवं S.I. मात्रक लिखें।
उत्तर:- वैद्युत प्रतिरोधकता पदार्थ का अभिलाक्षणिक गुण है जिसके कारण यह अपने से होकर विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता है। इसे ρ (रो) से सूचित करते हैं। चालकों की वैद्युत प्रतिरोधकता अत्यंत कम जबकि विद्युतरोधी पदार्थों की उच्च होती है। इसका सूत्र है, ρ = RA/𝑙. यहाँ R चालक तार का प्रतिरोध, A चालक तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल और 𝑙 चालक तार की लंबाई है। प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक ओम मीटर (Ωm) है।
27. दिए गए पदार्थ के किसी 𝑙 लंबाई तथा A मोटाई के तार का प्रतिरोध 4 Ω है। इसी पदार्थ के किसी अन्य तार का प्रतिरोध क्या होगा जिसकी लंबाई 𝑙/2 तथा मोटाई 2A है।
उत्तर:- प्रथम तार के लिए,
प्रतिरोध, R₁ = ρ𝑙/A = 4 Ω
द्वितीय तार के लिए,
प्रतिरोध, R₂ = ρ{(𝑙/2)/2A)}
= 1/4 × ρ𝑙/A
= 1/4 × 4 Ω
= 1 Ω
अतः दुसरे तार का प्रतिरोध 1 Ω होगा।
28. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:- मिश्रातुओं की प्रतिरोधकता एवं गलनांक के मान शुद्ध धातुओं की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। इसलिए सामान्य विद्युत धारा प्रवाहित होने पर भी मिश्रातुओं में अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और ये पिघलते भी नहीं हैं। साथ ही, उच्च ताप पर इनका शीघ्र ही दहन या ऑक्सीकरण नहीं होता है। यही कारण है कि विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के बनाए जाते हैं।
29. विद्युत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐल्युमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:- कॉपर तथा ऐल्युमिनियम विद्युत के अच्छे चालक है। इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम होती है। इनके तार लचीले होते हैं। ये सस्ते भी होते हैं। इसलिए विद्युत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐल्युमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है।
30. प्रतिरोधकों का श्रेणीक्रम संयोजन क्या है?
उत्तर:- जब किसी विद्युत परिपथ में पहले प्रतिरोध का दूसरा सिरा, दूसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ा जाता है, और दूसरे प्रतिरोध का दूसरा सिरा, तीसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ा जाता है, तो ऐसे संयोजन का श्रेणीक्रम संयोजन कहते है। इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक में समान विद्युत धारा प्रवाहित होती है परंतु उनके सिरों के बीच विभवान्तर भिन्न होता है।
Electric Current Subjective Question Answer
31. प्रतिरोधों का पार्श्वक्रम संयोजन किसे कहते हैं?
उत्तर:- जब किसी विद्युत परिपथ में कई प्रतिरोधक किन्हीं दो बिंदुओं के बीच संयोजित हो, तो ऐसे संयोजन को प्रतिरोधों का पार्श्वक्रम संयोजन कहते हैं। इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर समान होता है परंतु उनमें भिन्न विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
32. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ है?
उत्तर:- श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के निम्नलिखित लाभ है –
वैद्युत युक्तियों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर यदि कोई युक्ति कार्य करना बंद कर देता है तो परिपथ टूट जाता है, जिससे अन्य युक्ति भी कार्य नहीं कर पाते। परंतु पार्श्वक्रम संयोजन में परिपथ की विद्युत धारा विभिन्न युक्तियों में विभाजित हो जाती है। इसलिए किसी एक युक्ति के बंद होने पर परिपथ नहीं टूटता है। इसके अतिरिक्त पार्श्वक्रम संयोजन में परिपथ का कुल प्रतिरोध घट जाता है जिससे विद्युत धारा का ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में अधिक क्षति नहीं होती है।
33. 9 V की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω, 0.4 Ω, 0.5 Ω तथा 12 Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12 Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?
उत्तर:- श्रेणीक्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध यदि R हो तो
R = 0.2 Ω + 0.3 Ω + 0.4 Ω + 0.5 Ω + 12 Ω = 13.4 Ω
और V = 9V है।
ओम के नियम से, R = V/I
⇒ I = V/R
= 9V/13.4Ω
= 0.67 A
चूँकि श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक से एक समान विद्युत-धारा प्रवाहित होती है। इसलिए 12 Ω के प्रतिरोधक से भी 0.67 A विद्युत धारा प्रवाहित होगी।
34. 176 Ω के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्त्रोत से संयोजन से 5 A विद्युत धारा प्रवाहित हो।
उत्तर:- दिया है, V = 220 V, I = 5 A,
और प्रत्येक प्रतिरोधक का प्रतिरोध, R = 176 Ω
यदि पार्श्वक्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध Rₚ हो तो ओम के नियम से,
∵ Rₚ = V/I
= 220V/5A
= 44 Ω
माना कि पार्श्वक्रम में संयोजित 176 Ω के प्रतिरोधकों की संख्या n है।
तो n × 1/176 Ω = 1/44 Ω
⇒ n = 176/44 = 4
अतः 176 Ω के 4 प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करना होगा।
35. 4 Ω, 8 Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सकें।
उत्तर:- (a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों कुंडलियों को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाएगा। इससे कुल प्रतिरोध (4 Ω + 8 Ω + 12 Ω + 24 Ω =) 48 Ω प्राप्त होगा।
(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों कुंडलियों को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाएगा। इससे प्राप्त कुल प्रतिरोध का मान 4 Ω से भी कम होगा।
36. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
उत्तर:- श्रेणीक्रम में संयोजित युक्तियों में से किसी एक युक्ति के बंद होने पर परिपथ टूट जाता है, जिससे अन्य युक्ति भी कार्य करना बंद कर देते हैं। साथ ही, श्रेणीक्रम संयोजन में कुल प्रतिरोध बढ़ जाता है जिससे विद्युत ऊर्जा का एक बड़ा भाग ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में नष्ट हो जाता है। इसलिए घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।
Electricity VVI Question Answer
37. घरेलू परिपथों में तारों की पार्श्व व्यवस्था का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:- घरेलू परिपथों में तारों की पार्श्व व्यवस्था का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इससे परिपथ के प्रत्येक विद्युत साधित्र के सिरों पर समान विभवान्तर आरोपित होता है। विभिन्न विद्युत साधित्रों में उनकी आवश्यकता अनुसार विद्युत धारा विभाजित हो जाती है। किसी भी एक विद्युत साधित्र के बंद होने पर परिपथ नहीं टूटता। साथ ही संयोजन का कुल प्रतिरोध घट जाता है।
38. विद्युत धारा का तापीय प्रभाव क्या है? उदाहरण के साथ समझाएँ।
उत्तर:- जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह चालक गर्म हो जाता है। अर्थात विद्युत ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है। इसे ही विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं। इस प्रभाव का उपयोग विद्युत हीटर, विद्युत इस्तरी, गीजर, तापदीप्त बल्ब आदि युक्तियों में किया जाता है।
39. जूल के तापन नियम को लिखें।
उत्तर:- जूल के तापन नियम के अनुसार, किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा (H)
(i) दिये गये प्रतिरोधक में प्रवाहित विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती है। अर्थात H ∝ I²,
(ii) प्रतिरोधक के प्रतिरोध के समानुपाती होती है। अर्थात H ∝ R.
(iii) उस समय के समानुपाती होती है जिसके लिए दिए गए प्रतिरोधक से विद्युत-धारा प्रवाहित होती है। अर्थात H ∝ t तथा
इस प्रकार H = I²Rt होता है।
40. किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर:- विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है। इसलिए वह उत्तप्त नहीं होती जबकि उसके तापन अवयव का प्रतिरोध अधिक होने से उसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह उत्तप्त हो जाता है।
41. एक घंटे में 50 V विभवान्तर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:- प्रश्न से,
V = 50 V, Q = 96000 C, t = 1 घंटा = 3600 s, H = ?
जूल के तापन नियम से, H = I²Rt = VIt = VQ
= 50 × 96000 J
= 48,00,000 J
= 4.8 × 10⁶ J
42. 20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5 A विद्युत धारा लेती है। 30 s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर:- R = 20 Ω, I = 5 A, t = 30 s, H = ?
जूल के तापन नियम से, H = I²Rt = 5² × 20 × 30 J
= 15000 J.
43. किसी 4 Ω प्रतिरोधक से प्रति सेकंड 100 J ऊष्मा उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
उत्तर:- R = 4 Ω, t = 1 s, H = 100 J, V = ?
जूल के तापन नियम से,
H = I²Rt
⇒ I = √(H/Rt)
= √(100/4×1) A
= √25 A
= 5 A
अब ओम के नियम से,
V = IR
= (5 × 4) V
= 20 V.
अतः प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर 20 V है।
44. विद्युत बल्ब का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:- विद्युत बल्ब का नामांकित चित्र –
कक्षा 10 भौतिकी पाठ 4 प्रश्न उत्तर
45. विद्युत बल्ब के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:- विद्युत बल्ब विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर कार्य करता है। इसके लिए फिलामेंट ऐसी सामग्री से बना होना चाहिए जो उच्च ताप पर पिघले बिना लंबे समय तक तप्त होकर प्रकाश उत्पन्न करता रहे। अर्थात इसकी प्रतिरोधकता और गलनांक दोनों उच्च होना चाहिए। टंगस्टन एक ऐसी प्रबल धातु है जिसमें ये दोनों गुण पाये जाते हैं। इसलिए विद्युत बल्ब के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है।
46. विद्युत बल्ब में निष्क्रिय गैस क्यों भरी जाती है?
उत्तर:- विद्युत बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन धातु का बना होता है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में टंगस्टन का फिलामेंट ऑक्सीकृत होकर भंगुर हो जाता है और फिर टूट जाता है। इसलिए विद्युत बल्ब में निष्क्रिय गैस को भरा जाता है ताकि टंगस्टन का फिलामेंट किसी अन्य पदार्थ से अभिक्रिया नहीं कर पाये। इससे फिलामेंट की आयु बढ़ जाती है।
47. फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:- फ्यूज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ हैं – (i) यह विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर कार्य करता है। (ii) इसका गलनांक कम परंतु प्रतिरोध उच्च होता है। (iii) इसका अनुमतांक ऐम्पियर (A) में होता है। यदि किसी फ्यूज तार का अनुमतांक 5A है तो इससे होकर 5A तक की विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है। इससे अधिक धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार पिघल जाता है और परिपथ टूट जाता है।
48. विद्युत परिपथ में फ्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर:- विद्युत परिपथ से जुड़े उपकरणों की सुरक्षा के लिए परिपथ में फ्यूज तार लगाए जाते हैं। विद्युत परिपथ में फ्यूज तार के अनुमतांक से अधिक मान की धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार का तापमान बढ़ जाता है। इससे फ्यूज तार पिघल जाता है और परिपथ टूट जाता है। इस प्रकार परिपथ में लगे उपकरण जलने बच जाते हैं।
49. फ्यूज तार विद्युत साधित्रों का बचाव किस प्रकार करता है?
उत्तर:- विद्युत परिपथ में फ्यूज तार के अनुमतांक से अधिक मान की धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार का तापमान बढ़ कर उसके गलनांक तक पहुँच जाता है। फलस्वरूप, फ्यूज तार पिघल जाता है और परिपथ टूट जाता है। इस प्रकार परिपथ में लगे विद्युत साधित्र जलने बच जाते हैं।
50. विद्युत शक्ति को परिभाषित करें। इसका सूत्र एवं मात्रक लिखें।
उत्तर:- किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं। इसे P से सूचित करते हैं। इसका सूत्र है, P = VI. इसका S.I. मात्रक वाट (W) है।
51. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:- विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विभवान्तर और विद्युत धारा की मात्रा के गुणनफल के द्वारा किया जाता है। इसे विद्युत शक्ति कहते हैं और इसे P से सूचित करते हैं।
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर = विभवान्तर × विद्युत धारा
या, P = VI.
विद्युत धारा पाठ के प्रश्न उत्तर
52. विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक क्या है? इसे जूल में निरूपित कीजिए।
उत्तर:- विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घंटा (kWh) है। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे ‘यूनिट’ भी कहते हैं।
किलोवाट घंटा (kWh) का जूल में निरूपण –
1 kWh = 1000 W × 60 × 60 s
= 3.6 × 10⁶ Ws
= 3.6 × 10⁶ J.
53. किलोवाट घंटा (kWh) क्या हैं?
उत्तर:- किलोवाट घंटा (kWh) विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक है। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में ‘यूनिट’ भी कहते हैं। 1 किलोवाट घंटा (kWh) 3.6 × 10⁶ जूल (J) के बराबर होता है।
54. कोई विद्युत मोटर 220 V के विद्युत स्त्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
उत्तर:- प्रश्न से,
V = 220 V, I = 5 A, t = 2 घंटे, P = ?, W = ?
∴ विद्युत मोटर की शक्ति, P = VI
= 220 V × 5 A = 1100 W
तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा व्यय ऊर्जा, W = Pt
= 1100 W × 2 h
= 2200 Wh
= 2.2 kWh
55. किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है : 250 W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
उत्तर:- 250 W का टी.वी. सेट को एक घंटे तक चलाया जाता है और 120 W का विद्युत हीटर को 10 मिनट के लिए चलाया जाता है।
टी.वी. सेट द्वारा उपभुक्त ऊर्जा = 250 W × 1 h = 250 Wh
और विद्युत हीटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा = 120 W × 10 min
= 120 W × 10/60 h
= 20 Wh
अतः टी.वी. सेट में अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है।
56. 8 Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15 A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
उत्तर:- प्रश्न से,
R = 8 Ω, t = 2 h, I = 15 A, P = ?
∵ P = VI = I²R
= (15 A)² × 8 Ω
= 1800 W or 1800 J/s.
अतः हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर 1800 J/s है।
57. किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचे जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक एक 8 Ω प्रतिरोधक तथा एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हो।
उत्तर:-
यहाँ पर विद्युत धारा अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम विद्युत धारा अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10 Physics Chapter 4 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Physics section, in which 1 question may be from the chapter “Electric Current”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 6 marks are fixed for each of these questions.
1. चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अतिचालक की सोदाहरण व्याख्या करें।
उत्तर:- चालक – वैसे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होती है, उन्हें चालक कहते हैं। इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम होती है। उदाहरण – सिल्वर, ऐल्युमिनियम, कॉपर।
अचालक – वैसे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है, उन्हें अचालक कहते हैं। इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है। उदाहरण – सूखी लकड़ी, प्लास्टिक, काँच।
अर्द्धचालक – ऐसे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह चालकों की तुलना में कम होता है, उन्हें अर्द्धचालक कहते हैं। इनकी प्रतिरोधकता चालकों और अचालकों की प्रतिरोधकताओं के बीच होती है। उदाहरण – सिलिकॉन, जर्मेनियम।
अतिचालक – वैसे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह चालकों से भी उच्च होता है, उन्हें अतिचालक कहते हैं। इनकी प्रतिरोधकता लगभग शून्य के बराबर होती है। ताप में परिवर्तन के द्वारा चालक पदार्थ को अतिचालक बनाया जाता है। उदाहरण – 4.2 K (–269°C) तापमान पर एलुमिनियम।
विद्युत धारा भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 4 प्रश्न उत्तर
2. ओम के नियम को लिखें और इसका सत्यापन करें।
उत्तर:- ओम का नियम – एक विद्युत परिपथ में यदि किसी चालक तार के तापमान में परिवर्तन नहीं होता है, तो उसके सिरों के बीच विभवान्तर उस तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
अर्थात V ∝ I
या V/I = R
जहाँ R एक नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
ओम के नियम का सत्यापन –
चित्रानुसार समान विभवान्तर के चार शुष्क सेल, एक ऐमीटर A, एक वोल्टमीटर V, एक स्विच S तथा एक नाइक्रोम के तार के टुकड़े PQ को विद्युत परिपथ में संयोजित करते हैं।

सर्वप्रथम परिपथ में विद्युत धारा के स्त्रोत के लिए एक सेल का उपयोग करते हैं। स्विच K को बंद करने पर परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। ऐमीटर A नाइक्रोम तार के टुकड़े PQ से प्रवाहित विद्युत धारा I को मापता है तथा वोल्टमीटर V उसके सिरों के बीच विभवान्तर V को मापता है। इन दोनों का पाठ्यांक नोट कर लेते हैं।
अब, एक सेल के स्थान पर दो सेल को परिपथ में जोड़कर पुनः ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्यांक को नोट करते हैं। इस प्रयोग को बारी-बारी से तीन सेल और फिर चार सेलों को परिपथ में जोड़कर दुहराते हैं।
अब, विभवान्तर V और विद्युत धारा I के प्रत्येक युगल के लिए अनुपात V/I का मान परिकलित करते हैं। हम पाते हैं कि प्रत्येक बार अनुपात V/I का मान लगभग समान आता है।
अब हम विभवान्तर V को x-अक्ष तथा विद्युत धारा I को y-अक्ष मानकर V और I के बीच एक ग्राफ खींचते है। इससे प्राप्त ग्राफ एक सरल रेखा होती है। इससे सिद्ध होता है कि चालक के सिरों के बीच का विभवान्तर (V) चालक से प्रवाहित विद्युत धारा (I) के समानुपाती होती है।

3. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10ᐨ⁸ Ωm है। 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
उत्तर:- प्रश्नानुसार,
तार का व्यास, d = 0.5 mm = 5 × 10ᐨ⁴ m
∴ तार की त्रिज्या, r = 2.5 × 10ᐨ⁴ m,
तार की प्रतिरोधकता, ρ = 1.6 × 10ᐨ⁸ Ωm,
अभीष्ट तार का प्रतिरोध, R = 10 Ω, अभीष्ट तार की लंबाई, 𝑙 = ?
तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल, A = 𝜋r²
= 3.14 × (2.5 × 10ᐨ⁴ m)²
= 1.96 × 10ᐨ⁷ m²
∵ ρ = RA/𝑙
⇒ 𝑙 = RA/ρ
= (10 Ω × 1.96 × 10ᐨ⁷ m²)/(1.6 × 10ᐨ⁸ Ωm)
= 1.225 × 10² m = 122.5 m
अतः अभीष्ट तार की लंबाई 122.5 m है।
दोगुने व्यास का तार लेने पर,
नये तार की त्रिज्या, r' = 5 × 10ᐨ⁴ m
नये तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल, A' = 𝜋r'²
= 3.14 × (5 × 10ᐨ⁴ m)²
= 7.85 × 10ᐨ⁷ m²
∴ नये तार का प्रतिरोध, R' = ρ𝑙/A'
= (1.6 × 10ᐨ⁸ Ωm × 122.5 m)/7.85 × 10ᐨ⁷ m²
= 2.5 Ω
इस प्रकार हम पाते हैं कि दोगुने व्यास का तार लेने पर प्रतिरोध में कम हो जाएगा।
Class 10 Physics Chapter 4 Question Answer in Hindi
4. प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम संयोजन तथा समांतरक्रम संयोजन में क्या अंतर है?
उत्तर:- प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम संयोजन तथा समांतरक्रम संयोजन में अंतर है –
श्रेणीक्रम संयोजन |
समांतरक्रम संयोजन |
(i) इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक में समान विद्युत धारा प्रवाहित होती है। |
(i) इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक में उसके प्रतिरोध के मान के अनुसार अलग-अलग विद्युत धारा प्रवाहित होती है। |
(ii) इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर उसके प्रतिरोध के मान के अनुसार अलग-अलग होता है। |
(ii) इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर समान होता है। |
(iii) इस संयोजन के समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक घटक प्रतिरोधक के प्रतिरोध से अधिक होता है। |
(iii) इस संयोजन के समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक घटक प्रतिरोधक के प्रतिरोध से कम होता है। |
(iv) इस संयोजन के समतुल्य प्रतिरोध को व्यंजक Rₛ = R₁ + R₂ + R₃ + ... से प्राप्त किया जाता है। |
(iv) इस संयोजन के समतुल्य प्रतिरोध को व्यंजक 1/Rₚ = 1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃ + ... से प्राप्त किया जाता है। |
(v) इस संयोजन के किसी एक प्रतिरोधक को हटाने पर परिपथ टूट जाता है। |
(v) इस संयोजन के किसी एक प्रतिरोधक को हटाने पर परिपथ नहीं टूटता है। |
(vi) इस संयोजन में प्रतिरोधकों की संख्या बढ़ने पर कुल प्रतिरोध बढ़ने लगता है और प्रतिरोधकों की संख्या घटने पर कुल प्रतिरोध घटने लगता है। |
(vi) इस संयोजन में प्रतिरोधकों की संख्या बढ़ने पर कुल प्रतिरोध घटने लगता है और प्रतिरोधकों की संख्या घटने पर कुल प्रतिरोध बढ़ने लगता है। |
5. श्रेणीक्रम में संयोजित तीन विभिन्न मान के प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:- जब किसी विद्युत परिपथ में पहले प्रतिरोध का दूसरा सिरा, दूसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ा जाता है, और दूसरे प्रतिरोध का दूसरा सिरा, तीसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ा जाता है, तो ऐसे संयोजन का श्रेणीक्रम संयोजन कहते है।
श्रेणीक्रम में संयोजित तीन विभिन्न मान के प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजक –
R₁, R₂ तथा R₃ मान वाले तीन प्रतिरोधों को चित्रानुसार एक विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं X और Y के बीच श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं।
माना कि बैटरी द्वारा परिपथ में I विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। अतः प्रत्येक प्रतिरोधक से भी I धारा प्रवाहित होगी। माना कि R₁, R₂ तथा R₃ मान वाले प्रतिरोधकों के सिरों के बीच का विभवान्तर क्रमशः V₁, V₂ तथा V₃ है।
ओम के नियम से, V₁ = IR₁, V₂ = IR₂, V₃ = IR₃ .... (i)
यदि बैटरी का विभवान्तर V हो, अर्थात सिरों X और Y के बीच विभवान्तर V हो, तो
V = V₁ + V₂ + V₃
या V = IR₁ + IR₂ + IR₃ {समी० (i) से}
या V = I(R₁ + R₂ + R₃) ..... (ii)
माना कि तीनों प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध Rₛ है, तो ओम के नियम से,
V = IRₛ
यह मान समीकरण (ii) में रखने पर,
IRₛ = I(R₁ + R₂ + R₃)
⇒ Rₛ = R₁ + R₂ + R₃
यही श्रेणीक्रम में संयोजित तीन विभिन्न प्रतिरोधों R₁, R₂ तथा R₃ के समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक है।
विद्युत धारा Subjective Question Answer
6. प्रतिरोधों का पार्श्वक्रम संयोजन किसे कहते हैं? प्रतिरोध R₁, R₂ तथा R₃ को पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:- जब किसी विद्युत परिपथ में कई प्रतिरोधक किन्हीं दो बिंदुओं के बीच संयोजित हो, तो ऐसे संयोजन को प्रतिरोधों का पार्श्वक्रम संयोजन कहते हैं।
प्रतिरोध R₁, R₂ तथा R₃ को पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक ज्ञात करना –
चित्रानुसार विद्युत परिपथ में बिंदु A और B के बीच तीन प्रतिरोधकों को, जिनके प्रतिरोध क्रमशः R₁, R₂ तथा R₃ हैं, पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं। बैटरी द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा I है। बिंदु A पर यह धारा तीन भागों में बँट जाती हैं। माना कि R₁, R₂ तथा R₃ प्रतिरोध वाले प्रतिरोधकों से क्रमशः I₁, I₂ तथा I₃ धारा प्रवाहित होती हैं। बिंदु B पर तीनों धाराएँ मिलकर पुनः मुख्य धारा I बन जाती हैं।
अतः I = I₁ + I₂ + I₃ ........ (i)

माना कि बिंदुओं A और B के बीच विभवान्तर V है। चूँकि प्रत्येक प्रतिरोध A और B के बीच जुड़ा है। अतः प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों के बीच का विभवान्तर V होगा।
अतः ओम के नियम से, I₁ = V/R₁ , I₂ = V/R₂ , I₃ = V/R₃
इन मानों को समीकरण (i) में रखने पर,
I = V/R₁ + V/R₂ + V/R₃
या I = V(1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃) ........ (ii)
यदि बिंदुओं A और B के बीच के तीनों प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध Rₚ हो तो पुनः ओम के नियम से,
I = V/Rₚ
यह मान समीकरण (ii) में रखने पर,
V/Rₚ = V(1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃)
⇒ 1/Rₚ = 1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃
यही पार्श्वक्रम में संयोजित प्रतिरोधों R₁, R₂ तथा R₃ के समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक है।
7. 2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4 Ω, (b) 1 Ω हो?
उत्तर:- (a) 3 Ω तथा 6 Ω के दो प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे जिससे इनका परिणामी प्रतिरोध 2 Ω हो जाएगा। इनके साथ परिपथ में 2 Ω वाले प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे जिससे संयोजन का कुल प्रतिरोध 2 Ω + 2 Ω = 4 Ω होगा।
(b) 1 Ω दिए गए तीनों प्रतिरोधकों के मान से कम है। अतः 2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω के तीन प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे। इस संयोजन का कुल प्रतिरोध 1 Ω होगा।
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8. यह दर्शाइए कि आप 6 Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध (i) 9 Ω, (ii) 4 Ω हो?
उत्तर:- (i) दो प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित कर तीसरे प्रतिरोधक को इनके साथ श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे।
पार्श्वक्रम का समतुल्य प्रतिरोध = 1/(1/6 + 1/6) Ω
= 1/(2/6) Ω = 3 Ω
कुल प्रतिरोध = 3 Ω + 6 Ω = 9 Ω.
(ii) दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित कर तीसरे प्रतिरोधक को इनके साथ पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे।
श्रेणीक्रम का समतुल्य प्रतिरोध = 6 Ω + 6 Ω = 12 Ω
कुल प्रतिरोध = 1/(1/12 + 1/6) Ω
= 1/(3/12) Ω = 4 Ω.
9. 220 V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
उत्तर:- बल्ब की शक्ति, P = 10 W और स्त्रोत की वोल्टता, V = 220 V.
चूँकि सभी बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। इसलिए प्रत्येक बल्ब का विभवान्तर परिपथ के विभवान्तर के बराबर होगा। यदि किसी एक बल्ब से प्रवाहित धारा I हो तो
सूत्र P = VI से,
I = P/V
= 10W/220V
= 1/22 A
चूँकि प्रत्येक बल्ब की शक्ति समान है। इसलिए प्रत्येक बल्ब से 1/22 A विद्युत धारा प्रवाहित होती है। साथ ही सभी बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। इसलिए इनमें प्रवाहित विद्युत धारा का कुल योग परिपथ में अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A के बराबर होगी।
माना कि बल्बों की संख्या n है।
तो n × 1/22 A = 5 A
⇒ n = 22 × 5
= 110
अतः लाइन के दो तारों के बीच 110 बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं।
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10. दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W: 220 V तथा दुसरे का 60 W: 220 V है, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी विद्युत धारा ली जाती है?
उत्तर:- चूँकि दोनों विद्युत लैम्प परिपथ में पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। इसलिए इन दोनों की वोल्टता स्त्रोत की वोल्टता के बराबर होगी और इनमें अलग-अलग विद्युत धारा प्रवाहित होगी, जिनका योग विद्युत मेंस से ली जाने वाली विद्युत धारा के बराबर होगी।
माना कि पहले तथा दूसरे विद्युत लैम्प से प्रवाहित विद्युत धारा क्रमशः I₁ तथा I₂ है और परिपथ में विद्युत मेंस से I धारा ली जाती है।
तो I = I₁ + I₂ ....... (i)
पहले विद्युत लैम्प के लिए,
P₁ = 100 W, V = 220 V
सूत्र P = VI से,
I₁ = P₁/V
= 100/220 A = 5/11 A
दुसरे विद्युत लैम्प के लिए,
P₂ = 60 W, V = 220 V
सूत्र P = VI से,
I₂ = P₂/V
= 60/220 A = 3/11 A
अब समी० (i) में I₁ तथा I₂ का मान रखने पर,
I = 5/11 A + 3/11 A
= 8/11 A
= 0.727 A
अतः विद्युत मेंस से 0.727 A विद्युत धारा ली जाती है।
11. निगमन करें H = I²Rt जहाँ H, किसी प्रतिरोधक (R) में विद्युत धारा (I) द्वारा t समय में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा है।
उत्तर:- माना कि R प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर V है जिसके कारण उसमें t समय तक I धारा प्रवाहित होती है।
अतः ओम के नियमानुसार,
V = IR ......... (i)
यदि आवेश Q को प्रतिरोधक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक विभवान्तर V के अधीन ले जाया जाता है तो आवेश की स्थैतिक ऊर्जा में कमी,
W = VQ ......... (ii)
धारा I के कारण t समय में प्रतिरोधक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित आवेश का परिमाण,
Q = It ........ (iii)
समी० (i) और (iii) से क्रमशः V और Q का मान समी० (ii) में रखने पर,
W = (IR)(It)
या, W = I²Rt
आवेश की स्थितिज स्थैतिक ऊर्जा में यह कमी प्रतिरोधक में ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है।
अतः प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा, H = I²Rt.