नियंत्रण एवं समन्वय जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer in Hindi

Prabhakar
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Biology Class 10 Chapter 5 Question Answer
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नियंत्रण एवं समन्वय जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer: Introduction

This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th Biology Chapter-5 “Control And Co-Ordination”. These questions are of short-answer and long-answer type.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।

तो चलिए आज हम सबसे पहले नियंत्रण एवं समन्वय पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


Class 10th Biology Chapter 5 Question Answer (Short Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Biology section, in which at least 1 question from the chapter “Control And Co-Ordination” is definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 Question Answer


1. तंत्रिका तंत्र के कार्यों को बताएँ।
उत्तर:- तंत्रिका तंत्र के कार्य –
(i) शरीर के विभिन्न भागों से आंतरिक संवेदना या उद्दीपन (जैसे– भूख, प्यास, तृष्णा, रोग इत्यादि) और बाह्य संवेदना या उद्दीपन (जैसे– भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक या विद्युतीय प्रभावों) को ग्रहण करना।
(ii) शरीर के विभिन्न भागों में संवेदनाओं का संवहन करना।
(iii) संवेदनाओं तथा मस्तिष्क में पहले से एकत्र सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेना और अनुक्रिया व्यक्त करने के लिए विभिन्न अंगों को प्रेरित करना।

2. दो न्यूरॉनों के बीच सिनेप्स पर क्या होता है?
उत्तर:- एक न्यूरॉन के ऐक्सॉन-छोर और दुसरे न्यूरॉन के डेंड्राइट छोर के बीच सिनेप्स पाया जाता है। जब कोई विद्युत संकेत एक न्यूरॉन के ऐक्सॉन-छोर पर पहुँचता है तब वह एक रासायनिक पदार्थ निर्मुक्त करता है जो दो न्यूरॉनों के बीच सिनेप्स को पार करके अगले न्यूरॉन के डेंड्राइट छोर की ओर बढ़ता है तथा उसमें वैसा ही विद्युत संकेत उत्पन्न कर देता है।

3. न्यूरोट्रांसमीटर क्या है?
उत्तर:- न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार के रासायनिक अणु है जो शरीर में रासायनिक संदेशवाहक की भूमिका निभाते हैं। ये तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) के बीच संकेतों का आदान-प्रदान करते हैं और तंत्रिका कोशिकाओं से लक्ष्य कोशिकाओं तक संकेतों को पहुँचाने का काम करते हैं।

4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है?
उत्तर:- ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित वे कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सूचनाएँ प्राप्त कर उन्हें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरूरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। यदि कोई ग्राही उचित प्रकार कार्य नहीं करेगी तो वह ग्राही वातावरण से सूचनाएँ प्राप्त करने में असमर्थ होगी या उस ग्राही द्वारा एकत्र की गई सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी। परिणामस्वरूप, संबंधित व्यक्ति के साथ दुर्घटना हो सकती है।

जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 प्रश्न उत्तर


5. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है?
उत्तर:- पर्यावरण में किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप अचानक हुई क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। इसमें मस्तिष्क की कोई भूमिका नहीं होती है। यह मेरुरज्जू द्वारा नियंत्रित होती है। उदाहरण– किसी गर्म या ठंडी वस्तु को छूने के तुरंत बाद अपने हाथों को खींच लेना, कम प्रकाश से अधिक प्रकाश में जाने पर हमारी आँख की पुतली का अचानक से छोटी होना, आदि।

6. प्रतिवर्ती चाप क्या है?
उत्तर:- प्रतिवर्ती क्रियाओं के दौरान संवेदी तंत्रिकाएँ ग्राही अंगों से सूचनाएँ प्राप्त कर उन्हें मेरूरज्जु तक ले जाती है। यहाँ सूचनाएँ प्रेरक तंत्रिकाओं में स्थानांतरित होकर इनके द्वारा कार्यकारी अंग तक पहुँचती है। प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान मेरूरज्जु में संवेदी तंत्रिकाओं तथा प्रेरक तंत्रिकाओं के बीच बने इस संबंधन को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं। इस प्रकार प्रतिवर्ती चाप प्रतिवर्ती क्रिया का मार्ग है।

7. प्रतिवर्ती क्रिया एवं प्रतिवर्ती चाप में क्या अंतर है?
उत्तर:- किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप बिना सोचे-समझे अचानक से हुई त्वरित क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। यह मेरूरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है। जबकि,
प्रतिवर्ती क्रियाओं के दौरान संवेदी तंत्रिकाएँ ग्राही अंगों से सूचनाएँ प्राप्त कर उन्हें मेरूरज्जु तक ले जाती है। यहाँ सूचनाएँ प्रेरक तंत्रिकाओं में स्थानांतरित होकर इनके द्वारा कार्यकारी अंग तक पहुँचती है। प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान मेरूरज्जु में संवेदी तंत्रिकाओं तथा प्रेरक तंत्रिकाओं के बीच बने इस संबंधन को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।
इस प्रकार प्रतिवर्ती क्रिया एक प्रकार की प्रतिक्रिया है और प्रतिवर्ती चाप उसका मार्ग है।

8. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर:- प्रतिवर्ती क्रिया किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप बिना सोचे-समझे अचानक से हुई एक त्वरित प्रतिक्रिया हैं जो मेरूरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है। जबकि टहलना एक सोच-समझकर की गई क्रिया है जो मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है।

Biology Class 10 Chapter 5 Question Answer in Hindi


9. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर:- प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है, क्योंकि यह एक अनैच्छिक क्रिया है जिसके लिए हानिकारक प्रभावों को रोकने के लिए किसी सोच-विचार की नहीं बल्कि तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है। चूँकि इसमें सोचना शामिल नहीं है, इसलिए यह मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित होती है। फिर भी मस्तिष्क तक इसकी सूचना पहुँचायी जाती है।

10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:- अनैच्छिक क्रियाएँ जीव की इच्छा के बिना होती है, हम इसे इच्छानुसार विराम नहीं दे सकते हैं। इन क्रियाओं को मध्य मस्तिष्क या पश्च मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण – हृदय-स्पंदन। जबकि
किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप बिना सोचे-समझे अचानक से हुई त्वरित क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। यह मेरूरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है। उदाहरण – किसी गर्म या ठंडे वस्तु को छूने पर तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लेना।

11. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
उत्तर:- मेरुरज्जु आघात की स्थिति में प्रतिवर्ती चाप का बनना प्रभावित होगा जिससे प्रतिवर्ती क्रिया संबंधी संकेतों के आने में व्यवधान होगा। इसके अलावा मेरुरज्जू विभिन्न ग्राही अंगों से प्राप्त संकेतों को मस्तिष्क तक स्थानांतरित नहीं कर सकेगी और न ही मस्तिष्क से प्राप्त संकेतों को कार्यकारी अंग तक स्थानांतरित कर पाएगी।

12. मस्तिष्क के क्या कार्य है?
उत्तर:- मस्तिष्क हमारे शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र है। मस्तिष्क के मुख्य कार्य है – (i) शरीर के विभिन्न भागों से आवेग के रूप में सूचनाओं को प्राप्त करना, (ii) ग्रहण किये गये आवेगों का समाकलन और अनुक्रिया, (iii) विभिन्न आवेगों का सहसंबंधन और (iv) चेतना या ज्ञान के रूप में सूचनाओं का भंडारण।

13. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति और संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर:- अनुमस्तिष्क (सेरीबेलम) शरीर की स्थिति और संतुलन का अनुरक्षण करता है। यह पश्च-मस्तिष्क का एक भाग है। यह ऐच्छिक पेशीय गतियों के नियंत्रण का केंद्र है।

14. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर:- हम एक अगरबत्ती की गंध का पता अग्रमस्तिष्क में उपस्थित गंध संवेदी केन्द्र द्वारा लगाते हैं। जब अगरबत्ती की गंध साँस द्वारा हमारे नाक में पहुँचती है तो नाक में उपस्थित घ्राण ग्राही इसे ग्रहण कर विद्युत आवेग के रूप में अग्र-मस्तिष्क को भेजते हैं। अग्रमस्तिष्क में उपस्थित गंध संवेदी केन्द्र पहले से एकत्रित सूचनाओं के आधार पर इसे अगरबत्ती की गंध के रूप में समझता है।

जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 के महत्वपूर्ण प्रश्न


15. अनुवर्तनी गति क्या होती है? एक उदाहरण देते हुए समझाकर लिखिए।
उत्तर:- बाह्य उद्दीपनों के कारण पौधों में होने वाली दिशानिर्दिष्ट वृद्धि-गतियों को अनुवर्तनी-गति कहते हैं। यह गति या तो उद्दीपन की दिशा में होती हैं अथवा उससे विपरीत दिशा की तरफ। उदाहरण के लिए, प्रकाशानुवर्तन गति के मामले में प्ररोह प्रकाश की ओर झुककर अनुक्रिया प्रदर्शित करता है, जबकि जड़ें उससे दूर रहती हुई अनुक्रिया करती हैं।

16. प्रकाशानुवर्तन क्या है?
उत्तर:- पौधे के भाग (जैसे - जड़, तना, पत्ती) आदि का प्रकाश-स्त्रोत के प्रति अनुक्रिया करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। पौधे का प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़कर तथा जड़ प्रकाश से दूर मुड़कर अनुक्रिया करते हैं।

17. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:- छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति उद्दीपन के लिए तत्काल अनुक्रिया का एक उदाहरण है। यह वृद्धि से संबंधित गति नहीं है और छुई-मुई की पत्तियाँ अपने अंदर जल की मात्रा में परिवर्तन कर अपनी आकृति बदल लेती है। जबकि
प्रकाश की ओर प्ररोह की गति प्रकाशानुवर्तन उद्दीपन गति की का एक उदाहरण है। यह वृद्धि से संबंधित गति है। इसमें प्ररोह धीरे-धीरे प्रकाश की ओर मुड़कर गति करता है।

18. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर:- पादप में रासायनिक समन्वय विशेष पादप कोशिकाओं द्वारा स्रावित रासायनिक पदार्थों द्वारा होता है, जिन्हें पादप हार्मोन या फाइटो हार्मोन कहते हैं। ये पादप हॉर्मोन क्रिया स्थान से दूर कहीं स्रावित होकर विसरण द्वारा उस स्थान तक पहुँचकर कार्य करते हैं। ये हार्मोन पादप की वृद्धि और विकास के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं, जिसमें कोशिका वृद्धि, कोशिका विभाजन, फूल, फल और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया शामिल है।

19. पादप हार्मोन क्या है?
उत्तर:- पौधों की जैविक क्रियाओं के बीच समन्वय स्थापित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप हार्मोन या फाइटो हार्मोन कहते हैं। ऑक्सिन, जिब्बरेलीन्स, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल और एथिलिन मुख्य पादप हार्मोन हैं।

नियंत्रण एवं समन्वय जीव विज्ञान कक्षा 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


20. एक पादप हार्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर:- ऑक्सिन एक पादप हार्मोन का उदाहरण है जो वृद्धि को बढ़ाता है। यह प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है और कोशिकाओं की लंबाई की वृद्धि में सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश पड़ रहा हो तो ऑक्सिन विसरण द्वारा प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। इस भाग में ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं को लंबाई में वृद्धि के लिए उद्दीपित करता है, जिससे पादप प्रकाश की ओर मुड़ता दिखाई पड़ता है।

21. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:- जब एक प्रतान किसी सहारे के संपर्क में आता है, तो सहारे के विपरीत दिशा में ऑक्सिन विसरित होकर सांद्रित होने लगती है। चूँकि ऑक्सिन एक वृद्धि हॉर्मोन है जो कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि करता है, इसलिए सहारे के विपरीत ओर की प्रतान की कोशिकाएँ अधिक लम्बी होने लगती हैं और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ता है। इस प्रकार ऑक्सिन किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में सहायक होता है।

22. किन्हीं चार पादप हार्मोन का नाम लिखें।
उत्तर:- ऑक्सिन, जिब्बरेलीन, साइटोकाइनिन और एब्सिसिक अम्ल चार पादप हार्मोन के नाम हैं। इनमें से ऑक्सिन, जिब्बरेलीन तथा साइटोकाइनिन पादप की वृद्धि में सहायता करते हैं और एब्सिसिक अम्ल पादप की वृद्धि का अवरोध करता है।

23. निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी पादप हॉर्मोनों के नाम बताइए –
(a) कोशिकाओं को लंबी होने के लिए
(b) तने की वृद्धि के लिए
(c) कोशिका-विभाजन का प्रोत्साहन करने के लिए
(d) जीर्ण पत्तियों के झड़ने के लिए।
उत्तर:- (a) कोशिकाओं को लंबी होने के लिए – ऑक्सिन।
(b) तने की वृद्धि के लिए – जिब्बरेलीन।
(c) कोशिका-विभाजन का प्रोत्साहन करने के लिए – साइटोकाइनिन।
(d) जीर्ण पत्तियों के झड़ने के लिए – एब्सिसिक एसिड।

24. एथिलीन को फल पकाने वाला हॉर्मोन क्यों कहा जाता है?
उत्तर:- एथिलीन पौधों में गैस के रूप में पाया जाने वाला हार्मोन है। यह फल को पकाने में सहायता करता है। इसलिए इसे फल पकाने वाला हार्मोन कहते हैं। कृत्रिम रूप से भी फलों को पकाने में एथिलीन का उपयोग किया जाता है।

Class 10 Science Chapter 7 Question Answer in Hindi


25. एक जीव में नियंत्रण और समन्वय की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:- जीवों में बाहरी उद्वीपनों के प्रति अनुक्रिया करने तथा शरीर के सभी भागों के कार्यों पर नियंत्रण व समन्वय बनाये रखने के लिए नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र का होना आवश्यक होता है। यदि नियंत्रण और समन्वय न हो तो सभी अंग अपने-अपने हिसाब से कार्य करने लगेंगे। नियंत्रण और समन्वय के बिना कोई भी जीव चाहे वह पादप हो या जंतु, लगातार बदलते हुए पर्यावरण में जीवित नहीं रह पायेगा।

26. जंतुओं में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर:- जंतुओं में रासायनिक समन्वय विभिन्न अंतःस्त्रावी ग्रंथियों से स्त्रावित हार्मोनों द्वारा होता है। विभिन्न अंतःस्त्रावी ग्रंथियाँ अलग-अलग हॉर्मोनों का स्त्राव करती हैं। इन हॉर्मोनों को रुधिर में डाल दिया जाता है जो उन्हें विशिष्ट ऊतकों अथवा अंगों तक ले जाता है जिन्हें लक्ष्य ऊतक अथवा लक्ष्य अंग कहते हैं। लक्ष्य ऊतकों में हॉर्मोन एक विशिष्ट जैव-रसायन अथवा शरीर क्रियात्मक क्रिया को आरंभ कर देता है।

27. अंतःस्त्रावी ग्रंथियाँ क्या है? मुख्य अंतःस्त्रावी ग्रंथियों का उदाहरण दें।
उत्तर:- हमारे शरीर में कुछ नलिका विहीन ग्रंथियाँ पायी जाती है जो अपने स्त्राव 'हॉर्मोन्स' को सीधे रूधिर में मुक्त करती है। पिनियल ग्रंथि, पियूष ग्रंथि, अवटुग्रंथि, थाइमस ग्रंथि, अधिवृक्क ग्रंथि, अग्न्याशय, वृषण तथा अंडाशय मुख्य अंतःस्त्रावी ग्रंथियाँ हैं।

Control And Coordination Biology Class 10 Chapter 5


28. हॉर्मोन की परिभाषा दें।
उत्तर:- हार्मोन जटिल, कार्बनिक एवं रासायनिक यौगिक हैं जो जीवों के जैविक क्रियाओं का समन्वय करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रियाक्षेत्र से दूर होता है और ये विसरण द्वारा क्रियाक्षेत्र तक पहुँचते हैं। मनुष्य तथा जंतुओं में हॉर्मोन नलिका विहीन अंतःस्त्रावी ग्रंथियों से स्त्रावित होते हैं।

29. पिट्युटरी ग्रंथि को 'मास्टर ग्रंथि' क्यों कहा जाता है?
उत्तर:- पिट्युटरी ग्रंथि को 'मास्टर ग्रंथि' कहा जाता है, क्योंकि यह थायरॉयड, अधिवृक्क, अंडाशय और अंडकोष जैसी अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों के हॉर्मोन स्राव को प्रेरित एवं नियंत्रित करती है।

30. यदि हमारे आहार में आयोडीन की मात्रा कम हो तो क्या होगा?
उत्तर:- आहार में आयोडीन की मात्रा कम होने पर, थायरॉइड ग्रंथि से थॉयरॉक्सिन हार्मोन का संश्लेषण कम होगा जिसके कारण प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के उपापचय पर प्रभाव पड़ेगा। इससे संबंधित व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक वृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, शरीर में आयोडीन की कमी होने पर व्यक्ति को गलगंड नामक रोग हो सकता है।

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31. आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारी का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:- थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉक्सिन नामक हॉर्मोन के संश्लेषण के लिए आयोडीन का होना अनिवार्य है। आयोडीन की कमी होने पर थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉक्सिन हॉर्मोन का स्त्राव उचित मात्रा में नहीं हो पाता है जिससे संबंधित व्यक्ति की थायरॉइड ग्रंथि बढ़ जाती है। इसे घेंघा या गलगंड रोग कहते हैं।

32. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर:- थॉयराइड ग्रंथि से थायरॉक्सिन नामक हॉर्मोन के स्त्राव के लिए सूक्ष्म मात्रा में आयोडीन की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति आयोडीन युक्त नमक के सेवन से हो जाती है। इसलिए आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है। थॉयरॉक्सिन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो हमारे शरीर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के उपापचय का नियंत्रण करता है और संबंधित व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक वृद्धि को प्रभावित करता है।

33. जब एड्रीनलीन रूधिर में स्त्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर:- एड्रीनलीन को 'आपातकालीन हॉर्मोन' कहते हैं। यह अत्यधिक शारीरिक तथा मानसिक तनाव, डर, गुस्सा एवं उत्तेजना की स्थिति में सीधे रूधिर में स्त्रावित होती है तथा शरीर के विभिन्न भागों में रूधिर प्रवाह के साथ फैलती हैं। यह मुख्य रूप से ह्रदय पर प्रभाव डालती हैं, जिससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। इससे पेशियाँ सक्रिय हो जाती हैं। डायाफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से साँस तेज़ चलने लगती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर हमारे शरीर को परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।

34. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर:- इंसुलिन अग्न्याशय से स्त्रावित होने वाला एक हॉर्मोन है जो रूधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन हॉर्मोन उचित मात्रा में स्त्रावित नहीं होती है। इससे उनके रूधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जो कई हानिकारक प्रभाव का कारण बनता है। इसलिए मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर की जाती है ताकि उनमें शर्करा का स्तर सामान्य बना रहे।

35. गर्मी में हमें पसीना क्यों आता है?
उत्तर:- गर्मी के दिनों में जब शरीर का तापमान बढ़ जाता है, तो हमारे शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए पसीने की ग्रंथि (स्वेट ग्लेंड्स) स्रावित होने लगती हैं, जिससे हमें पसीना आता है। इस स्राव में पानी होता है। उच्च तापमान के कारण पसीने का पानी वाष्पित हो जाता है और हमारे शरीर को ठंडा करने में मदद करता है।

यहाँ पर नियंत्रण एवं समन्वय अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।

अब हम नियंत्रण एवं समन्वय अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।


Class 10 Biology Chapter 5 Question Answer (Long Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Biology section, in which 1 question may be from the chapter “Control And Co-Ordination”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 5 marks are fixed for each of these questions.


जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 5 नोट्स


1. तंत्रिका तंत्र को नामांकित चित्र के साथ समझाइए।
उत्तर:- तंत्रिका तंत्र का नामांकित चित्र –
Human Nervous System
तंत्रिका तंत्र – जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है अर्थात मानव शरीर का वह तंत्र जो सोचने, समझने तथा किसी चीज को याद रखने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों के अंगों तथा उनके कार्यों में सामंजस्य तथा संतुलन स्थापित करने का कार्य करता है, तंत्रिका तंत्र कहलाता है।

तंत्रिका तंत्र के भाग – जंतु तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तन्त्रिका कोशिकाओं की गणना की जाती है।
(i) तन्त्रिका कोशिका – यह तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। हमारी ज्ञानेंद्रियों में स्थित ग्राही तंत्रिकाएँ बाहरी पर्यावरण से सूचनाओं को प्राप्त करती है। तंत्रिका कोशिका अन्य सहायक तंत्रिका कोशिकाओं के साथ मिलकर सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दुसरे भाग तक संवहन करती हैं। इस प्रकार सूचनाएं मेरुरज्जू तथा मस्तिष्क तक पहुँचते हैं।
(ii) मेरुरज्जू – यह रीढ़ की हड्डी के रुप में पीठ की ओर रहता है। यह प्रतिवर्ती क्रियाओं, बाह्य उद्दीपन के प्रति बिना सोचे-समझे तत्काल होने वाली अनुक्रियाओं, का नियंत्रण करता है और मस्तिष्क को सोचने के लिए संकेत भेजता है।
(iii) मस्तिष्क – यह हमारे शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र है। मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। ये शरीर के विभिन्न भागों से आवेग के रूप में सूचनाओं को प्राप्त कर इनका समाकलन करते हैं और इन पर अनुक्रिया करने के लिए विभिन्न पेशी ऊतकों को प्रेरित करते हैं। मस्तिष्क चेतना या ज्ञान के रूप में सूचनाओं का भंडारण भी करता है।

इस प्रकार तंत्रिका तंत्र के निम्नलिखित कार्य हैं –
(i) शरीर के विभिन्न भागों से आंतरिक संवेदना या उद्दीपन (जैसे– भूख, प्यास, तृष्णा, रोग इत्यादि) और बाह्य संवेदना या उद्दीपन (जैसे– भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक या विद्युतीय प्रभावों) को ग्रहण करना।
(ii) शरीर के विभिन्न भागों में संवेदनाओं का संवहन करना।
(iii) संवेदनाओं तथा मस्तिष्क में पहले से एकत्र सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेना और अनुक्रिया व्यक्त करने के लिए विभिन्न अंगों को प्रेरित करना।
अर्थात तंत्रिका तंत्र समस्त मानसिक कार्यों का नियंत्रण करता है और विभिन्न अंगों की भिन्न-भिन्न क्रियाओं को संचालित एवं नियंत्रित कर जन्तु को बाहरी वातावरण के अनुसार प्रतिक्रिया करने में मदद करता है।

नियंत्रण एवं समन्वय Class 10th VVI Question Answer


2. न्यूरॉन क्या है? स्पष्ट आरेखी चित्र द्वारा न्यूरॉन को नामांकित करें।
उत्तर:- न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। न्यूरॉन्स सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में संवहन करने का कार्य करते हैं।
संरचना – न्यूरॉन के मुख्य भाग साइटॉन, केन्द्रक, एक्सॉन, एक्सॉन-सिरा तथा डेट्राइट्स हैं। प्रत्येक न्यूरॉन में एक ताराकार कोशिकाकाय होता है जिसे साइटॉन कहते है। साइटॉन में ही कोशिकाद्रव्य और एक बड़ा केंद्रक पाया जाता है। साइटॉन से निकले अनेक तंतुओं या प्रवर्धनों में से सबसे लम्बे प्रवर्धन को एक्सॉन तथा अन्य छोटे एवं शाखित प्रवर्धन को डेट्राइट्स कहते हैं।
कार्य – डेट्राइट्स विभिन्न प्रकार की संवेदनाओं को संवेदी अंगों (जैसे – कान, नाक, जीभ आदि) से ग्रहण करते हैं और रासायनिक क्रिया द्वारा इन्हें विद्युत तंत्रिका आवेग में परिवर्तित करते हैं। यह आवेग डेट्राइट से साइटॉन में जाता है और एक्सॉन से होते हुए इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। एक्सॉन के अंतिम सिरे पर विद्युत आवेग द्वारा कुछ रसायन को उत्पन्न कराया जाता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स को पारकर दुसरे न्यूरॉन के डेट्राइट में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। इस प्रकार शरीर में सूचनाओं का संवहन होता रहता है।
न्यूरॉन का नामांकित चित्र –
Labeled diagram of a neuron

3. प्रतिवर्ती क्रियाएँ क्या होती हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए। प्रतिवर्ती चाप की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- प्रतिवर्ती क्रिया – किसी घटना की अनुक्रिया के फलस्वरूप बिना सोचे-समझे अचानक से हुई त्वरित क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। यह मेरूरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है।
दो उदाहरण– (i) किसी गर्म या ठंडी वस्तु को छूने के तुरंत बाद अपने हाथों को खींच लेना और (ii) कम प्रकाश से अधिक प्रकाश में जाने पर हमारी आँख की पुतली का अचानक से छोटी होना।
प्रतिवर्ती चाप – प्रतिवर्ती क्रियाओं के दौरान संवेदी तंत्रिकाएँ ग्राही अंगों से सूचनाएँ प्राप्त कर उन्हें मेरूरज्जु तक ले जाती है। यहाँ सूचनाएँ प्रेरक तंत्रिकाओं में स्थानांतरित होकर इनके द्वारा कार्यकारी अंग तक पहुँचायी जाती है। प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान मेरूरज्जु में संवेदी तंत्रिकाओं तथा प्रेरक तंत्रिकाओं के बीच बने इस संबंधन को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं। इस प्रकार प्रतिवर्ती क्रिया एक प्रकार की प्रतिक्रिया है और प्रतिवर्ती चाप उसका मार्ग है।

कक्षा 10 जीव विज्ञान अध्याय 5 नोट्स PDF


4. मस्तिष्क के प्रमुख भाग कौन से हैं? विभिन्न भागों के कार्यों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:- मस्तिष्क शरीर का मुख्य समन्वय केंद्र है। मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। ये शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाओं प्राप्त करते हैं और उनका समाकलन करते हैं। मस्तिष्क के प्रमुख भाग हैं – (i) अग्र-मस्तिष्क, (ii) मध्य-मस्तिष्क और (iii) पश्च-मस्तिष्क।
मस्तिष्क के तीनों भागों के कार्य:-
(i) अग्र-मस्तिष्क – यह मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग है। यह दो भागों से मिलकर बना होता है :
(a) प्रमस्तिष्क (सेरीब्रम) – यह बुद्धि और चतुराई का केंद्र है। यह मानव में किसी बात को सोचने समझने की शक्ति, किसी कार्य को करने की प्रेरणा, सीखना, अनुभव, याद रखना, तर्क करना, संवेदना तथा अन्य ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करता है।
(b) डाइएनसेफलॉन – यह प्रमस्तिष्क द्वारा ढँका रहता है। इसके द्वारा हमें भूख, प्यास, क्रोध, प्रसन्नता, निद्रा व थकान आदि का अनुभव होता है। यह शरीर के तापमान का नियन्त्रण करता है, जिससे हमें कम या अधिक ताप का आभास होता है। यह हँसना, रोना, दर्द होने जैसी क्रियाओं का भी नियंत्रण करता है।
(ii) मध्य-मस्तिष्क – यह मस्तिष्क का मध्य भाग है। इसमें अनेक तंत्रिका कोशिकाएँ कई समूह में उपस्थित रहती हैं। यह आँख की पेशियों को नियंत्रित करता है और अग्रमस्तिष्क एवं पश्चमस्तिष्क के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करता है।
(iii) पश्च-मस्तिष्क – यह पॉन्स, मेडुला तथा अनुमस्तिष्क से बना है।
(a) पॉन्स – यह श्वसन क्रिया को नियंत्रित करता है।
(b) मेडुला – यह अनैच्छिक क्रियाओं, जैसे- रक्त दाब, छींकना, खाँसना, लार आना, वमन तथा पाचक रसों का स्त्राव आदि का नियंत्रण करता है।
(c) अनुमस्तिष्क (सेरीबेलम) – यह ऐच्छिक पेशीय गतियों का नियंत्रण करने के साथ-साथ शरीर की स्थिति और संतुलन का अनुरक्षण करता है।

5. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर:- छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में निम्नलिखित अंतर है -
छुई-मुई पादप में होने वाली गति हमारी टाँग में होने वाली गति
(i) छुई-मुई पादप में होने वाली गति स्पर्श के प्रति अनुक्रिया है। (i) हमारी टाँग में होने वाली गति एक ऐच्छिक पेशीय गति है।
(ii) यह गति में छुई-मुई की पत्तियाँ के झुकने तथा सिकुड़ने पर आधारित है। (ii) यह गति हमारे टाँग की पेशीयों के फैलने और सिकुड़ने पर आधारित है।
(iii) इस गति में छुई-मुई पादप की पत्तियाँ अपना आकार बदल लेती है। (iii) इस गति में टाँग या उसके पेशीयों के आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता।
(iv) छुई-मुई पादप में स्पर्श की सूचना को वैद्युत रसायन विधि द्वारा एक कोशिका से दुसरी कोशिका तक भेजी जाती है। (iv) हमारी टाँग में होने वाली पेशीय गति की सूचना मस्तिष्क तक तंत्रिकाओं द्वारा गमन करती है।
(v) छुई-मुई पादप की गति किसी विशेष अंग द्वारा नियंत्रित नहीं होती है। (v) हमारी टाँग में होने वाली गति पश्च-मस्तिष्क के अनुमस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है।
(vi) यह गति छुई-मुई पादप की पत्तियों में जल की मात्रा में परिवर्तन द्वारा परिलक्षित होती है। (vi) इस गति में हमारे टाँगों में जल की मात्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

नियंत्रण एवं समन्वय प्रश्न उत्तर Class 10th PDF


6. विभिन्न पादप हॉर्मोनों के नाम बताइए। साथ ही पादप वृद्धि और परिवर्धन पर उनके क्रियात्मक प्रभावों की भी चर्चा कीजिए।
उत्तर:- ऑक्सिन, जिब्बरेलीन, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल और एथिलिन पादप हार्मोनों के नाम हैं। इनमें से ऑक्सिन, जिब्बरेलीन तथा साइटोकाइनिन पादप की वृद्धि में सहायता करते हैं जबकि एब्सिसिक अम्ल पादप की वृद्धि का अवरोध करता है और एथिलिन फलों को पकाने में सहायता करता है।
(a) ऑक्सिन प्रयोग के अग्रभाग में संश्लेषित होता है और कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि में सहायक होता है।
(b) जिब्बरेलीन तने की वृद्धि में सहायक होता है।
(c) साइटोकाइनिन कोशिका-विभाजन को प्रोत्साहित करता है। यह विशेष रूप से फलों और बीजों, जहाँ कोशिका विभाजन तीव्र होता है, में अधिक सांद्रता में पाया जाता है।
(d) एब्सिसिक एसिड पादप में वृद्धि का संदमन करने के लिए उत्तरदायी है। यह पत्तियों के मुरझाने और गिरने में सहायक होता है।
(e) एथिलीन पौधों में गैस के रूप में पाया जाने वाला हार्मोन है। यह फलों को पकाने में सहायता करता है।

7. निम्नलिखित में से प्रत्येक हॉर्मोन का एक-एक कार्य बताइए।
(a) थायरॉक्सिन
(b) इंसुलिन
(c) ऐड्रीनलिन
(d) वृद्धि-हॉर्मोन
(e) टेस्टोस्टेरॉन
उत्तर:- हॉर्मोनों का एक-एक कार्य:-
(a) थायरॉक्सिन – इसका स्त्राव थॉयराइड ग्रंथि से होता है। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय (general metabolism) का नियंत्रण करता है। अतः यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों के विकास के लिए अनिवार्य है।
(b) इंसुलिन – इसका स्त्राव अग्न्याशय ग्रंथि से होता है। यह रूधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
(c) ऐड्रीनलिन – यह एड्रीनल ग्रंथि से स्त्रावित होता है। ऐड्रीनलिन शारीरिक एवं मानसिक तनाव, डर, गुस्सा और उत्तेजना की स्थिति को नियंत्रित करता है।
(d) वृद्धि-हॉर्मोन – यह पीयूष ग्रंथि से स्त्रावित होता है। वृद्धि-हॉर्मोन शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है। बाल्यकाल में इस हॉर्मोन की कमी होने पर बौनापन होता है।
(e) टेस्टोस्टेरॉन – यह वृषण ग्रंथि से स्त्रावित होता है। टेस्टोस्टेरॉन बालकों के शरीर में यौवनावस्था में होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।

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