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उत्सर्जन जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer: Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th Biology Chapter-4 “Excretion”. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले उत्सर्जन पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10th Biology Chapter 4 Question Answer (Short Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Biology section, in which at least 1 question from the chapter “Excretion” is definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 4 Question Answer
1. उत्सर्जन किसे कहते हैं? जंतुओं के मुख्य उत्सर्जी पदार्थ क्या है?
उत्तर:- वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने शरीर से विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन करते हैं, उसे उत्सर्जन कहते हैं। जंतुओं के मुख्य उत्सर्जी पदार्थ यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया आदि हैं।
2. वृक्क क्या है और इसका क्या कार्य है?
उत्तर:- वृक्क मनुष्य एवं समस्त वर्टीब्रेटा उपसंघ के जंतुओं में सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जी अंग है। यह सेम के बीज के आकार का होता है। हमारे शरीर में एक जोड़ा वृक्क होता है। वृक्क का कार्य नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल का रूधिर से निस्यंदन करना है। इस प्रकार से वृक्क मूत्र निर्माण का कार्य करते हैं।
3. मनुष्य के प्रमुख उत्सर्जी अंगों के नाम एवं उनके कार्य बताइए।
उत्तर:- मनुष्य के प्रमुख उत्सर्जी अंगों के नाम वृक्क, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय तथा मूत्रमार्ग है। वृक्क रूधिर से नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों को छानकर मूत्र निर्माण करता है। मूत्रवाहिनी वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है। मूत्राशय मूत्र को भंडारित करता है। मूत्राशय का दाब बढ़ने पर मूत्रमार्ग मूत्र को शरीर बाहर करता है।
4. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर:- मूत्र बनने की मात्रा का नियमन इस प्रकार से होता है कि शरीर में जल की पर्याप्त मात्रा बनी रहे और विलेय वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन भी हो जाए। मूत्र बनने की मात्रा शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा तथा उत्सर्जन के लिए उपलब्ध विलेय वर्ज्य पदार्थों की मात्रा पर निर्भर करती है।
5. मानव मूत्र के अवयवों की प्रतिशत मात्रा क्या है?
उत्तर:- मानव मूत्र में जल 96% और ठोस भाग 4% (जिसमें यूरिया 2% और अन्य पदार्थ 2%) होते हैं।
Biology Class 10 Chapter 4 Notes And Question Answer
6. डायलिसिस क्या है?
उत्तर:- वृक्क के क्षतिग्रस्त हो जाने पर या वृक्क के कार्य न करने की स्थिति में वृक्क का कार्य एक अतिविकसित मशीन के उपयोग से संपादित किया जाता है। यह मशीन डायलिसिस कहलाता है। इसे कृत्रिम वृक्क भी कहते हैं। डायलिसिस मशीन द्वारा रक्त के शुद्धिकरण की प्रक्रिया हिमोडायलिसिस कहलाता है।
7. पादपों के उत्सर्जी उत्पाद क्या हैं?
उत्तर:- पादपों में उत्सर्जी उत्पाद हैं – कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, अतिरिक्त जलवाष्प, लवण, रेज़िन, टेनिन, लैटक्स आदि।
8. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं।
उत्तर:- पादपों मे उत्सर्जन के लिए कोई विशेष अंग नहीं होते हैं। पादप अपशिष्ट पदार्थों को रवों के रूप में पुराने जाइलम तथा पत्तियों में संचित करते हैं। पादप पुराने छालों तथा पत्तियों को गिरा कर उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाते हैं। पादप कुछ अपशिष्ट पदार्थों को अपने आसपास की मिट्टी में उत्सर्जित करते हैं। जलीय पादप उत्सर्जी पदार्थों को सीधा जल में ही उत्सर्जित कर देते हैं।
9. पौधों की पत्तियाँ उत्सर्जन में किस प्रकार सहायता करती हैं?
उत्तर:- अनेक पौधे अपशिष्ट पदार्थों को पत्तियों में संचित करते हैं। पुरानी पत्तियों के झड़ जाने पर, अपशिष्ट पदार्थ भी पत्तियों के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं।
यहाँ पर उत्सर्जन अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम उत्सर्जन अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10 Biology Chapter 4 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Biology section, in which 1 question may be from the chapter “Excretion”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 5 marks are fixed for each of these questions.
जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 4 प्रश्न उत्तर
1. वृक्कों में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- हमारे शरीर में दो वृक्क होते है। प्रत्येक वृक्क में लाखों महीन कुण्डलित नलिकाएँ पाई जाती हैं जो आपस में निकटता से पैक रहते हैं।। इन नलिकाओं को वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं। यह वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। नेफ्रॉन के सिरे पर प्याले जैसी संरचना होती है जिसे बोमन सम्पुट कहते हैं। बोमन सम्पुट में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छ होता है जो रुधिर से नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल को छानता है। प्रारंभिक निस्यंदन में कुछ पदार्थ, जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। केशिका गुच्छ द्वारा अवशोषित निस्यंद जैसे ही वृक्क नलिका में प्रवाहित होता है, इन पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है। जल की मात्रा का पुनरावशोषण शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वर्ज्य पदार्थ उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है। पुनरावशोषित आयन तथा जल शेष निस्यंद के साथ मिलकर मूत्र बन जाते हैं। मूत्र नेफ्रॉन नलिका से निकलकर एक संग्राहक नली में बहता है। यह वृक्क से मूत्रवाहिनी में प्रवेश करता है और नीचे मूत्राशय में चला जाता है।
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2. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना – वृक्काणु (नेफ्रॉन) वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। प्रत्येक वृक्क में लाखों की संख्या में वृक्काणु पाये जाते हैं। वृक्काणु (नेफ्रॉन) के सिरे पर प्याले जैसी एक रचना होती है, जिसे बोमन सम्पुट कहते हैं। बोमन सम्पुट में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छ होता है। वृक्काणु का अंतिम सिरा कुंडलित होता है, जिसे वृक्क नलिका कहते हैं। वृक्क नलिका संग्राहक नलिका से जुड़ी रहती है।

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की क्रियाविधि – वृक्काणु (नेफ्रॉन) के सिरे पर प्याले जैसी संरचना होती है जिसे बोमन सम्पुट कहते हैं। बोमन सम्पुट में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छ होता है जो रुधिर से नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थों जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल को छानता है। प्रारंभिक निस्यंदन में कुछ पदार्थ, जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। केशिका गुच्छ द्वारा अवशोषित निस्यंद जैसे ही वृक्क नलिका में प्रवाहित होता है, इन पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है। जल की मात्रा का पुनरावशोषण शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वर्ज्य पदार्थ उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है। पुनरावशोषित आयन तथा जल शेष निस्यंद के साथ मिलकर मूत्र बन जाते हैं। मूत्र नेफ्रॉन नलिका से निकलकर एक संग्राहक नली में बहता है। फिर यह वृक्क से मूत्रवाहिनी में प्रवेश करता है और नीचे मूत्राशय में चला जाता है।