यूरोप में राष्ट्रवाद Class 10 History Chapter 1 Question Answer in Hindi

Prabhakar
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Class 10 History Chapter 1 Question Answer
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यूरोप में राष्ट्रवाद Class 10 History Chapter 1 Question Answer: Introduction

This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th History Chapter-1 “Nationalism in Europe”. These questions are of short-answer and long-answer type.


प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड कक्षा 10 इतिहास अध्याय 1 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।

तो चलिए आज हम सबसे पहले “यूरोप में राष्ट्रवाद” अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


Class 10 History Chapter 1 Question Answer in Hindi (Short Answer Type)

In the annual board examination of Social Science subject, 6 short answer type questions are asked in History section, in which at least 1 question may be from the chapter “Europe me Rashtravad”. Out of these 6 questions, only 3 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


Class 10 History Chapter 1 Question Answer in Hindi


1. राष्ट्रवाद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:- राष्ट्रवाद एक ऐसी राजनीतिक भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता का वाहक बनती हैं। इसके फलस्वरूप आज कई छोटे-छोटे प्रांत एक सूत्र में बंध कर राष्ट्र का रूप लिए हुए है।

2. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस प्रकार सहायक हुआ ?
Napoleon Bonaparte
उत्तर:- यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट के आक्रमणों और विजयों का बहुत बड़ा योगदान रहा। उसने जर्मनी एवं इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। जिससे इन देशों के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। नेपोलियन की नीतियों के कारण यूरोप में देशभक्ति की भावना जागृत हुई। नेपोलियन यूरोप के कई राज्यों को एकीकृत कर राष्ट्रवाद को फैलाने में सहयोग किया।

3. वियना कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:- वियना कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य यूरोप में पुरातन व्यवस्था को पुनः स्थापित करना था, जिसे नेपोलियन के युद्ध और विजयों ने अस्त-व्यस्त कर दिया था। इसका एक अन्य उद्देश्य प्रजातंत्र और गणतंत्र का विरोध करना था।

4. वियना कांग्रेस की दो उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर: वियना कांग्रेस की दो उपलब्धियाँ निम्नलिखित है –
(1) नेपोलियन युग का अंत हुआ और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई।
(2) फ्रांस में बुर्वो राजवंश को पुनर्स्थापित किया गया और लुई 18वां फ्रांस का राजा बना।

कक्षा 10 इतिहास अध्याय 1 Question And Answer


5. मेटरनिख युग क्या है ?
Metternich
उत्तर:- 1815 का वियना सम्मेलन मेटरनिख की मेजबानी में हुई। इस सम्मेलन के फलस्वरूप यूरोप में पुरातन व्यवस्था की पुनर्स्थापना हुई, जिसे नेपोलियन के आक्रमणों और युद्धों ने समाप्त कर दिया था। मेटरनिख ने यूरोपीय देशों पर अपना प्रभाव स्थापित रखने के लिए इन्हें छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित कर दिया और उन्हें अलग-अलग शासकों को सौंप दिया। जहाँ पर भी राष्ट्रवादी आंदोलन सक्रिय होता मेटरनिख उसे दबा देता था। इस प्रकार से एक नये युग की शुरुआत हुई जिसे मेटरनिख युग कहा जाता है।

6. इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?
उत्तर: इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका एक विरोधी की थी। वियना सम्मेलन के बाद ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने इटली और जर्मनी को अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित कर अलग-अलग शासकों को सौंप दिया। ऑस्ट्रिया द्वारा हर संभव प्रयास किया गया कि इटली और जर्मनी के प्रांतों में राष्ट्रीयता की भावना नहीं जगे।

7. वियना सम्मेलन के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:- वियना सम्मेलन सन् 1815 ई० में ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख की मेजबानी में हुई। इस सम्मेलन में यूरोपीय देश ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया शामिल हुए। इसका मुख्य उद्देश्य यूरोप में पुरातन व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना था, जिसे नेपोलियन के युद्ध और विजयों ने समाप्त कर दिया था। इस सम्मेलन के बाद यूरोप में नेपोलियन युग समाप्त हो गया और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई।

Class 10 History Chapter 1 Question Answer in Hindi pdf


8. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर: 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण निम्नलिखित थे।
(i) सम्राट लुई फिलिप ने गीजो को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी और सुधारों का विरोधी था।
(ii) लुई फिलिप विदेश नीति में भी असफल हो रहे थे।
(iii) लुई फिलिप के पास कोई सुधार कार्यक्रम नहीं था। देश में भुखमरी और बेरोजगारी व्याप्त होने लगी थी।
इसके परिणामस्वरूप 1848 की फ्रांसीसी क्रांति हुई और लुई फिलिप को गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

9. इटली के एकीकरण में क्या समस्याएँ थी ?
उत्तर:- इटली के एकीकरण में भौगोलिक समस्याओं के साथ-साथ राजनीतिक समस्याएँ भी थी। इटली अनेक स्वतंत्र राज्य में विभक्त था, जिनमें अलगाव की भावना थी। यहाँ विदेशी देशों फ्रांस और ऑस्ट्रिया का हस्तक्षेप था और वे इटली के एकीकरण के विरुद्ध थे। इसके अलावा मेजिनी, चार्ल्स एल्बर्ट और पोप अलग-अलग तरीके से इटली का एकीकरण चाहते थे जो एक अन्य मुख्य समस्या थी।

10. मेजिनी कौन था ?
Mazzini
उत्तर: मेजिनी इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल ‘कार्बोनेरी’ का सदस्य था। वह एक साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और एक योग्य सेनापति था। उसने ‘यंग इटली’ तथा ‘यंग यूरोप’ का गठन किया। वह इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था। इसके लिए उसने अनेक प्रयास किए। परंतु सभी में उसे हार का सामना करना पड़ा। अंत में वह इटली छोड़कर भाग गया।

11. गैरीबाल्डी कौन था ? उसके कार्यों की चर्चा करें।
Garibaldi
उत्तर: गैरीबाल्डी एक महान क्रांतिकारी नेता था जिसने दक्षिण इटली के एकीकरण में योगदान दिया। प्रारंभ में वह मेजिनी के विचारों का समर्थक था, किंतु बाद में कावूर से प्रभावित होकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया। वह पेशे से नाविक था। उसने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सेना का गठन कर सशस्त्र क्रांति द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। अंत में वह अपने जीते हुए प्रदेश और अपनी सारी संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने को अग्रसित हुआ।

यूरोप में राष्ट्रवाद प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10


12. काउंट कावूर कौन था ?
Count Cavour
उत्तर:- काउंट कावूर एक सफल कूटनीतिज्ञ और राष्ट्रवादी था। उसे सार्डिनिया-पिडमाउण्ट के शासक विक्टर इमैनुएल ने अपने प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया। इसके बाद काउंट कावूर ने अपने कूटनीति का परिचय देते हुए फ्रांस को अपने पक्ष में कर लिया। आस्ट्रिया के साथ युद्ध कर उसे पराजित किया और इस तरह उत्तर और मध्य इटली के सभी रियासतों का एकीकरण किया।

13. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं ?
उत्तर: जर्मनी के एकीकरण में सबसे प्रमुख बाधा ऑस्ट्रिया था। जर्मनी में जब भी राष्ट्रवादी आंदोलन होते तो ऑस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख उसे दबा देता था। इसके अलावा प्रशा का शासक फ्रेडरिक विलियम भी एकीकरण के विरुद्ध था क्योंकि वह लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं चाहता था। जर्मनी के कुछ दक्षिणी राज्य भी एकीकरण के विरुद्ध थे। ये सभी जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ थीं।

14. बिस्मार्क कौन था ?
Bismarck
उत्तर:- बिस्मार्क प्रशा का चांसलर था। वह एक महान कूटनीतिज्ञ था। उसने अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए डेनमार्क, आस्ट्रिया और फ्रांस के साथ युद्ध कर उन पर विजय प्राप्त किया और जर्मनी के रियासतों का एकीकरण किया। बिस्मार्क ने अपनी सैन्य नीति द्वारा जर्मनी को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया।

15. विलियम I के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था, कैसे ?
उत्तर:- विलियम I प्रशा का शासक था जबकि बिस्मार्क प्रशा का चांसलर था। जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क की नीतियों के साथ-साथ विलियम I की राष्ट्रवादी सोच के कारण ही संभव हो पाया। विलियम I सुधारवादी था। उसके शासन में औद्योगिक क्रांति तेज हुई और साथ ही आधारभूत संरचनाओं में काफी सुधार हुए। इससे जर्मनी में एकीकरण तेज हुआ। इसलिए विलियम I के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था।

यहाँ पर यूरोप में राष्ट्रवाद अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।

अब हम यूरोप में राष्ट्रवाद अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।


बिहार बोर्ड इतिहास कक्षा 10 अध्याय 1 Question Answer (Long Answer Type)

In the annual board examination of Social Science subject, 2 long answer type questions are asked in History section, in which 1 question may be from the chapter “Nationalism in Europe”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 4 marks are fixed for each of these questions.


यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर Class 10


1. इटली के एकीकरण में मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बताएँ।
Italy before unificationEkikaran ke baad Italy
एकीकरण के पूर्व इटलीएकीकरण के बाद इटली

उत्तर: इटली के एकीकरण में मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदान निम्नलिखित हैं –
मेजिनी का योगदान:- मेजिनी इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल ‘कार्बोनेरी’ का सदस्य था। वह इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था। 1830 ई० में नागरिक आंदोलनों के द्वारा उसने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया, किन्तु असफल रहा। 1848 ई० में मेटरनिख के आस्ट्रिया छोड़ने के बाद मेजिनी ने पुनः इटली आकर इसके एकीकरण का प्रयास किया। किन्तु इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा।

काउंट कावूर का योगदान:- काउंट कावूर को सार्डिनिया-पिडमाउण्ट के शासक विक्टर इमैनुएल ने अपने प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया। काउंट कावूर ने अपने कूटनीति का परिचय देते हुए फ्रांस और इंग्लैंड को अपने पक्ष में कर लिया। पेरिस सम्मेलन में उसने इटली में आस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैरकानूनी घोषित कर दिया और इटली की समस्या को संपूर्ण यूरोप की समस्या बना दिया। उसने जनमत संग्रह द्वारा और आस्ट्रिया को पराजित कर रोम को छोड़कर उत्तर और मध्य इटली के सभी रियासतों का एकीकरण किया।

गैरीबाल्डी का योगदान:- गैरीबाल्डी एक महान क्रांतिकारी नेता था। उसने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सेना का गठन कर सशस्त्र क्रांति द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों का एकीकरण किया। रोम अभियान के दौरान कावूर से मिलने पर उसने सार्डिनिया-पिडमाउण्ट के शासक विक्टर इमैनुएल को अपने जीते हुए प्रदेश सौंप दिया। अंत में वह अपनी सारी संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने को अग्रसित हुआ।

नोट:- उपरोक्त प्रश्न तीन लघु उत्तरीय प्रश्नों का संग्रह है।
(i) मेजनी के कार्यो की चर्चा करें।
(ii) काउंट कावूर के कार्यों की चर्चा करें।
(iii) गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें।

2. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं परिणामों की चर्चा करें।
उत्तर: राष्ट्रवाद के उदय के कारण:- राष्ट्रवाद के उदय के मुख्य कारण पुनर्जागरण, 1789 की फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के आक्रमण थे। यद्यपि पुनर्जागरण काल में ही राष्ट्रवाद का बीजारोपण हो गया था। लेकिन 1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर निकाल कर उसे सर्वसाधारण के बीच पहुँचा दिया। इससे राष्ट्रवाद उन्नत रूप में प्रकट हुआ। नेपोलियन के आक्रमणों ने इसे भौगोलिक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। उसने कई छोटे-छोटे राज्यों का एकीकरण कर राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त किया। उसकी नीतियों के कारण यूरोप में फ्रांसीसी प्रभुता और अधिपत्य के विरोध में राष्ट्रवादी संगठन सक्रिय हुए।
राष्ट्रवाद के परिणाम:- राष्ट्रवाद के परिणाम स्वरूप इटली और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देशों का उदय हुआ। इसके साथ-साथ हंगरी, बोहेमिया, यूनान आदि यूरोपीय देशों में स्वतंत्रता आंदोलन होने लगे। ओटोमन साम्राज्य ध्वस्त हो गया और बाल्कन क्षेत्र में स्लाव जाति के लोगों ने संगठित होकर सर्बिया देश बनाया। इसे देखकर भारत सहित कई देशों में स्वतंत्रता की माँग होने लगी।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10 PDF


3. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
Unification of Germany
जर्मनी का एकीकरण (1866-71)

उत्तर: बिस्मार्क प्रशा का चांसलर था। वह एक महान कूटनीतिज्ञ था। जर्मनी के एकीकरण में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। उसने ‘रक्त और लौह’ की नीति का अवलंबन किया और अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू कर दी। इस प्रकार उसने प्रशा को एक सुदृढ़ और शक्तिशाली राज्य बना दिया। 1864 में बिस्मार्क ने आस्ट्रिया के साथ मिलकर श्लेशविग और हॉलेस्टीन राज्यों के लिए डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया। जीत के बाद श्लेशविग प्रशा को प्राप्त हुआ और हॉलेस्टीन आस्ट्रिया को। परंतु, बिस्मार्क ने हॉलेस्टीन में राष्ट्रवादी भावना को भड़का कर विद्रोह फैला दिया। जिसे कुचलने के लिए आस्ट्रिया आगे आया तो प्रशा ने रोक दिया। उसने फ्रांस और इटली के साथ समझौता किया कि आस्ट्रिया-प्रशा युद्ध में फ्रांस तटस्थ रहेगा और इटली आस्ट्रिया पर आक्रमण कर देगा। बिस्मार्क ने 1866 में सेडोवा के युद्ध में आस्ट्रिया को हराकर जर्मनी के एकीकरण का दो-तिहाई कार्य पूरा कर लिया। स्पेन की राजगद्दी के मामले में बिस्मार्क फ्रांस के विरुद्ध हो गया और अपनी जनता को फ्रांस के प्रति भड़का दिया। इससे क्षुब्ध होकर फ्रांस के शासक नेपोलियन ने 1870 में प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और सेडॉन की युद्ध में फ्रांसीसियों की जबरदस्त हार हुई। 1871 में फ्रांस और प्रशा के बीच फ्रैंकफर्ट की संधि द्वारा जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ।

4. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर: यूनानी सभ्यता का साहित्य, दर्शन, कला और विज्ञान पूरे यूरोप वासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। फिर भी यूनान तुर्की साम्राज्य के अधीन था। फ्रांसीसी क्रांति द्वारा यूनान वासियों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हुई। इसके बाद यूनान में तुर्की साम्राज्य से मुक्त होने के लिए आंदोलन होने लगे। इसी उद्देश्य के लिए हितेरिया फिलाईक नामक संस्था की स्थापना की गई। यूनान की स्वतंत्रता के लिए अन्य यूरोपीय देशों के नागरिक भी सहायता कर रहे थे। इंग्लैंड का कवि लार्ड बायरन यूनान की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इस घटना से पूरे यूरोप में यूनान के प्रति सहानुभूति की लहर दौड़ने लगी। 1821 में अलेक्जेंडर चिपसिलांटी के नेतृत्व में यूनान में विद्रोह शुरू हो गया। 1826 ई० में ग्रेट ब्रिटेन और रूस में समझौता हुआ कि वे तुर्की-यूनान विवाद में मध्यस्थता करेंगे। पुनः 1827 ई० में लंदन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंग्लैंड, फ्रांस और रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ तथा यूनान के समर्थन में संयुक्त कार्यवाही करने का निर्णय लिया। तुर्की के समर्थन में केवल मिस्र की सेना ही आयी। युद्ध में तुर्की और मिस्र की सेना बुरी तरह पराजित हुई। अंततः 1829 में एड्रियानोपल की संधि हुई। जिसके तहत तुर्की की नाममात्र प्रभुता में यूनान को स्वायत्ता देने की बात तय हुई। परंतु यूनानी राष्ट्रवादियों ने संधि की बातों को मानने से इनकार कर दिया। इंग्लैंड तथा फ्रांस भी यूनान की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। फलतः 1832 ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया और बवेरिया के शासक ‘ओटो’ को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित किया गया।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर PDF


5. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें।
उत्तर:- जुलाई 1830 की क्रांति के समय फ्रांस का शासक चार्ल्स-X था। वह एक निरंकुश और प्रतिक्रियावादी शासक था। उसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबाने का कार्य किया। उसने अपने शासनकाल में संवैधानिक लोकतंत्र की राह में कई गतिरोध उत्पन्न किये। उसने पोलिग्नेक को प्रधानमंत्री बनाया, जो प्रतिक्रियावादी स्वभाव का था। पोलिग्नेक ने पूर्व में लुई 18 वें द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली आभिजात्य वर्ग की स्थापना की तथा उसे विशेषाधिकारों से विभूषित करने का प्रयास किया। उसके इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरूद्ध षडयंत्र समझा। प्रतिनिधि सदन एवं दूसरे उदारवादियों ने पोलिग्नेक के विरूद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया। चार्ल्स-X ने इस विरोध की प्रतिक्रियास्वरूप 25 जुलाई 1830 ई० को चार अध्यादेशों द्वारा उदारतत्वों का गला घोंटने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों के विरोध में पेरिस में क्रांति लहर दौड़ गई और फ्रांस में 28 जुन 1830 ई० से गृहयुद्ध आरम्भ हो गया। इसे ही जुलाई 1830 की क्रांति कहते है। इसके परिणामस्वरूप चार्ल्स-X फ्रांस की राजगद्दी त्याग कर इंग्लैंड पलायन कर गया और इस प्रकार फ्रांस में बूर्वो वंश के शासन का अंत हो गया।

6. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानकारी दें।
उत्तर:- 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस का शासक लुई फिलिप था। वह एक उदारवादी शासक था, परन्तु बहुत अधिक महत्वाकांक्षी था। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति अपनायी। उसने 1840 में गीजो को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया। गीजो कट्टर प्रतिक्रियावादी था और किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरूद्ध था। लुई फिलिप ने पूँजीपति वर्ग को साथ रखा, जिन्हें शासन-कार्यों में अभिरूचि नहीं थी और इनकी संख्या भी कम थी। उसके पास किसी भी तरह का सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में ही किसी तरह का सफलता हासिल हो रहा था। इसके फलस्वरूप फ्रांस में उस समय भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त होने लगी, जिसकी वजह से गीजो की आलोचना होने लगी। सुधारवादियों ने 22 फरवरी 1848 ई० को पेरिस में कियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। जगह-जगह अवरोध लगाए गए और लुई फिलिप को गद्दी छोड़ने पर मजबूर किया गया। इसे ही 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के नाम से जाना जाता है। 24 फरवरी 1848 को लुई फिलिप ने गद्दी त्याग दिया और इंगलैंड चला गया। उसके बाद नेशनल एसेम्बली ने गणतंत्र की घोषणा की।

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