संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ Class 10 Sanskrit Chapter 4 Question Answer and Notes

Prabhakar
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Class 10 Sanskrit Chapter 4 Question Answer
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संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ Class 10 Sanskrit Chapter 4 Question Answer and Notes : Introduction

This article contains all VVI Question Answers (2 marks each) from Class 10th Sanskrit book “Piyusham Part-2” Chapter 4 “Sanskrit Sahitye Lekhika”. This also contains the hindi meaning of Sanskrit Sahitye Lekhika chapter.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 4 प्रश्न उत्तर को पढ़ने से पहले आपको संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ जानना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि इस पाठ को हिन्दी में पढ़ने के पश्चात् ही आप इसमें लिखी बातों को अधिक आसानी से याद कर पाएँगे।
इसलिए आज हम सबसे पहले संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ हिन्दी में पढ़ेंगे और तत्पश्चात प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ (हिन्दी में)

संस्कृत विषय तब तक कठिन लगता हैं जब तक कि उसका हिन्दी अनुवाद हमें पता नहीं रहता। किसी भी पाठ का हिन्दी में अनुवाद करते ही वह हमें बहुत रोचक लगने लगता है। संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ में प्राचीन काल से लेकर आज तक संस्कृत साहित्य के संवर्द्धन में स्त्रियों के योगदान को बताया गया है। इस पाठ के अध्ययन से हमें यह भी पता चलता है कि प्राचीन काल में भी अनेक विदुषी महिलाएँ थी। यहाँ हम संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का हिन्दी अनुवाद करते हुए इसके अर्थ को भी समझेंगे। परंतु इन सबसे पहले संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं।


कक्षा 10 संस्कृत पाठ 4 नोट्स

  • समाज रूपी गाड़ी को स्त्री और पुरूष दोनों मिलकर चलाते हैं। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है।
  • इस समय सभी भाषाओं की साहित्य रचना में स्त्रियाँ भी उत्सुक रहती है और यश भी प्राप्त कर रही हैं।
  • प्राचीन काल से ही संस्कृत साहित्य ने साहित्यों की समृद्धि में थोड़ा-बहुत योगदान दिया है।
  • ‘संस्कृत साहित्ये लेखिका’ पाठ अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की चर्चा करता है ताकि साहित्यिक खजाने को भरने में उनके योगदान को समझा जा सके।

Class 10 Sanskrit Chapter 4 Notes

  • विशाल संस्कृत साहित्य का संवर्धन विभिन्न कवियों और शास्त्रकारों द्वारा किया गया है।
  • वैदिक काल से ही, जिस प्रकार पुरुष शास्त्रों और काव्यों की रचना और संरक्षण के प्रति समर्पित रहे हैं, उसी प्रकार महिलाओं का भी इन पर समर्पित ध्यान रहा है।
  • वैदिक युग में मन्त्रों के दर्शक केवल ऋषि-मुनि ही नहीं, बल्कि ऋषिकाएँ भी होती थी।
  • ऋग्वेद में 24 (चतुर्विंसति) मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का और अथर्ववेद में 5 (पञ्च) मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है। जैसे – यमी, अपाला, उर्वशी, इंद्राणी, वागंभृनी और अन्य।

संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का हिन्दी अनुवाद

  • बृहदारण्यक उपनिषद में ‘याज्ञवलक्य’ की पत्नी ‘मैत्रेयी’ को दार्शनिक रुचि वाली बताया गया है।
  • बृहदारण्यक उपनिषद् के अनुसार ‘याज्ञवलक्य’ ने अपनी पत्नी ‘मैत्रेयी’ को आत्मतत्त्व की शिक्षा दी थी।
  • जनक की सभा में ‘गार्गी’ नाम की प्रवक्ता बैठती थी, जो शास्त्रार्थ में कुशल थी।
  • महाभारत में भी ‘सुलभा’ का वर्णन है, जो जीवनपर्यंत वेदांत के अध्ययन में समर्पित रही।

लौकिक संस्कृत साहित्य की लेखिकाएँ : विजयाङ्का

लौकिक संस्कृत साहित्य में लगभग 40 कवयित्रियों की 150 कविताएँ स्पष्ट रूप में यत्र-तत्र पाई जाती हैं। इनमें ‘विजयाङ्का’ प्रथम कल्प है।
विजयाङ्का श्याम वर्ण (रंग) की थी, जो इस श्लोक से स्पष्ट हो जाता है:

नीलोत्पलदलश्यामां  विजयाङ्कामजानता।
वृथैव दण्डिना प्रोक्ता ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’॥

भावार्थ: नीले कमल के समान श्यामवर्ण की विजयाङ्का को न जानते हुए दण्डी द्वारा व्यर्थ ही उसे ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ कहा गया।


  • विजयाङ्का को नीले कमल पुष्प के वर्ण (रंग) का माना गया है।
  • दण्डी ने विजयाङ्का को ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ कहा है।
  • विजयाङ्का और दण्डी का काल अष्टम् शतक (आठवीं शताब्दी) माना जाता है।
  • कई लोग मानते हैं कि चालुक्य वंश के चंद्रादित्य की रानी ‘विजयभट्टारिका’ ही विजयाङ्का थीं।

दक्षिण भारत की संस्कृत लेखिकाएँ

  • दक्षिण भारतीय संस्कृत लेखिकाएँ जैसे शीला भट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्रम्बा आदि अपनी स्पष्ट कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • शीला भट्टारिका, देवकुमारीका और रामभद्राम्बा दक्षिण भारत की प्रसिद्ध संस्कृत लेखिकाएँ हुईं।

विजयनगर की संस्कृत लेखिकाएँ

  • यह सर्वविदित है कि विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए प्रयास किये थे।
  • विजयनगर की रानियाँ भी संस्कृत साहित्य की रचना में कुशल थी।

कम्पणराय की रानी गंगा देवी

  • विजयनगर के महाराज कम्पणराय (चौदहवीं शताब्दी) की रानी गंगा देवी थी।
  • कम्पणराय की रानी गंगा देवी ने अपने पति के ‘मदुरै नगर पर विजय’ की घटना पर आधारित एक महाकाव्य ‘मधुराविजयम्’ की रचना की।
  • मधुराविजयम् की रचना चौदहवीं सदी (चतुर्दशशतकम्) में हुई।
  • मधुराविजयम् में अलंकारों का प्रवेश टालने योग्य है।
  • कम्पणराय और गंगा देवी का काल चौदहवीं शताब्दी (चतुर्दश शतक) है।

अच्युतराय की रानी तिरुमलम्बा

  • सोलहवीं शताब्दी में इसी राज्य में शासन करते हुए, अच्युतराय की रानी तिरुमलम्बा ने ‘वरदम्बिकापरिणय’ नामक एक बड़ी ‘चंपूकाव्य’ की रचना की।
  • वरदम्बिकापरिणय में संस्कृत गद्य की छटा अपने संपूर्ण पद्य और सुंदर पद्य विन्यास के साथ अत्यंत सुंदर है।
  • संस्कृत साहित्य में प्रयुक्त सबसे लंबा संपूर्ण शब्द ‘वरदम्बिकापरिणय’ में ही मिलता है।
  • वरदम्बिकापरिणय की रचना सोलहवीं सदी में हुई।
  • तिरुमलम्बा अच्युतराय की रानी थी।
  • अच्युतराय और तिरुमलम्बा का काल सोलहवीं सदी (षोडष शतक) है।


पण्डिता क्षमाराव और उनकी रचनाएँ

  • आधुनिक काल की संस्कृत लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव नाम की विदुषी सबसे प्रसिद्ध है।
  • पण्डिता क्षमाराव ने अपने पिता, महान विद्वान शंकरपाण्डुरंग पण्डित की जीवन चरित्र (जीवनी) लिखी, जिसे ‘शंकरचरितम्’ कहा जाता है।
  • पण्डिता क्षमाराव ने गांधी दर्शन से प्रभावित होकर सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि गद्य-पद्य की रचना की।
  • पण्डिता क्षमाराव का जन्म 1890 ई. एवं मृत्यु 1953 ई. में हुई।

वर्तमान समय की संस्कृत लेखिकाएँ

वर्तमान समय में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र संस्कृत साहित्य की प्रसिद्ध लेखिकाएँ हैं, जो संस्कृत साहित्य को दिन-प्रतिदिन पूर्ण कर रही हैं।


यहाँ पर “संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ का अर्थ” समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन इन्हें समझ कर याद कर लिए होंगे।

अब हम “संस्कृत साहित्ये लेखिका” अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न और उनके उत्तर पढ़ेंगे। इससे आप संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ के तथ्यों को और अधिक सरलता से समझ पायेंगे और परीक्षा में इस पाठ से पूछे गए प्रश्नों का answer भी दे सकेंगे।



Class 10 Sanskrit Chapter 4 Question Answer

In the annual board examination of Sanskrit subject, 16 short answer type questions are asked, in which 1 or 2 questions from the chapter “Sanskrit Sahitye Lekhika” are definitely included. Out of these 16 questions, only 8 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 4 संस्कृत साहित्ये लेखिका प्रश्न उत्तर


1. अथर्ववेद में कितने मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है और कौन-कौन?
उत्तर: अथर्ववेद में पाँच मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है। इनके नाम है – यमी, उपाला, उर्वशी, इंद्राणी और वागाम्भृणी।

2. अथर्ववेद में किन पाँच मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है?
उत्तर: अथर्ववेद में यमी, उपाला, उर्वशी, इंद्राणी और वागाम्भृणी, इन पाँच मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है।

3. मैत्रेयी कौन थी? उसे आत्मतत्त्व की शिक्षा किसने दी?
उत्तर:- मैत्रेयी याज्ञवलक्य की पत्नी थी। बृहदारण्यक उपनिषद् में इन्हें दार्शनिक रुचि वाली बताया गया है। याज्ञवलक्य ने ही उन्हें आत्मतत्त्व की शिक्षा दी थी।

4. बृहदारण्यक उपनिषद् में क्या वर्णन किया गया है?
उत्तर:- बृहदारण्यक उपनिषद् में यह वर्णित है कि याज्ञवलक्य ने अपनी पत्नी मैत्रेयी को आत्मतत्व की शिक्षा दी थी। मैत्रेयी दार्शनिक रूचि वाली थी।

Class 10 Sanskrit Chapter 4 Sanskrit Sahitye Lekhika Question Answer


5. विजयांका कौन थी और उनका समय क्या माना जाता है?
उत्तर:- विजयांका लौकिक संस्कृत साहित्य में प्रथम कल्पा थी। चालुक्यवंशीय राजा चन्द्रादित्य की रानी विजय भट्टारिका को ही विजयाङ्का माना जाता है। उनका समय आठवीं शताब्दी माना जाता है।

6. विजयांका की विशेषताओं का वर्णन करें?
उत्तर: विजयांका लौकिक संस्कृत साहित्य में प्रथम कल्पा थी। वह श्याम वर्ण की थी। परंतु उनकी रचनाएँ ज्योतिर्मय थी। विजयांका की लेखन कला से प्रभावित होकर कवि दण्डी ने इन्हें ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ कहा। चालुक्यवंशीय राजा चन्द्रादित्य की रानी विजय भट्टारिका को ही विजयाङ्का माना जाता है।

7. विजयांका को ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: विजयांका श्याम वर्ण की थी। परंतु उनकी रचनाएँ ज्योतिर्मय थी। उनकी लेखन कला से प्रभावित होकर कवि दण्डी ने इन्हें ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ कहा।

8. लौकिक संस्कृत साहित्य के प्रमुख संस्कृत लेखिकाओं का उल्लेख करें।
उत्तर: लौकिक संस्कृत साहित्य में प्रायः 40 कवयित्रियों के 150 पद्य यत्र-तत्र उपलब्ध है। इनमें ‘विजयांका’ प्रथम कल्पा है। इसके अलावा, शीला भट्टारिका, देवकुमारीका, रामभद्राम्बा आदि दक्षिणभारतीय संस्कृत लेखिकाएँ अपने स्फुट पद्यों के लिए प्रसिद्ध है।

बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 4 संस्कृत साहित्ये लेखिका प्रश्न उत्तर


9. कौन-कौन दक्षिणभारतीय संस्कृत लेखिकाएँ अपने स्फुट पद्यों के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर: शीला भट्टारिका, देवकुमारीका, रामभद्राम्बा आदि दक्षिणभारतीय संस्कृत लेखिकाएँ अपने स्फुट पद्यों के लिए प्रसिद्ध है।

10. संस्कृत साहित्य के सम्वर्धन में विजयनगर का क्या योगदान रहा?
उत्तर: संस्कृत साहित्य के सम्वर्धन में विजयनगर का महत्वपूर्ण योगदान रहा। यहाँ के राजाओं ने संस्कृत भाषा की संरक्षण के लिए महान प्रयास किए। इनकी रानियाँ संस्कृत साहित्य की रचना में कुशल थी। कम्पणराय की रानी गंगा देवी ने अपने पति के ‘मदुरै-विजय’ की घटना पर आधारित एक महाकाव्य ‘मधुराविजयम्’ की रचना की। जबकि अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा ने ‘वरदाम्बिकापरिणय’ नामक बृहत चंपूकाव्य की रचना की।

11. गंगा देवी कौन थी? उन्होंने किस काव्य की रचना की?
उत्तर:- गंगा देवी विजयनगर के महाराज कम्पणराय की रानी थी। उन्होंने अपने पति के ‘मदुरै-विजय’ की घटना पर आधारित एक महाकाव्य ‘मधुराविजयम्’ की रचना की। यह रचना चौदहवीं शताब्दी में हुई।

संस्कृत साहित्ये लेखिका पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


12. ‘मधुराविजयम्’ महाकाव्य का वर्ण्य विषय क्या है?
उत्तर: मधुराविजयम् विजयनगर की महारानी गंगा देवी की काव्य रचना है। इसमें उन्होंने अपने पति कम्पणराय की मदुरै नामक नगर पर विजय प्राप्त करने की घटना का वर्णन किया है।

13. संस्कृत साहित्य के सम्वर्धन में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर: आधुनिक काल की संस्कृत लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव का नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इन्होंने अपने विद्वान पिता शंकरपाण्डुरंग पण्डित के जीवन चरित्र ‘शंकरचरितम्’ की रचना की। गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर इन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि गद्य-पद्य की रचना की।

14. पंडित क्षमाराव की प्रमुख कृतियों के नाम लिखें।
उत्तर: पंडित क्षमाराव की प्रमुख कृतियों के नाम हैं – शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि।

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15. आधुनिक काल की किन्हीं तीन संस्कृत लेखिकाओं के नाम लिखें।
उत्तर: आधुनिक काल की तीन संस्कृत लेखिकाओं के नाम है – पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर और मिथिलेश कुमारी मिश्र। ये अपने लेखन कार्यों से संस्कृत साहित्य को समृद्ध कर रही हैं।

16. ‘संस्कृत साहित्ये लेखिका’ पाठ के आधार पर संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर:- वैदिक काल से ही, जिस प्रकार पुरुष शास्त्रों और काव्यों की रचना और संरक्षण के प्रति समर्पित रहे हैं, उसी प्रकार महिलाओं का भी इन पर समर्पित ध्यान रहा है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच मंत्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है। लौकिक संस्कृत साहित्य में प्रायः 40 कवयित्रियों के 150 पद्य उपलब्ध है। विजयांका, शीला भट्टारिका, देवकुमारीका, रामभद्राम्बा दक्षिण भारत की प्रसिद्ध संस्कृत लेखिकाएँ हुईं। विजयनगर की रानी गंगा देवी ने मधुराविजयम् और तिरुमलाम्बा ने वरदाम्बिकापरिणय की रचना की। आधुनिक काल में पण्डिता क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर और मिथिलेश कुमारी मिश्र ने अपने लेखन कार्यों से संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया हैं।

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