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नाखून क्यों बढ़ते हैं Question Answer Class 10 Hindi (Prose) Chapter 4 : Introduction
This article contains all VVI Question Answer (subjective) from Class 10th Hindi (Prose) Chapter-4 “Nakhoon Kyun Badhate Hain”. These questions are of short-answer type. This also contains the VVI sentences and their meaning.
Dear students, यहाँ बिहार बोर्ड गोधूलि भाग-2 कक्षा 10 हिन्दी गद्यखंड पाठ 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर और वाक्य-व्याख्या को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले “नाखून क्यों बढ़ते हैं” अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात कुछ महत्वपूर्ण वाक्य-व्याख्या को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10 Hindi (Prose) Chapter 4 Question Answer
In the annual board examination of Hindi subject, 10 short answer type questions are asked, in which at least 1 question from the chapter “Nakhoon Kyun Badhate Hain” may be included. Out of these 10 questions, only 5 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी गद्यखंड पाठ 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं Question Answer
1. नाखून क्यों बढ़ते हैं? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ?
अथवा, नाखून बढ़ने का प्रश्न लेखक के सामने कैसे उपस्थित हुआ?
उत्तर: एक दिन लेखक (हजारी प्रसाद द्विवेदी) की छोटी बेटी ने अचानक पूछ दिया कि आदमी के नाखून क्यों बढ़ते हैं। इस प्रकार से नाखून बढ़ने का प्रश्न लेखक के सामने उपस्थित हुआ।
2. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है? ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ शीर्षक पाठ के अनुसार लिखें।
उत्तर: बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि मनुष्य लाख वर्ष पूर्व पशुओं के साथ विचरण करता था और अपने बड़े-बड़े नाखूनों द्वारा शिकार कर पेट भरता था। इस प्रकार बढ़ते नाखून मनुष्य को उसकी पाशवी वृत्ति की याद दिलाते हैं।
3. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना कहाँ तक संगत है?
उत्तर: पूर्व काल में (कुछ लाख वर्ष पूर्व) मनुष्य जंगली था। वह शिकार करने के लिए तथा दुसरे जीवों से अपनी रक्षा करने के लिए नाखूनों का उपयोग करता था। अतः लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना संगत है।
नाखून क्यों बढ़ते हैं Question Answer
4. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है?
उत्तर: नाखून मनुष्य की पाशवी वृत्ति का जीवंत प्रतीक है। मनुष्य पशुत्व के इस चिह्न को मिटा कर सच्चे अर्थों में मनुष्य बनना चाहता है। इसलिए वह बार-बार नाखूनों को काटता है।
5. सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है?
उत्तर:- कुछ हजार साल पहले मनुष्य ने नाखून को सुकुमार विनोदों के लिए उपयोग में लाना शुरू किया। लेखक ने इस संबंध में बताया है कि वात्स्यायन के कामसूत्र के अनुसार आज से दो हजार वर्ष पहले का भारतवासी नाखूनों को जम के सँवारता था। इन्हें त्रिकोण, वर्तुलाकार, दंतुल आदि विविध आकृतियों में काटकर इन्हें मोम और आलता से रगड़कर लाल और चिकना बनाया जाता था।
6. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं? ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ शीर्षक पाठ के अनुसार लिखें।
उत्तर: आदिकाल में मानव को नाखून की दीर्घकाल तक आवश्यकता रही है। इसलिए अनजाने में ही मनुष्य में नख बढ़ा लेने की प्रवृत्ति आ गई है। चूँकि नाखून पशुता का चिह्न है। इसीलिए मनुष्य अपने नाखूनों को बड़े होने पर बार-बार काटकर अपने अंदर की पशुता को खत्म करता है। इस प्रकार नख बढ़ाना और उन्हें काटना मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ बन गई हैं।
कक्षा 10 हिन्दी गद्यखंड पाठ 4 Question Answer
7. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? स्पष्ट करें।
उत्तर: मनुष्य द्वारा पशुता के अवशेष ‘नाखूनों’ को काटना मनुष्यता की निशानी है। परंतु अस्त्र-शस्त्र को बढ़ाना पशुता की निशानी है। आज के समय में मनुष्य एक ओर जहाँ अपने नाखूनों को काट रहा है वहीं दूसरी ओर अस्त्र-शस्त्र भी बढ़ा रहा है। इसलिए लेखक पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर।
8. देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:- लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी देश की आजादी के लिए प्रयुक्त शब्दों स्वतंत्रता, स्वराज और स्वाधीनता की अर्थ मीमांसा करते हैं। इन शब्दों पर लेखक का निष्कर्ष है कि हमने आजादी के जितने भी नामकरण किये उन सबमें ‘स्व’ का बंधन अवश्य रखा। यह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है।
9. ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है?
उत्तर:- हम भारतीय ‘स्वाधीनता’ शब्द का उपयोग अंग्रेजी के ‘इण्डिपेण्डेंश’ शब्द के स्थान पर करते हैं। ‘इण्डिपेण्डेंश’ का अर्थ है अनधीनता अर्थात किसी की अधीनता का अभाव। परंतु ‘स्वाधीनता’ का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। ‘स्वाधीनता’ शब्द देश के साथ अपनापन के भाव को बढ़ाता है। इस ‘स्व’ के बंधन के कारण ही आजादी मिलने के बाद देश के नेता और विचारशील नागरिक देश को सुखी बनाने में पूरी तरह से जुट गए।
नाखून क्यों बढ़ते हैं Class 10 Hindi Question Answer
10. निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है?
उत्तर:- निबंध में लेखक ने जिस बूढ़े का जिक्र किया है वह कोई और नहीं बल्कि महात्मा गाँधी हैं। बूढ़े ने कहा था – हिंसा, क्रोध और द्वेष को दूर करो, आराम की बात मत सोचो, प्रेम की बात सोचो, काम करने की बात सोचो, लोक के लिए कष्ट सहो। लेखक की दृष्टि में बूढ़े ने अपने कथनों द्वारा मनुष्य की वास्तविक चरितार्थता को बताया था।
11. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?
उत्तर:- मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में आशा जगती है कि उस दिन मनुष्य अपने अस्त्र-शस्त्रों को पूर्णतः त्याग कर सच्चे अर्थों में मनुष्य बन जाएगा।
Class 10 Hindi Chapter 4 Question Answer
12. ‘सफलता’ और ‘चरितार्थता’ शब्दों में लेखक अर्थ की भिन्नता किस प्रकार प्रतिपादित करता है?
अथवा, लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है?
उत्तर: लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता भिन्नार्थक शब्द हैं। सफलता का संबंध मनुष्य के भौतिक विकास से है और चरितार्थता का संबंध उसके आत्मिक विकास से।
13. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता अपने आप पर अपने आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन है। भारतीयों ने आजादी के जितने भी नामकरण किये उन सबमें ‘स्व’ का बंधन अवश्य रखा। यह बंधन हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है। हम आज भी इण्डिपेण्डेंश शब्द के लिए ‘स्वाधीनता’ शब्द का उपयोग करते हैं। हम इस ‘स्व’ के बंधन को छोड़ नहीं सकते।
यहाँ पर नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर की जानकारी पूर्ण हुई। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को याद कर लिए होंगे।
अब हम नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ से कुछ महत्वपूर्ण वाक्यों और उनके व्याख्या का अध्ययन कर याद करने का प्रयास करेंगे।
कक्षा-10 हिंदी गद्यखंड नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ के महत्वपूर्ण वाक्य-व्याख्या
यहाँ नाखून क्यों बढ़ते हैं पाठ से कुल 3 महत्वपूर्ण वाक्य-व्याख्या प्रस्तुत किए गए हैं। बिहार बोर्ड मैट्रिक की हिन्दी विषय की वार्षिक परीक्षा में ऐसे प्रत्येक प्रश्न के लिए पाँच अंक निर्धारित रहता है और इनका उत्तर लगभग 100 शब्दों में दिया जाता है।
1. लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर: हमारी परंपरा महिमामयी और संस्कार उज्जवल है। परंतु हम मोह के कारण अपने पुरातन से हमेशा चिपटे रहें, यह अच्छी बात नहीं है। क्योंकि पुराने का मोह हर समय वांछनीय ही नहीं होता है। बंदरिया अपने मृत बच्चे को अत्यधिक मोह के कारण अपने से चिपकाए रहती है। कहा जाता है कि जब उस मृत बच्चे के शरीर से दुर्गंध आने लगती है तब वह उसे अपने से अलग करती है। अतः मरे हुए बच्चे को गोद में दबाए रहनेवाली बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती है। क्योंकि मनुष्य यदि मोह के कारण अपने पुरातन से ही चिपटा रहेगा, तो उसकी प्रगति और विकास के मार्ग अवरूद्ध हो जाएँगे।
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2. काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे; पर निर्लज्ज अपराधी की भाँति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर।
उत्तर:- उपरोक्त पंक्ति ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ से ली गई है। इसके लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी है। इस पंक्ति से लेखक का आशय यह है कि नाखून निर्लज्ज अपराधी की भाँति होते हैं। जैसे कोई निर्लज्ज अपराधी अपने अपराध का दंड भोगने के लिए तुरंत राजी हो जाता है और दंड मिलने के पश्चात् वह फिर से वही अपराध करने लगता हैं। उसी तरह नाखून को बढ़ने पर जब काटा जाता है तो कोई दर्द या पीड़ा महसूस नहीं होती है। नाखून को काटने के हर तीसरे-चौथे दिन वे फिर बढ़ जाते हैं। मनुष्य फिर से नाखून को काटता है और काटता ही रहता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है।
3. मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ।
उत्तर:- उपरोक्त पंक्ति ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ से ली गई है। इसके लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी है। इस पंक्ति के द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि वह मनुष्य के नाखून को देखकर कभी-कभी निराश हो जाता है, क्योंकि नाखून यह याद दिलाता है कि मनुष्य में अभी भी पशुता के गुण अवशेष हैं। कुछ लाख वर्ष पूर्व मनुष्य बर्बर जीवन व्यतीत करता था। वह शिकार के लिए नाखून और दाँतों का उपयोग करता था। इसलिए प्रकृति ने मनुष्य में नाखून को बढ़ने की प्रवृत्ति उत्पन्न कर दी। अतः मनुष्य के नाखून उसकी भयंकर पाशविक वृत्ति का जीवंत प्रतीक है। मनुष्य ने नाखून से भी कोटि-कोटि गुना शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र का आविष्कार कर लिया है। फिर भी प्रकृति मनुष्य के नाखून को बढ़ाए जा रही है।
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