जीव जनन कैसे करते हैं प्रश्न उत्तर Class 10 Biology Chapter 6 Question Answer in Hindi

Prabhakar
By -
0
Class 10 Biology Chapter 6 Question Answer in Hindi
Table of Contents (toc)

जीव जनन कैसे करते हैं Class 10 Biology Chapter 6 Question Answer: Introduction

This article contains all VVI Question Answers (Subjective) from Class 10th Biology Chapter-6 “How Do Organisms Reproduce”. These questions are of short-answer and long-answer type.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।

तो चलिए आज हम सबसे पहले ‘जीव जनन कैसे करते हैं’ पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


Class 10th Biology Chapter 6 Question Answer (Short Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Biology section, in which at least 1 question from the chapter “How Do Organisms Reproduce” is definitely included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer


1. सजीवों में जनन के महत्व लिखें।
उत्तर:- सजीवों में जनन का बहुत महत्व है। जनन के द्वारा सजीव अपने सदृश जीव उत्पन्न करता है और इस प्रकार प्रकृति में अपने स्पीशीज की समष्टि का अस्तित्व बनाए रखता है। हमें संसार में जितने भी जीव दिखाई देते हैं वे जनन द्वारा ही उत्पन्न हुए हैं।

2. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:- जीव जनन के द्वारा अपने सदृश नये जीवों को उत्पन्न करता है। इससे DNA एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँच जाता है। DNA की प्रतिकृति में मामूली विविधता के साथ आनुवंशिक गुणों की नियतता बनी रहती है। यह जीव की शारीरिक संरचना और डिजाइन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट वातावरण में जीवित रहने योग्य बनाती है। इस तरह से जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में सहायक होता है।

3. डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:- डीएनए प्रतिकृति का प्रजनन में विशिष्ट महत्त्व है। यह आनुवंशिक जानकारी को माता-पिता से संतानों तक पहुँचाने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक नई पीढ़ी में वही विशेषताएँ हों जो पिछली पीढ़ी में थीं। इस प्रकार यह स्पीशीज़ में पाई जाने वाली विभिन्न विशेषताओं के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक है।

4. डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर:- डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह आनुवंशिक सूचनाओं को माता-पिता से संतानों तक पहुँचाने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक नई पीढ़ी में वही विशेषताएँ हों जो पिछली पीढ़ी में थीं। इस प्रकार यह स्पीशीज़ में पाई जाने वाली विभिन्न विशेषताओं के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक है।

5. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर:- जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए लाभदायक है क्योंकि यह विभिन्न पर्यावरणीय परिवर्तनों के समय उनके अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती है। परंतु यह व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्योंकि किसी भी जीव को जीवित रहने के लिए भोजन, पानी और आश्रय की आवश्यकता होती है। उसके जीवन पर इन विभिन्नताओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।

जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 प्रश्न उत्तर


6. द्विखंडन एवं बहुखंडन में दो अंतर लिखें।
उत्तर:- द्विखंडन एवं बहुखंडन में दो अंतर –
(i) द्विखंडन में जनक कोशिका दो बराबर भागों में विभाजित हो जाती है जबकि बहुखंडन में जनक कोशिका एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है।
(ii) द्विखंडन अनुकूल परिस्थिति में होता है जबकि बहुखंडन प्रतिकूल परिस्थिति में होता है।

7. मुकुलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- मुकुलन अलैंगिक जनन की एक विधि है जो यीस्ट एवं हाइड्रा जैसे एक कोशिकीय जीवों में होता है। यीस्ट एवं हाइड्रा में में एक मुकुल जैसा उभार निकल आता है। यह उभार वृद्धि करता हुआ नन्हे जीव में बदल जाता है तथा पूर्ण विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है।

8. पुनर्जनन क्या होता है?
उत्तर:- हाइड्रा तथा प्लेनेरिया जैसे सरल प्राणियों को यदि कई टुकड़ों में काट दिया जाए तो प्रत्येक टुकड़ा विकसित होकर पूर्णजीव का निर्माण कर लेता है। यह प्रक्रिया पुनर्जनन कहलाती है। पुनर्जनन (पुनरुद्भवन) को जनन के समान नहीं माना जाता है, क्योंकि प्रत्येक जीव के किसी भी भाग को काटने पर सामान्यतः नया जीव उत्पन्न नहीं होता है।

9. कायिक जनन क्या है?
उत्तर:- जनन की वह प्रक्रिया जिसमें पादप-शरीर का कोई कायिक या वर्धी-भाग (vegetative part); जैसे – जड़, तना तथा पत्तियाँ उससे अलग होकर उपयुक्त परिस्थितियों में नए पौधे उत्पन्न करते हैं, उसे कायिक जनन कहा जाता है। इस प्रकार उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं। गन्ना, गुलाब, अंगूर, केला, संतरा, आलू, आदि पौधों में कायिक जनन होता है।

10. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:- कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो बीज उत्पन्न की क्षमता खो चुके हैं, ऐसे पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, केला, संतरा, गुलाब, चमेली, गन्ना आदि।

Biology Class 10 Chapter 6 Question Answer in Hindi


11. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर:- बीजाणु द्वारा जनन से जीवों को कई लाभ होते हैं, जिनमें तेजी से प्रजनन करना, प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहना और विभिन्न स्थानों पर फैलना शामिल है। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। बीजाणु छोटे और हल्के होते हैं, जिससे वे हवा, पानी और जानवरों के माध्यम से आसानी से फैल सकते हैं।

12. क्लोन से आप क्या समझते हैं? अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संततियों में असाधरण समानता क्यों पाई जाती है?
उत्तर:- क्लोन किसी जीव की उस संतति को कहते हैं जो जनन की अलैंगिक विधि से उत्पन्न होती हैं। अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संततियों में अपने जनक के DNA की यथातथ्य प्रतिकृति विद्यमान होती है,
अतः इनमें असाधरण समानता पायी जाती है।

13. एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर:- एक-कोशिक जीवों में विखंडन एवं मुकुलन द्वारा अलैंगिक जनन होता है। इनमें जनन के लिए विशिष्ट कोशिका नहीं होती है। जबकि बहुकोशिक जीवों में अलैंगिक और लैंगिक दोनों प्रकार के जनन पाये जाते है। सरल बहुकोशिकीय जीवों में अलैंगिक जनन होता है। जटिल बहुकोशिकीय जीवों में लैंगिक जनन होता है। इनमें जनन के लिए विशिष्ट कोशिका पायी जाती है।

14. लैंगिक रूप से जनन करने वाले जीवों की संतति और जनकों में गुणसूत्र समान संख्या में होते हैं। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- युग्मक निर्माण के दौरान गुणसूत्रों का अर्धसूत्री विभाजन होता है जो नर और मादा दोनों में ही गुणसूत्रों की संख्या को आधा कर देता है। जब इन दोनों युग्मकों के निषेचन द्वारा युग्मनज बनता है, तो युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या जनकों में गुणसूत्रों की संख्या के बराबर हो जाती है। अतः लैंगिक रूप से जनन करने वाले जीवों की संतति और जनकों में गुणसूत्र समान संख्या में होते हैं।

15. लैंगिक जनन से उत्पन्न संततियों में विविधताओं के पाए जाने के दो कारण बताइए।
उत्तर:- लैंगिक जनन से उत्पन्न संततियों में विविधताओं के पाए जाने के दो कारण –
(a) लैंगिक जनन में लक्षणों के अलग-अलग समुच्चय वाले दो जनक शामिल होते हैं।
(b) युग्मकों में जीनों के संयोजन अलग-अलग होते हैं।

जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 के महत्वपूर्ण प्रश्न


16. तंबाकू के पौधे में, नर युग्मक में चौबीस गुणसूत्र होते हैं। मादा युग्मक में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होगी? युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होगी?
उत्तर:- तंबाकू के पौधे में, नर युग्मक में चौबीस गुणसूत्र होते हैं। इसलिए मादा युग्मक में भी गुणसूत्रों की संख्या चौबीस होगी। इनके युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या इन दोनों युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या के योग के बराबर अर्थात अड़तालीस होगी।

17. लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर बताएँ।
उत्तर:- लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर –
लैंगिक जनन अलैंगिक जनन
(i) इसमें एक ही स्पीशीज के दो जनक भाग लेते हैं। (i) इसमें केवल एक ही जनक भाग लेता है।
(ii) इसमें नर और मादा युग्मक के युग्मन से नया जीव उत्पन्न होता है। (ii) इसमें कोई युग्मक भाग नहीं लेता है।
(iii) इसके द्वारा उत्पन्न संतति जीवों में अपेक्षाकृत अधिक विविधता पायी जाती है। (iii) इसके द्वारा उत्पन्न संतति जीवों में अपेक्षाकृत कम विविधता पायी जाती है।

18. लैंगिक जनन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:- लैंगिक जनन का महत्त्व यह है कि इस प्रकार के जनन के फलस्वरूप उत्पन्न संतति में अपेक्षाकृत अधिक विविधता पाई जाती है, जिससे उस स्पीशीज की समष्टि में भी विविधता पायी जाती है। यह विविधता भिन्न परिस्थितियों में भी उस स्पीशीज के अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है।

19. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:- अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के निम्नलिखित लाभ हैं –
(i) लैंगिक जनन से उत्पन्न होने वाली संतति में आनुवंशिक गुणों और विभिन्नता के विकास की सम्भावना होती है परन्तु अलैंगिक जनन में इसकी संभावना नहीं है।
(ii) लैंगिक जनन के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्नताएँ बदलते वातावरण में उस स्पीशीज के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती है जो अलैंगिक जनन में सम्भव नहीं है।

20. पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:- 
Labelled diagram of longitudinal section of a flower

जीव जनन कैसे करते हैं पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


21. एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंगों का वर्णन करें।
उत्तर:- एक प्ररूपी पुष्प में दो सहायक अंग होते हैं – बाह्य दलपुंज और दलपुंज (पंखुड़ी)। ये प्रजनन अंगों की रक्षा करते हैं और परागणकों (मधुमक्खी, तितली, आदि) को आकर्षित कर परागण में मदद करते हैं।

22. फूलों में दलपत्रों का क्या कार्य है?
उत्तर:- फूलों में दलपत्रों का मुख्य कार्य परागणकों (मधुमक्खी, तितली, आदि) को आकर्षित कर परागण में मदद करना हैं। यह प्रजनन अंगों की रक्षा भी करते हैं। फूल की सुंदरता उसके दलपत्रों के कारण ही होती है।

23. एकलिंगी और उभयलिंगी पुष्प से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित रहता है तो उसे एकलिंगी पुष्प कहते है (जैसे – पपीता, तरबूज)। जब पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों जननांग उपस्थित रहते हैं तो उसे उभयलिंगी पुष्प कहते है (जैसे – गुड़हल, सरसों)।

24. परागण क्या है? पर-परागण की परिभाषा दें।
उत्तर:- किसी पुष्प के परागकणों का परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के अन्य पुष्प के वर्त्तिकाग्र तक स्थानांतरण की क्रिया को परागण कहते हैं। यह दो प्रकार से होता है – स्व-परागण और पर-परागण। जब किसी पुष्प के परागकणों का स्थानांतरण परागणकों (वायु, मधुमक्खी, तितली, आदि) द्वारा उसी जाति के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो उसे परपरागण कहते हैं। यह एकलिंगी पुष्पों में होता है।

25. स्वपरागण तथा परपरागण में अंतर लिखें।
उत्तर:- जब एक पुष्प के परागकण पुष्प के वर्तिकाग्र पर या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचे, तो उसे स्व-परागण कहते हैं। जब एक पुष्प के परागकण दूसरे पौधे पर लगे पुष्प के वर्तिकाग्र पर किसी माध्यम (वायु, मधुमक्खी या तितली आदि) की सहायता से पहुँचे तो उसे पर-परागण कहते हैं।

Class 10 Science Chapter 8 Question Answer in Hindi


26. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:- परागण और निषेचन दोनों ही पौधों में प्रजनन की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण चरण हैं, लेकिन ये दोनों भिन्न क्रियाएँ हैं। परागण, परागकणों का फूल के नर भाग (परागकोष) से मादा भाग (वर्तिकाग्र) तक स्थानांतरण है, जबकि निषेचन के नर युग्मक (परागकण) और मादा युग्मक (अंडकोशिका) के संलयन की प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप फल एवं बीज बनते हैं।

27. जिन पुष्पों में परागण नहीं होता है तो ऐसे पुष्पों में निषेचन क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर:- पुष्पों में परागण, निषेचन से पहले होने वाली आवश्यक प्रक्रिया है। निषेचन के लिए नर और मादा युग्मक दोनों का होना आवश्यक है। जिन पुष्पों में परागण नहीं होता है, ऐसे पुष्पों में नर युग्मक (परागकण) अंडाशय तक नहीं पहुँच पाते हैं, जिससे निषेचन नहीं हो पाता है।

28. सामान्य वृद्धि और लैंगिक परिपक्वता में परस्पर क्या अंतर होता है?
उत्तर:- सामान्य वृद्धि का अर्थ है शरीर में होने वाली परिवर्धनात्मक प्रक्रियाओं के विभिन्न प्रकार, जैसे कि ऊँचाई में वृद्धि, भार में वृद्धि, शरीर की आकृति और आकार में परिवर्तन। लेकिन लैंगिक परिपक्वता का तात्पर्य यौवनावस्था में परिलक्षित परिवर्तनों से है जैसे, आवाज का भारी होना, त्वचा का तैलीय होना, बालों का नया पैटर्न, मादा में वक्षस्थल का विकास, आदि।

29. यौवनारंभ के समय लड़कों में कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:- यौवनारंभ के समय लड़कों की आवाज फटने लगती है। उनके चेहरे पर दाढ़ी-मूँछ निकल आती है। त्वचा अक्सर तैलीय हो जाती है और कभी-कभी मुहाँसे भी निकल आते हैं।

30. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:- यौवनारंभ के समय लड़कियों की त्वचा तैलीय होने लगती है और कभी-कभी मुहाँसे भी निकल आते हैं। लड़कियों के स्तन के आकार में वृद्धि होने लगती है। उनमें मासिक धर्म की शुरुआत होती है, जिससे उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन दिखाई देता है। ये सभी परिवर्तन यौवनारंभ के समय लड़कियों में दिखाई देते हैं।

31. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर:- मानव में वृषण के कार्य शुक्राणु का निर्माण करना, पुरुषोचित लैंगिक लक्षणों को नियंत्रित करने वाले हार्मोन (मुख्य रूप से टेस्टेस्टेरोन) का उत्पादन एवं स्राव करना है।

32. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि अपना स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु तरल माध्यम में आ जाते हैं। इससे शुक्राणु का स्थानांतरण सरलता से होता है। साथ ही यह स्राव शुक्राणु को पोषण प्रदान करता है।

33. स्खलन के दौरान शुक्राणु का क्या मार्ग होता है? नर जनन-तंत्र से संबंधित ग्रंथियों एवं उनके कार्यों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:- स्खलन के दौरान शुक्राणु वृषण में से बाहर निकल कर शुक्रवाहिकाओं में आ जाते हैं और फिर वहाँ से मूत्रामार्ग से होकर गुजरते हुए बाहर स्खलित होते हैं। शुक्राशय और प्रॉस्टेट ग्रंथियाँ नर जनन-तंत्र से संबंधित ग्रंथियाँ है। इनके स्राव शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करते हैं तथा उन्हें तरल माध्यम प्रदान कर परिवहन में सहायता करते हैं।

34. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर:- माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को प्लेसेंटा (placenta) नामक एक विशेष संरचना के माध्यम से पोषण मिलता है। प्लेसेंटा गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है जो माँ के शरीर और गर्भस्थ भ्रूण के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करती है। यह माँ के रक्त से पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन ग्रहण कर नाभि-रज्जू के द्वारा भ्रूण को स्थानांतरित करता हैं। यह भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों को माँ के रक्तप्रवाह में स्थानांतरित भी करता है, जहाँ से वे उत्सर्जित होते हैं।

35. अपरा (प्लेसेंटा) क्या है? इसका क्या कार्य है?
उत्तर:- अपरा (Placenta) एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है। अपरा का मुख्य कार्य गर्भावस्था के दौरान माँ और भ्रूण के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध स्थापित करना है। यह माँ के रक्त से आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन ग्रहण कर भ्रूण को स्थानांतरित करता है, साथ ही भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों और कार्बन डाइऑक्साइड को माँ के रक्तप्रवाह में स्थानांतरित करता है, जहाँ से वे उत्सर्जित होते हैं।

How Do Organisms Reproduce Biology Class 10 Chapter 6


36. नाभि रज्जु का क्या कार्य है?
उत्तर:- नाभि रज्जु (umbilical cord) एक संकीर्ण ट्यूब जैसी संरचना है जो गर्भाशय में अपरा (प्लेसेंटा) और भ्रूण को जोड़ता है। इसका कार्य प्लेसेंटा से पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को भ्रूण तक पहुँचाना और भ्रूण से कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को प्लेसेंटा तक स्थानांतरित करना है। अर्थात नाभि रज्जु अपरा और भ्रूण के बीच परिवहन का कार्य करता है।

37. यदि निषेचन न हो तो गर्भाशय में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:- प्रत्येक महीने गर्भाशय की दीवार निषेचित अंडे को पोषण देने के लिए मांसल और स्पंजी हो जाती है। परन्तु निषेचन न होने पर गर्भाशय का मोटा और स्पंजी परत धीरे-धीरे टूट कर योनि के जरिए रुधिर एवं श्लेष्मा के रूप में बाहर निकल जाता है।

38. अल्पवयस्क भ्रूण के आरोपण के बाद गर्भाशय में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:- अल्पवयस्क भ्रूण के आरोपण के बाद गर्भाशय की भित्ति मोटी हो जाती है अर्थात् उसमें रुधिर-वाहिकाएँ प्रचुर मात्रा में बन जाती है। अपरा नामक एक विशिष्ट ऊतक विकसित हो जाता है जो भ्रूण को गर्भाशय की भित्ति से जोड़ देता है। अपरा भ्रूण को पोषक पदार्थ और ऑक्सीजन प्रदान करता है।

39. ऋतुस्राव किसे कहते है?
उत्तर:- प्रजनन क्षमता योग्य महिला का अंडाशय प्रत्येक माह एक अंड का मोचन करता है। साथ ही, निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रति माह तैयारी करता है। अतः इसकी अंतःभित्ति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है। यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह परत धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है। इसे ही ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है।

40. ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर:- ऋतुस्राव या मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है जो प्रजनन क्षमता वाली महिलाओं में होती है। यह तब होता है जब अंडाणु का निषेचन नहीं होता है। निषेचित न हुआ अंडा गर्भाशय से बाहर निकलता है, साथ ही गर्भाशय की परत भी टूटकर रक्त और म्यूकस के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकल जाती है।

41. मेनार्क एवं मेनोपॉज में क्या अंतर है?
उत्तर:- मेनार्क एवं मेनोपॉज में निम्नलिखित अंतर है –
मेनार्क मेनोपॉज
(i) मेनार्क वह समय होता है जब एक लड़की को पहली बार मासिक धर्म (period) आता है। (i) मेनोपॉज वह समय होता है जब मासिक धर्म हमेशा के लिए बंद हो जाता है।
(ii) यह यौवनारंभ का संकेत है और आमतौर पर 11 से 13 वर्ष की आयु के बीच होता है। (ii) यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच होता है।
(iii) यह दर्शाता है कि लड़की का शरीर अब प्रजनन के लिए तैयार है (iii) यह दर्शाता है कि महिला अब बच्चे पैदा करने में सक्षम नहीं है।

Class 10th Reproduction Chapter VVI Questions


42. मनुष्य में होने वाले सामान्य लैंगिक संचारित रोगों के नाम लिखें।
उत्तर:- मनुष्य में होने वाले सामान्य लैंगिक संचारित रोगों के नाम हैं: सिफलिश, गोनेरिया, एड्स, यूरेथ्राइट्स, आदि।

43. यौन-संचारित रोगों का वर्णन कीजिए और बताइए कि उनसे कैसे बचा जा सकता है।
उत्तर:- यौन-संचारित रोग ऐसे संक्रामक रोग होते हैं जिनका संचारण मैथुन के दौरान होता है। ये रोग बैक्टीरियाजन्य हो सकते हैं अथवा वायरसजन्य। कॉन्डोम जैसे यांत्रिक अवरोध का प्रयोग कर इन रोगों के संक्रमण एवं संचारण को रोका जा सकता है।

44. गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:- गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने के निम्नलिखित कारण हो सकते है –
(क) अवांछित गर्भधारण को रोकने के लिए।
(ख) जनसंख्या वृद्धि या जन्म दर को नियंत्रित करने के लिए।
(ख) यौन संचारित रोगों के स्थानांतरण को रोकने के लिए।

45. गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी है?
उत्तर:- गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ (i) यांत्रिक अवरोध (कंडोम या कॉपर-टी का उपयोग), (ii) हार्मोन संतुलन (गर्भ-निरोधक दवाओं का उपयोग) और (iii) शल्य विधि (पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी) हैं।

46. निम्नांकित के पूर्ण रूप लिखें।
(i) IUCD (ii) OC
उत्तर:- (i) IUCD : Intrauterine Contraceptive Device
(ii) OC : Oral Contraceptives

जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 जीव जनन कैसे करते हैं Question Answer PDF Download


47. मैथुन के दौरान यांत्रिक अवरोधों के प्रयुक्त किए जाने के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:- मैथुन के दौरान कॉन्डोम जैसे यांत्रिक अवरोध के प्रयोग किए जाने से शुक्राणुओं को अंडाणु तक पहुँचने से रोका जा सकता है। अतः कॉन्डोम गर्भावस्था को रोकने की एक कारगर विधि है। साथ ही यह संभोग के दौरान होने वाले संक्रमणों के संचारण को भी रोकता है।

48. यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर:- नहीं, यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगा। यह केवल एक गर्भनिरोधक उपकरण है जो गर्भधारण को रोकने में मदद करता है।

49. गर्भनिरोधक गोलियों के बारे में बताएँ।
उत्तर:- गर्भनिरोधक गोलियाँ गर्भावस्था को रोकने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएँ हैं। ये गोलियाँ शरीर में हार्मोन संतुलन को परिवर्तित कर अंडाशय से अंडे के निकलने की प्रक्रिया को रोकती है, जिससे निषेचन नहीं हो पाता है। गर्भनिरोधक गोलियाँ वस्तुतः एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होती हैं।

50. पुरुष-नसबंदी की परिभाषा दें।
उत्तर:- पुरुष नसबंदी एक सुरक्षित और प्रभावी जन्म नियंत्रण विधि है जो पुरुषों को स्थायी रूप से बच्चे पैदा करने से रोकती है। इस प्रक्रिया में, शल्य क्रिया द्वारा पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरूद्ध कर दिया जाता है। इससे शुक्राणु वीर्य में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।

यहाँ पर जीव जनन कैसे करते हैं अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।

अब हम जीव जनन कैसे करते हैं अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।


Class 10 Biology Chapter 6 Question Answer (Long Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Biology section, in which 1 question may be from the chapter “How Do Organisms Reproduce”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 5 marks are fixed for each of these questions.


जीव विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 नोट्स


1. ऊतक-संवर्धन (tissue culture) क्या है? यह कैसे संपन्न होता है?
उत्तर:- ऊतक संवर्धन एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधे के ऊतक अथवा उसकी कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्धमान भाग से पृथक कर नए पौधे उगाए जाते हैं। इस तकनीक का उपयोग सामान्यतः सजावटी पौधों जैसे- गुलदाउदी, शतावरी, ऑर्किड आदि के संवर्धन में किया जाता है। इस तकनीक द्वारा किसी एकल पौधे से अनेक पौधे संक्रमण-मुक्त परिस्थितियों में उत्पन्न किए जा सकते हैं।
ऊतक-संवर्धन की प्रक्रिया में सबसे पहले पौधे के ऊतक अथवा उसकी कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्धमान भाग से पृथक कर लिया जाता है। फिर इन कोशिकाओं को एक कृत्रिम पोषक माध्यम में रखा जाता है जिससे ये कोशिकाएँ विभाजित होकर अनेक कोशिकाओं का एक छोटा समूह बनाती हैं जिसे कैलस कहते हैं। इसके बाद कैलस को वृद्धि एवं विभेदन के हार्मोन युक्त एक अन्य माध्यम में स्थानांतरित करते हैं जो कैलस में जड़ों और प्ररोह के विकास को प्रेरित करता है। प्ररोह और जड़ें विकसित होने पर, कैलस को छोटे पौधों में अलग किया जाता है। फिर इन नन्हें पौधों को मिट्टी में रोप देते हैं जिससे कि वे वृद्धि कर विकसित पौधे बन जाते हैं।

जीव जनन कैसे करते हैं Class 10th VVI Question Answer


2. परागण किसे कहते है? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर:- पुष्प में जनन-कोशिकाओं के युग्मन के लिए परागकणों को पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण की आवश्यकता होती है। ये परागकण परागकोश में रहते हैं। परागकणों का परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के अन्य पुष्प के वर्त्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं। यह दो प्रकार से होता है – स्व-परागण और पर-परागण।
(i) जब परागकणों का स्थानांतरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो उसे स्वपरागण कहते हैं। यह केवल उभयलिंगी पुष्पों में होता है। उदाहरण के लिए, गुड़हल के पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं। इसलिए इसके परागकण परागकोश से स्थानांतरित होकर इसी पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं।
(ii) जब परागकणों का स्थानांतरण उसी जाति के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो उसे परपरागण कहते हैं। यह एकलिंगी पुष्पों में होता है। इसके लिए अन्य कारकों जैसे कि वायु, जल, मधुमक्खी, आदि की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, पपीता एकलिंगी पादप है। इसके पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों में से कोई एक ही उपस्थित रहता है। नर पुष्प में उपस्थित परागकण वायु, मधुमक्खी आदि के द्वारा मादा पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होते हैं।

कक्षा 10 जीव विज्ञान अध्याय 6 नोट्स PDF


3. परागण किसे कहते हैं? परागण पर वर्षा होने का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- पुष्प में जनन-कोशिकाओं के युग्मन के लिए परागकणों को पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण की आवश्यकता होती है। ये परागकण परागकोश में रहते हैं। परागकणों का परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के अन्य पुष्प के वर्त्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं। यह दो प्रकार से होता है – स्व-परागण और पर-परागण।
परागण पर वर्षा होने का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वर्षा के दौरान, परागकण गीले हो जाते हैं और वे एक साथ चिपक जाते हैं, जिससे उनका फैलाव कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त, वर्षा परागकणों को बहाकर ले जा सकती है। वर्षा के दौरान, परागणक (जैसे मधुमक्खियाँ, तितलियाँ) कम सक्रिय होते हैं, जिससे परागण की दर कम हो जाती है। कुल मिलाकर कहें तो वर्षा होने पर परागण की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।

4. पुष्पी पौधों में निषेचन प्रक्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:- पुष्पी पौधों में निषेचन प्रक्रिया पुष्प में होता है। पुष्प के परागकणों के वर्तिकाग्र तक पहुँचने के बाद निषेचन की प्रक्रिया शुरू होती है। नर युग्मक (परागकण) और मादा युग्मक (अंडकोशिका) के संगलन को निषेचन कहा जाता है। परागकण वर्तिकाग्र तक पहुँचने के बाद वर्तिकाग्र की सतह से पोषक पदार्थ अवशोषित कर वृद्धि करता है। वर्तिकाग्र द्वारा स्रावित रसायन के प्रभाव से सर्वप्रथम परागकण से एक नली विकसित होती है, जिसे परागनलिका कहते हैं। परागनलिका के सिरे पर एक विशेष प्रकार का किण्वक निकलता है, जो वर्तिकाग्र के ऊतकों को गला देता है और नलिका आसानी से बढ़कर वर्तिका से होते हुए बीजांड में प्रवेश करती है।
fertilization in flowering plants
परागनलिका से नर युग्मक निकलकर बीजांड में अवस्थित मादा युग्मक (अंडकोशिका) से संगलित हो जाता है। नर युग्मक और मादा युग्मक के निषेचन के बाद युग्मनज का निर्माण होता है। बीजांड में ही युग्मनज विभाजित होकर भ्रूण के रूप में विकसित होता है। इसके उपरांत अंडाशय फल में तथा बीजांड बीज में विकसित हो जाता है।

जीव जनन कैसे करते हैं प्रश्न उत्तर Class 10th PDF Download


5. मनुष्य के प्रमुख पाँच लैंगिक-जनन संचारित रोग, उनके कारक रोगाणु एवं लक्षणों को लिखें।
उत्तर:- मनुष्य के प्रमुख पाँच लैंगिक-जनन संचारित रोग, उनके कारक रोगाणु एवं लक्षण निम्नलिखित है –
(i) रोग का नाम – सिफलिश,
कारक रोगाणु – ट्रेपोनेमा पैलिडम,
लक्षण – जननांगों पर या गुदा के पास या मुँह पर दर्द रहित छाला होना।
(ii) रोग का नाम – गोनेरिया,
कारक रोगाणु – निसेरिया गोनोरिया,
लक्षण – पुरुषों में; लिंग से पीला या हरा स्त्राव, पेशाब करते समय जलन और अंडकोष में सूजन। महिलाओं में; योनि से स्त्राव, पेट के निचले हिस्से में दर्द और पेशाब करते समय जलन।
(iii) रोग का नाम – एड्स,
कारक रोगाणु – एचआईवी (HIV),
लक्षण – शुरुआती अवस्था में फ्लू जैसे लक्षण, जैसे सिरदर्द, बुखार और ठंड लगना, गला खराब होना, लगातार और अस्पष्टीकृत थकान, वजन घटना, आदि। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है।
(iv) रोग का नाम – ट्राइकोमोनिएसिस,
कारक रोगाणु – ट्राइकोमोनास वेजिनेलिस,
लक्षण – लिंग से स्राव होना, लिंग के अंदर जलन या खुजली, मूत्र त्याग करने में दर्द, संभोग के दौरान दर्द।
(v) रोग का नाम – जननांग दाद (genital herpes),
कारक रोगाणु – दाद सिंप्लेक्स वायरस (HSV),
लक्षण – जननांग क्षेत्रों में दर्दनाक छाले निकलना।

6. जनसंख्या नियंत्रण की विभिन्न विधियों का वर्णन करें।
उत्तर:- गर्भनिरोधन की विधियाँ ही जनसंख्या नियंत्रण की विभिन्न विधियाँ हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है:
(i) यांत्रिक अवरोध: कंडोम या कॉपर-टी का उपयोग कर अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है। कॉपर-टी को गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।
(ii) हार्मोन संतुलन: दवाओं के द्वारा हार्मोन संतुलन में परिवर्तन कर अंडाणु को अंडाशय से निकलने से रोका जा सकता है। इससे निषेचन नहीं हो पाता। ये दवाएँ सामान्यतः गोली के रूप में ली जाती है। इन्हें गर्भ-निरोधक गोली कहा जाता है।
(iii) शल्य विधि: इसमें पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी शामिल हैं। पुरुष नसबंदी के लिए पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरूद्ध कर दिया जाता है, जिससे शुक्राणु वीर्य में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। वहीं स्त्री नसबंदी के लिए अंडवाहिनी (फैलोपियन नलिका) को अवरूद्ध कर दिया जाता है, जिससे अंडाणु गर्भाशय तक नहीं पहुँच पाता है।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. More Details
Ok, Go it!