
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का अर्थ Class 10 Sanskrit Chapter 10 Question Answer and Notes : Introduction
This article contains all VVI Question Answers (2 marks each) from Class 10th Sanskrit book “Piyusham Part-2” Chapter 10 “Mandakinivarnanam”. This also contains the hindi meaning of the Mandakini Varnanam chapter.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत पाठ 10 प्रश्न उत्तर को पढ़ने से पहले आपको मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का अर्थ जानना आवश्यक हो जाता है। क्योंकि इस पाठ को हिन्दी में पढ़ने के पश्चात् ही आप इसमें लिखी बातों को अधिक आसानी से याद कर पाएँगे।
इसलिए आज हम सबसे पहले मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का अर्थ हिन्दी में पढ़ेंगे और तत्पश्चात इस पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का अर्थ (हिन्दी में)
संस्कृत विषय तब तक कठिन लगता हैं जब तक कि उसका हिन्दी अनुवाद हमें पता नहीं रहता। किसी भी पाठ का हिन्दी में अनुवाद करते ही वह हमें बहुत रोचक लगने लगता है। मंदाकिनीवर्णनम् पाठ में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्या-काण्ड के पंचानवे (95वें) सर्ग से संकलित 10 श्लोकों का उल्लेख किया गया है। इस पाठ के अध्ययन से हमें मंदाकिनी नदी और उसके आसपास के सौंदर्य का ज्ञान मिलता है। यहाँ हम मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का हिन्दी अनुवाद पढ़ते समय सभी श्लोकों के अर्थ को भी समझेंगे। परंतु इन सबसे पहले मंदाकिनीवर्णनम् पाठ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं।
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 10 नोट्स
- ‘मंदाकिनीवर्णनम्’ पाठ महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अयोध्या-काण्ड के पंचानवे (95वें) सर्ग से संकलित है।
- रामायण दुनिया का सबसे प्राचीन महाकाव्य है।
- वनवास-प्रसंग में राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुँचते हैं।
- चित्रकूट पर्वत मंदाकिनी नदी के समीप स्थित है।
- श्रीराम सीताजी को संबोधित कर मंदाकिनी नदी और उसके आस-पास की सुंदरता का वर्णन करते है।
- प्राकृतिक तत्वों से घिरी यह मंदाकिनी नदी मन को मोह लेती है।
- कालिदास ने भी ‘रघुवंशम्’ काव्यग्रंथ के तेरहवें (13वें) सर्ग में मंदाकिनी नदी का वर्णन किया है।
- अनुष्टुप छंद में महर्षि वाल्मीकि ने मंदाकिनी के वर्णन में प्रकृति का सच्चा चित्रण किया है।
- ‘मंदाकिनीवर्णनम्’ पाठ में चित्रकूट की गंगा नदी के महत्व का वर्णन हैं।
- ‘मंदाकिनी’ गंगा नदी को कहा गया है।
- भागीरथी, अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के धाराओं के मिलने से गंगा नदी का निर्माण होता है।
- श्रीराम ने सीताजी को बीते, प्रिये, विशालाक्षि, कल्याणि, शोभने इत्यादि कहकर संबोधित किया है।
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 8 मंदाकिनीवर्णनम् का हिन्दी अनुवाद
‘मंदाकिनीवर्णनम्’ पाठ में कुल दस श्लोक हैं। नीचे सभी दस श्लोकों का हिन्दी अनुवाद बताया गया है और संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी दी गई है।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का पहला श्लोक विचित्रपुलिनां रम्यां ..... का हिन्दी अनुवाद
कुसुमैरुपसंपन्नां पश्य मन्दाकिनीं नदीम्॥
भावार्थ: (हे सीते!) सुन्दर मन्दाकिनी नदी को देखो, जो फूलों से सुशोभित है, जिसके तट अद्भुत हैं, तथा जिसमें हंस और सारस रहते हैं।
- मंदाकिनी नदी फूलों से परिपूर्ण है।
- मंदाकिनी नदी हंस-सारसों से सेवित है।
- मंदाकिनी रंग-बिरंगे अद्भुत तटों वाली नदी है।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का दूसरा श्लोक नानाविधैस्तीररुहैर्वृतां ..... का हिन्दी अनुवाद
राजन्तीं राजराजस्य नलिनीमिव सर्वतः॥
भावार्थ: (हे सीता!) नाना प्रकार के तटवर्ती और पुष्पित फलों के वृक्षों से घिरी हुई, तथा राजाओं के राजा (कुबेर) के तलाब के समान चमकती हुई इस मन्दाकिनी को देखो।
- मन्दाकिनी नदी नाना प्रकार के तटवर्ती और पुष्पित फलों के वृक्षों से घिरी हुई है।
- राजाओं के राजा कुबेर को कहा जाता है।
- मन्दाकिनी नदी राजाओं के राजा (कुबेर) के तलाब के समान चमक रही है।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का तीसरा श्लोक मृगयूथनिपीतानि ..... का हिन्दी अनुवाद
तीर्थानि रमणीयानि रतिं संजनयन्ति मे॥
भावार्थ: (हे सीता!) इस समय मृगों के समूहों द्वारा पिया गया गंदा जल मुझमें सुंदर तीर्थों के प्रति अनुराग उत्पन्न कर रहा है।
- पशु समूहों द्वारा मंदाकिनी नदी का पानी पीने के कारण से इसका जल कलुषित हो गया है।
- रमणीय तीर्थ अनुराग (रति) उत्पन्न कर रहे हैं।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का चौथा श्लोक जटाजिनधराः काले ..... का हिन्दी अनुवाद
ऋषयस्त्ववगाहन्ते नदीं मन्दाकिनीं प्रिये॥
भावार्थ: हे प्रिये (सीते)! समय आने पर जटा, मृगचर्म और छाल के वस्त्र धारण करने वाले ऋषिगण मंदाकिनी नदी में स्नान करते हैं।
- श्रीराम ने सीताजी को ‘प्रिये’ कहकर संबोधित किया है।
- चित्रकूट में ऋषियों का आश्रम है।
- ऋषिगण मृगचर्म और वृक्ष के छाल के वस्त्र धारण करते हैं।
- जटा धारण करने वाले और मृगचर्म एवं पेड़ की छाल को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले ऋषिगण मंदाकिनी नदी में स्नान कर इसकी महानता को बढ़ाते हैं।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का पाँचवे श्लोक जटाजिनधराः काले ..... का हिन्दी अनुवाद
एते परे विशालाक्षि मुनयः संशितव्रताः॥
भावार्थ: हे विशाल नेत्रों वाली! ये अन्य ऋषिगण, जो व्रत में संयमी हैं, अपनी भुजाएँ ऊपर उठाकर, विधिपूर्वक सूर्य को अर्पण करते हैं।
- श्रीराम ने सीताजी को ‘विशालाक्षि’ अर्थात ‘विशाल नेत्रों वाली’ कहकर संबोधित किया है।
- प्रशंसनीय व्रत करने वाले मुनीगण अपने बाहों को ऊपर उठाकर नियमपूर्वक सूर्य की उपासना करते हैं।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का छठे श्लोक मारुतोद्धृतशिखरैः प्रनृत्त ..... का हिन्दी अनुवाद
पादपैः पुष्पपत्राणि सृजद्भिरभितो नदीम्॥
भावार्थ: (हे विशाल नेत्रों वाली!) नदी के चारों ओर लगे पुष्पों, पत्तों से लदे पौधों तथा हवा के द्वारा उड़ाते हुए चोटियों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पर्वत नृत्य कर रहा है।
- मंदाकिनी नदी के चारों ओर पत्तों और फूलों से लदे पौधे लगे हुए हैं।
- पर्वत की चोटियाँ हवा के द्वारा उड़ाते हुए प्रतीत हो रही हैं।
- पर्वत नृत्य करता हुआ प्रतीत हो रहा है।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का सातवें श्लोक क्वचिन्मणिनिकाशोदां ..... का हिन्दी अनुवाद
क्वचित्सिद्धजनाकीर्णां पश्य मन्दाकिनीं नदीम्॥
भावार्थ: (हे विशाल नेत्रों वाली!) मंदाकिनी नदी को देखो, जो कभी मणि के जैसे चमकती है, कभी रेतीले तटों से युक्त है, कभी सिद्ध-जनों से भरी हुई है।
- श्रीराम ने मंदाकिनी नदी को मणि जैसे निर्मल जल वाली नदी कहा है।
- मंदाकिनी नदी का जल मणि के जैसा चमक रहा है।
- मंदाकिनी नदी रंग-बिरंगे रेतीले तटों वाली है।
- मंदाकिनी नदी सिद्ध-जनों से भरी हुई है।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का आठवें श्लोक निर्भूतान् वायुना पश्य ..... का हिन्दी अनुवाद
पोप्लूयमानानपरान्पश्य त्वं जलमध्यगान्॥
भावार्थ: हे सीते! फूलों के गुच्छों को देखो जो हवा से उड़कर दूर-दूर तक फैल गए हैं और तुम जल के बीच तैरते हुए अन्य फूलों को देखो।
- फूलों के गुच्छे हवा से उड़कर दूर-दूर तक फैल गए हैं।
- जल के बीच में फूल तैर रहे हैं।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का नौवें श्लोक तांश्चातिवल्गुवचसो ..... का हिन्दी अनुवाद
अधिरोहन्ति कल्याणि निष्कूजन्तः शुभा गिरः॥
भावार्थ: हे कल्याणि! देखो! नदी के किनारे अत्यंत मीठी वाणी वाले चकवा पक्षी अपनी मधुर आवाज के साथ पर्वत पर चढ़ रहे हैं।
- श्रीराम ने सीताजी को ‘कल्याणि’ कहकर संबोधित किया है।
- चकवा पक्षी मीठी बोली वाले पक्षी है।
- चकवा पक्षी अपनी मधुर आवाज से मंदाकिनी नदी की शोभा बढ़ा रहे हैं।
- चकवा पक्षी मधुर आवाज के साथ फुदकते हुए चित्रकूट पर्वत पर चढ़ रहे हैं।
मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का दसवें श्लोक दर्शनं चित्रकूटस्य ..... का हिन्दी अनुवाद
अधिकं पुरवासाच्च मन्ये तव च दर्शनात्॥
भावार्थ: हे शोभने! मैं चित्रकूट और मंदाकिनी के दर्शन को तुम्हें देखने और नगर में रहने से भी अधिक अच्छा मानता हूँ।
- श्रीराम ने सीताजी को ‘शोभने’ कहकर संबोधित किया है।
- श्रीराम चित्रकूट और मंदाकिनी के दर्शन को सीताजी को देखने की अपेक्षा अधिक अच्छा मानते है।
- श्रीराम चित्रकूट और मंदाकिनी के दर्शन को नगर में रहने से भी अधिक अच्छा मानते है।
यहाँ पर “मंदाकिनीवर्णनम् पाठ का अर्थ” समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन इन्हें समझ कर याद कर लिए होंगे।
अब हम “मंदाकिनीवर्णनम्” अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न और उनके उत्तर पढ़ेंगे। इससे आप मंदाकिनीवर्णनम् पाठ के तथ्यों को और अधिक सरलता से समझ पायेंगे और परीक्षा में इस पाठ से पूछे गए प्रश्नों का answer भी दे सकेंगे।
Class 10 Sanskrit Chapter 10 Question Answer
In the annual board examination of Sanskrit subject, 16 short answer type questions are asked, in which 1 or 2 questions from the chapter “Mandakinivarnanam” are definitely included. Out of these 16 questions, only 8 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.