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Class 10 Science Chapter 14 Question Answer in Hindi : Introduction
This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10 Physics Chapter 6 Sources of Energy. These questions are of short-answer and long-answer type.
प्रिय विद्यार्थियों, बिहार बोर्ड भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।
तो चलिए आज हम सबसे पहले ऊर्जा के स्रोत अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।
Class 10 Physics Chapter 6 Question Answer (Short Answer Type)
In the annual board exam of Science subject, 8 short answer questions are asked in the Physics section, which generally includes 1 to 3 questions from this chapter. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer
1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:- ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है,
(i) जो प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करे।
(ii) जिसका भंडारण तथा परिवहन आसान हो।
(iii) जो सस्ता और सुलभ हो।
2. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर:- ऊर्जा के आदर्श स्रोत में निम्नलिखित गुण होते हैं –
(i) यह प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
(ii) इसका भंडारण तथा परिवहन आसान होता है।
(iii) यह सस्ता और सुलभ होता है।
3. उत्तम ईंधन की दो विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:- उत्तम ईंधन की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान में अधिक ऊर्जा उत्पन्न करे।
(ii) जिसका भंडारण तथा परिवहन आसान हो और सस्ता भी हो।
4. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर:- हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करेंगे। क्योंकि
(i) इससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और दहन की प्रक्रिया भी संतुलित होती है।
(ii) इसके दहन से धुआं नहीं निकलता है और राख जैसा कोई अवशेष भी नहीं बचता है।
(iii) यह मेरे क्षेत्र में सुलभ है और इसका भंडारण तथा परिवहन आसान है।
Class 10 Science Chapter 14 Question Answer in Hindi
5. जीवाश्म ईंधन क्या है? इसके दो उदाहरण दें।
उत्तर:- जीवाश्म ईंधन करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के गहरे सतह में दबे हुए पौधों और पशुओं के अवशेषों द्वारा बने कार्बनिक अणु है। जब भूकंप, भूस्खलन या अन्य कारणों से पौधों और पशुओं के अवशेष पृथ्वी के गहरे सतह में चली जाती है तो वहाँ पर उच्च दाब एवं ऊष्मा के कारण जीवाश्म ईंधन का निर्माण होता है। इसके दो उदाहरण है – कोयला और पेट्रोलियम।
6. जीवाश्म ईंधन की कमियाँ क्या हैं?
उत्तर:- जीवाश्म ईंधन की कमियाँ निम्नलिखित हैं –
(i) जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। अतः ये आने वाले कुछ ही वर्षों में समाप्त हो सकते हैं।
(ii) जीवाश्म ईंधन को जलाने से वायु में कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड मुक्त होते हैं जिनसे वायु प्रदूषण होता है और अम्लीय वर्षा भी होती है।
7. जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:- जीवाश्म ईंधन की हानियाँ निम्नलिखित हैं –
(i) जीवाश्मी ईंधन को जलाने से वायु में कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड मुक्त होते हैं जिनसे वायु प्रदूषण होता है और साथ ही अम्लीय वर्षा भी होती है।
(ii) जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। इनके भंडार सीमित है। अतः ये आने वाले कुछ ही वर्षों में समाप्त हो सकते हैं।
8. क्या जीवाश्म ईंधन नवीकरणीय है? कारण दें।
उत्तर:- नहीं, जीवाश्म ईंधन नवीकरणीय नहीं है। क्योंकि ये करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के गहरे सतह में दबे हुए पौधों और पशुओं के अवशेषों द्वारा बने कार्बनिक अणु है। इनकी मात्रा सीमित है और इनका उत्पादन उतनी तेजी से नहीं हो सकता, जितनी तेजी से इनका उपयोग हो रहा है। यही कारण है कि अगले कुछ वर्षों में जीवाश्म ईंधन समाप्त हो जाएँगे।
9. जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्पन्न पर्यावरणीय प्रदूषण को निम्नतम करने के दो उपाय सुझाइए।
उत्तर:- जीवाश्मी ईंधन को जलाने पर उत्पन्न पर्यावरणीय प्रदूषण को निम्नतम करने के दो उपाय निम्नलिखित हैं –
(i) धुआँ रहित साधित्रों का उपयोग करना।
(ii) अधिक से अधिक पौधारोपण करना।
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 6 प्रश्न उत्तर
10. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
उत्तर:- बढ़ती जनसंख्या और तकनीकी विकास के कारण ऊर्जा की माँग में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। जीवाश्म ईंधन, जो ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत हैं, के भंडार सीमित हैं तथा ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण ये तेजी से कम हो रहे हैं। इसलिए ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं। ताकि हम एक टिकाऊ, स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य बना सकें।
11. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं?
उत्तर:- पवनों और जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में हमारी सुविधा के लिए कई सुधार किए गए हैं। पहले, पवन ऊर्जा का उपयोग मुख्य रूप से पवन चक्कियों द्वारा कुओं से पानी निकालने या गेंहू आदि पीसने के लिए होता था। अब, पवन ऊर्जा फार्म में पवन चक्कियों के विशाल नेटवर्क द्वारा विद्युत उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार, पहले बहते हुए जल की गतिज ऊर्जा का उपयोग लकड़ी के भारी लट्ठों के परिवहन या अन्य दैनिक कार्यों के लिए किया जाता था। अब, बाँध बनाकर कृत्रिम झीलें या पानी के बड़े जलाशय बनाए जाते हैं। इस संग्रहित पानी को बाँध के ऊपर से पाइप के द्वारा पास में स्थापित टरबाइन पर गिराकर विद्युत उत्पादित की जाती है।
12. बड़े बाँधों के निर्माण में आने वाली समस्याओं को लिखिए।
उत्तर:- बड़े बाँधों के निर्माण में आने वाली समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
(i) बाँधों के निर्माण से बहुत-सी कृषियोग्य भूमि तथा मानव आवास डूबने के कारण, नष्ट हो जाते हैं। विस्थापित लोगों के पुनर्वास की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
(ii) बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं।
13. जैवमात्रा क्या है? जैवमात्रा से जैवगैस प्राप्त करने के लिए क्या किया जाता है?
उत्तर:- पादपों एवं जंतुओं के अपशिष्ट को जैवमात्रा कहा जाता है। जैवमात्रा से जैवगैस प्राप्त करने के लिए जैवमात्रा और पानी का गाढ़ा घोल तैयार कर बायोगैस संयंत्र में डाला जाता है। यहाँ ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अवायवीय सूक्ष्मजीव अपशिष्टों के जटिल यौगिकों को अपघटित कर देते हैं। इसके फलस्वरूप जैवगैस का उत्पादन होता है जिसे पाइप की सहायता से बाहर निकाल कर घरों तक पहुँचाया जाता है। इसमें 75 % तक मिथेन गैस होता है।
14. बायोगैस संयंत्र क्या है?
उत्तर:- बायोगैस संयंत्र एक ऐसा संयंत्र है जिसके द्वारा गोबर, सब्जियों के अपशिष्ट आदि जैव अपशिष्टों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अवायवीय सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित कर जैव गैसों को उत्पन्न किया जाता है। इसमें चारों तरफ से बंद एक कक्ष होता है जिसे संपाचित्र (digester) कहते हैं। इसी में जैव अपशिष्टों को जमा किया जाता है। इसके ऊपर एक टंकी होती है जिसमें बायोगैस जमा होते हैं। बायोगैस में 75 प्रतिशत तक मेथेन गैस होती है।
15. पशु-गोबर और जीव अपशिष्ट से बायोगैस प्राप्त करने के क्या लाभ है?
उत्तर:- पशु-गोबर और जीव अपशिष्ट से बायोगैस प्राप्त करने के निम्नलिखित लाभ है –
(i) इसके द्वारा उत्तम ईंधन प्राप्त होता है। इसमें 75 % तक मेथेन गैस होती है जो बिना धुँआ उत्पन्न किए जलती है।
(ii) बायोगैस संयंत्र में शेष बची स्लरी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं। अंतः इसे खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
(iii) इसके द्वारा जैव अपशिष्टों का सुरक्षित निपटारा हो जाता है।
Physics Class 10th Chapter 6 Question Answer
16. पवन ऊर्जा प्राप्त करने के क्या फायदे हैं?
उत्तर:- पवन ऊर्जा प्राप्त करने के अनेक फायदे हैं। पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक दक्ष स्रोत है। यह पर्यावरण-हितैषी है अर्थात यह पर्यावरण को किसी तरह की हानि नहीं पहुँचाता है। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन के लिए बार-बार धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती। एक बार पवन चक्कियों को स्थापित करने के बाद हम कई वर्षों तक विद्युत उत्पादन कर सकते हैं।
17. पवन से ऊर्जा प्राप्त करने की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:- पवन से ऊर्जा प्राप्त करने की अनेक सीमाएँ हैं।
(i) पवन ऊर्जा फार्म केवल उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किए जा सकते हैं जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवन चलती हो। क्योंकि टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन की चाल 15 km/h से अधिक होनी चाहिए।
(ii) पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए एक विशाल भूखंड की आवश्यकता होती है। 1 MW के जनित्र के लिए पवन फार्म के लिए लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
(iii) पवन ऊर्जा फार्म खुले वायुमंडल में स्थापित होते हैं इसलिए इनके लिए उच्च स्तरीय रखरखाव की आवश्यकता होती है।
18. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण – अवतल, उत्तल अथवा समतल – सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?
उत्तर:- सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है। क्योंकि यह सूर्य की किरणों को परावर्तित कर एक छोटे-से क्षेत्र पर फोकसित करता है जिससे सौर कुकर का ताप बढ़ जाता है और भोजन जल्दी से पकता है।
19. सौर कुकर में समतल दर्पण तथा काँच की शीट की क्या भूमिका है?
उत्तर:- सौर कुकर में समतल दर्पण प्रकाश परावर्तक की भूमिका निभाता है और काँच की शीट हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करता है, जिससे कुकर अधिक समय तक गर्म रहता है।
20. क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर:- हाँ, ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में जहाँ सूर्य का प्रकाश कम होता है और पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें अधिक तिरछी होती हैं, वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सौर कुकर का उपयोग सीमित हो जाता है।
21. सोलर सेल से विद्युत उत्पन्न करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:- सोलर सेल से विद्युत उत्पन्न करने के लाभ हैं –
(i) सोलर सेल से विद्युत उत्पन्न करना एक सस्ती प्रक्रिया है। सोलर सेल का रखरखाव भी सस्ता है।
(ii) सोलर सेल को सूदूर और अगम्य स्थानों पर भी लगा कर विद्युत उत्पन्न कर सकते हैं।
(iii) सोलर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रुपांतरित करते हैं जो कि ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
कक्षा 10 भौतिक विज्ञान पाठ 6 प्रश्न उत्तर
22. सौर सेल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:- सौर सेल ऊर्जा का एक नवीकरणीय और स्वच्छ स्रोत है। परन्तु इसकी कुछ सीमाएँ हैं। जैसे, सौर सेलों को बनाने के लिए विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन का उपयोग होता है जिनकी उपलब्ध्ता सीमित है। सौर सेलों को परस्पर संयोजित करके सौर पैनल बनाने में चाँदी का उपयोग होता है जिसके कारण लागत में और वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार सौर सेलों के उत्पादन की समस्त प्रक्रिया बहुत महँगी है, जिसके कारण इसका घरेलू उपयोग अभी तक सीमित है।
23. सौर सेलों के उपयोग के बारे में लिखें।
उत्तर:- सौर सेलों का उपयोग सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। सूदूर तथा अगम्य क्षेत्रों में, यह विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने सौर सेलों का उपयोग होता है। मानव-निर्मित उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक युक्तियों जैसे मार्स ऑर्बिटरों में सौर सेलों का उपयोग प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है। ट्रैफिक सिग्नलों, कैलकुलेटर, अनेक खिलौनों आदि में सौर सेल का उपयोग होता हैं।
24. महासागरों से ऊर्जा प्राप्त करने की दो विधियाँ लिखिए।
उत्तर:- महासागरों से ऊर्जा प्राप्त करने की दो विधियाँ हैं: ज्वारीय ऊर्जा और महासागरीय तापीय ऊर्जा।
25. ज्वारीय ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:- चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण सागरों में जल का स्तर चढ़ता व गिरता रहता है। इस परिघटना को ज्वार-भाटा कहा जाता है। ज्वार भाटे में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करने के लिए सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण कर उसके द्वार पर एक टरबाइन स्थापित कर दिया जाता है। ज्वार भाटे में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से टरबाइन घूमता है जिससे विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है।
26. महासागरीय तापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:- समुद्रों अथवा महासागरों के पृष्ठ का जल सूर्य द्वारा तप्त हो जाता है जबकि इनके गहराई वाले भाग का जल अपेक्षाकृत ठंडा होता है। ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant या OTEC विद्युत संयंत्र) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस ऊर्जा को महासागरीय तापीय ऊर्जा कहते हैं। OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी प्रचालित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 km तक की गहराई पर जल के ताप में 20 °C का अंतर हो।
Sources of Energy Subjective Question Answer
27. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:- महासागरों की ऊर्जा की क्षमता (ज्वारीय-ऊर्जा, तरंग-ऊर्जा तथा महासागरीय-तापीय ऊर्जा) अति विशाल है। परंतु इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन में कठिनाइयाँ हैं। ज्वारीय ऊर्जा का दोहन करने के लिए बाँध निर्मित किए जा सकने वाले स्थान बहुत सीमित है। इसी प्रकार तरंग-ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लगातार प्रबल तरंग उपलब्ध नहीं होती है, जो ऊर्जा उत्पादन को प्रभावित करती है। महासागरीय-तापीय ऊर्जा के लिए महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 km तक की गहराई पर जल के ताप में 20 °C का अंतर आवश्यक है, ऐसे स्थान भी सीमित मात्रा में हैं। इनके अलावा महासागरों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली प्रौद्योगिकियाँ अभी विकास के शुरुआती चरण में हैं और महँगी हैं।
28. भूऊष्मीय ऊर्जा क्या है?
उत्तर:- पृथ्वी के अंदर चट्टानों के बीच उच्च दाब पर फँसी गर्म भाप से प्राप्त ऊर्जा को भूऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। इसे भूतापीय ऊर्जा भी कहते हैं। उच्च दाब पर फँसी गर्म भाप को पाइप द्वारा निकालकर विद्युत जनित्र के टरबाइन को चलाया जाता है जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।
29. नाभिकीय ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- जब किसी भारी परमाणु (यूरेनियम, थोरीयम या प्लूटोनियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉनों से बमबारी कराकर उसे हल्के द्रव्यमान वाले परमाणु के नाभिकों में विखंडित किया जाता है तो इस प्रक्रिया में विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं और यह अभिक्रिया नाभिकीय अभिक्रिया कहलाती है।
30. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर:- नाभिकीय ऊर्जा एक वैकल्पिक स्रोत हैं। यह ऊर्जा की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है। नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नाभिकीय विद्युत संयंत्रों में नियंत्रित नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया कराया जाता है। यह पर्यावरण में बहुत कम प्रदूषण फैलाता है और नियंत्रित दर पर विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त करता है। इस प्रकार नाभिकीय ऊर्जा का विशेष महत्व है।
31. नाभिकीय विखंडन क्या है?
उत्तर:- नाभिकीय विखंडन एक ऐसी नाभिकीय अभिक्रिया है जिसमें किसी भारी परमाणु (यूरेनियम, थोरीयम या प्लूटोनियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉनों से बमबारी कराकर उसे हल्के द्रव्यमान वाले परमाणु के नाभिकों में विखंडित किया जाता है। इस प्रक्रिया में विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
Sources of Energy VVI Question Answer
32. नाभिकीय संलयन क्या है?
उत्तर:- नाभिकीय संलयन एक ऐसी नाभिकीय अभिक्रिया है जिसमें दो हल्के नाभिकों को जोड़कर एक भारी नाभिक बनाया जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके लिए सामान्यतः हाइड्रोजन या हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है। सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा का स्रोत नाभिकीय संलयन ही है।
33. सूर्य की ऊर्जा का स्रोत क्या है?
उत्तर:- सूर्य की ऊर्जा का स्रोत नाभिकीय संलयन अभिक्रिया है। इसमें हाइड्रोजन या हाइड्रोजन समस्थानिकों के संलयन से हीलियम उत्पन्न की जाती है। इस प्रक्रिया द्वारा विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
34. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:- नहीं, कोई ऊर्जा स्रोत पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता। क्योंकि किसी भी ऊर्जा स्रोत के उपयोग से किसी न किसी रूप में पर्यावरण को नुकसान होता ही है। उदाहरण के लिए, जीवाश्म ईंधन को जलाना वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का कारण बनता है, जबकि परमाणु ऊर्जा के उपयोग से रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न होता है। सौर सेलोंं के बनने की प्रक्रिया से भी पर्यावरण को नुकसान पहुँच सकता है।
35. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:- रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन को CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन माना जाता है। क्योंकि हाइड्रोजन के जलने से केवल जल (H₂O) बनता है, इसके साथ कोई हानिकारक गैसें नहीं निकलतीं है। जबकि CNG के जलने से CO और CO₂ जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं। इसलिए हाइड्रोजन रॉकेट ईंधन के लिए एक स्वच्छ और कुशल विकल्प है।
36. अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत क्या है? कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:- ऊर्जा के ऐसे स्रोत जो किसी-न-किसी दिन समाप्त हो जाएँगें, उन्हें समाप्य ऊर्जा-स्रोत या अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत कहते हैं। अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत के दो उदाहरण हैं – कोयला और पेट्रोलियम।
भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 6 ऊर्जा के स्रोत के प्रश्न उत्तर
37. नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोत क्या है?
उत्तर:- ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनका पुनर्जनन हो सकता है, वे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं। जैसे – बायोगैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि। जबकि ऊर्जा के ऐसे स्रोत जो किसी-न-किसी दिन समाप्त हो जाएँगें, वे ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं। जैसे – कोयला और पेट्रोलियम।
38. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:- सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम हैं जिन्हें मैं नवीकरणीय मानता हूँ।
तर्क – सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा, ये दोनों कभी समाप्त नहीं होने वाले ऊर्जा स्रोत है। इनका उपयोग करने पर प्राकृतिक रूप से स्वतः इनकी पुनः पूर्ति हो जाती है।
39. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:- कोयला तथा पेट्रोलियम ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम हैं जिन्हें मैं समाप्य मानता हूँ।
तर्क – कोयला तथा पेट्रोलियम करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के गहरे सतह में दबे हुए पौधों और पशुओं के अवशेषों द्वारा बने कार्बनिक अणु है। अर्थात इनके निर्माण की दर इनके खपत की अपेक्षा अत्यंत धीमी है।
40. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर:- जनसंख्या वृद्धि और तकनीकी विकास के कारण ऊर्जा की माँग निरंतर बढ़ती जा रही है। ऊर्जा की बढ़ती माँग कई प्रकार से पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। जीवाश्म ईंधन जैसे ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने से वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे उत्पन्न होते हैं। ऊर्जा की खपत को कम करने के कुछ उपाय हैं: ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करना, प्राकृतिक रोशनी का उपयोग करना, साईकिल का उपयोग करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।
यहाँ पर ऊर्जा के स्रोत अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।
अब हम ऊर्जा के स्रोत अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10 Physics Chapter 6 Question Answer (Long Answer Type)
In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Physics section, in which 1 question may be from the chapter “Sources of Energy”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 6 marks are fixed for each of these questions.
1. समझाएँ कि कैसे जल-ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में बदला जा सकता है। जल ऊर्जा के दो लाभ भी लिखें।
उत्तर:- जल-ऊर्जा, बहते जल की गतिज ऊर्जा अथवा किसी ऊँचाई पर स्थित जल की स्थितिज ऊर्जा, ऊर्जा का एक पारंपरिक और नवीकरणीय स्रोत है।
जल-ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में बदलने की विधि –
जल-विद्युत संयंत्रों के द्वारा जल-ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में बदला जाता है। इसके लिए बड़े-बड़े बाँध बनाकर नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों (कृत्रिम झील) में जल को एकत्र किया जाता है। इससे जलाशयों में जल संचित होता रहता है। जब जलाशय में जल का स्तर ऊँचा हो जाता है तो जल बाँध के ऊपरी भाग से पाइप द्वारा बाँध के आधार के पास स्थापित जनित्र के टरबाइन के ब्लेड पर गिरता है। फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन करने लगते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत का उत्पादन होता है। इस प्रकार जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
जल ऊर्जा के दो लाभ निम्नलिखित हैं –
(i) जल ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि हर बार वर्षा होने पर जलाशय भर जाते हैं और हमें जल-विद्युत स्रोत के समाप्त होने की चिंता नहीं रहती है।
(ii) जल-विद्युत परियोजनाओं के लिए बनाए गए बाँध पानी को नियंत्रित कर बाढ़ के जोखिम को कम करते है, और वे सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराते हैं।
ऊर्जा के स्रोत भौतिकी कक्षा 10 अध्याय 6 प्रश्न उत्तर
2. बायोगैस संयंत्र की मूल बनावट तथा क्रिया का वर्णन करें।
उत्तर:-

बायोगैस संयंत्र की मूल बनावट – बायोगैस संयंत्र में ईंटों का बना चारों ओर से बंद एक भूमिगत कक्ष होता है जिसमें ऑक्सीजन नहीं होती। इसे संपाचित्र (digester) कहते हैं। इसी संपाचित्र में गोबर तथा जल गाढ़ा घोल (कर्दम) तैयार कर डाला जाता है। बायोगैस को इकट्ठा करने के लिए ड्रम के आकार वाली एक स्टील की बनी गैस टंकी संपाचित्र में भरे गोबर के घोल के ऊपर उलटी तैरती रहती है। गैस टंकी की चोटी पर एक गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिसमें एक वाल्व लगा रहता है। घरों में सप्लाई करने के लिए बायोगैस इसी निर्गम पाइप से निकाली जाती है।
कार्यविधि – गोबर तथा जल का एक गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है जिसे कर्दम (slurry) कहते हैं। इसे एक पाइप की सहायता से संपाचित्र में डाल दिया जाता है। इस घोल को संपाचित्र टंकी में लगभग 50-60 दिन के लिए ऐसे ही रखा जाता है। इस अवधि के दौरान अवायवीय सूक्ष्मजीव जिन्हें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती, गोबर की स्लरी के जटिल यौगिकों को अपघटित कर देते हैं। इसके फलस्वरूप बायोगैस (मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड) बनती हैं जो संपाचित्र के ऊपर बनी गैस टंकी में जमा होने लगती है। इस बायोगैस को पाइप की सहायता से घरों में पहुँचाया जाता है।
Class 10 Physics Chapter 6 Question Answer in Hindi
3. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं?
उत्तर:- सौर कुकर का उपयोग करने के लाभ निम्नलिखित हैं –
(i) पर्यावरण अनुकूल: सौर कुकर सौर ऊर्जा का उपयोग करता है, जो एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है।
(ii) ऊर्जा की बचत: सौर कुकर सौर ऊर्जा का उपयोग करके ऊर्जा की बचत करता है, क्योंकि इसमें बिजली या गैस की आवश्यकता नहीं होती है।
(iii) कम परिचालन लागत: सौर कुकर का परिचालन लागत कम होता है, क्योंकि इसमें ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें बार-बार धन खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है।
(iv) सुरक्षित विकल्प: सौर कुकर में आग लगने का खतरा नहीं होता है, जो इसे ऊर्जा का एक सुरक्षित विकल्प बनाता है।
(v) पोषक तत्वों का संरक्षण: सौर कुकर में खाना पकाने के दौरान भोजन के पोषक तत्वों को संरक्षित किया जा सकता है।
सौर कुकर का उपयोग करने की हानियाँ –
सौर कुकर का उपयोग करने की कोई हानि तो नहीं है परन्तु इसके उपयोग की कुछ सीमाएँ हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं:
(i) मौसम पर निर्भरता: सौर कुकर की कार्यक्षमता मौसम पर निर्भर करती है, जैसे कि धूप की उपलब्धता। बादलों या बारिश के दिनों में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
(ii) अधिक समय: सौर कुकर में खाना पकाने की गति पारंपरिक तरीकों की तुलना में धीमी होती है जिससे सौर कुकर में खाना पकाने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
(iii) उच्च प्रारंभिक लागत: सौर कुकर की प्रारंभिक लागत अधिक होती है, जिसे कुछ लोग वहन नहीं कर सकत हैं।
(iv) कुछ भोजन के लिए उपयुक्त नहीं: सौर कुकर का उपयोग तले हुए या भूने हुए भोजन के लिए नहीं किया जा सकता है।
(v) स्थानिक सीमा: सौर कुकर को कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि ध्रुवीय क्षेत्रों या बादल वाले क्षेत्रों में, उतना प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया जा सकता हैं।
Physics Class 10th Chapter 6 Question Answer pdf Download
4. सूर्य की ऊर्जा का स्रोत क्या है? वर्णन करें।
उत्तर:- सूर्य की ऊर्जा का मुख्य स्रोत नाभिकीय अभिक्रियाएँ हैं जो इसके केंद्र में होती हैं। इन अभिक्रियाओं में, हाइड्रोजन परमाणु हीलियम परमाणु में परिवर्तित होते हैं, जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस अभिक्रिया को नाभिकीय संलयन अभिक्रिया कहा जाता है। वस्तुतः सूर्य के केंद्र में तापमान और दबाव इतना अधिक होता है कि दो हाइड्रोजन परमाणु आपस में टकराकर हीलियम में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में बने हीलियम परमाणु का द्रव्यमान दो हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के योग से कुछ कम होता है। द्रव्यमान में यह अंतर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है, जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है। इस ऊर्जा की मात्रा को आइंस्टीन के विख्यात समीकरण E = mc² से ज्ञात किया जाता है, जहाँ c निर्वात में प्रकाश की चाल है।
सूर्य की नाभिकीय अभिक्रियाओं में उत्पादित ऊर्जा विभिन्न रूपों में निकलती है, जैसे कि प्रकाश और ऊष्मा। यह ऊर्जा सूर्य की सतह से विकिरण के रूप में निकलती है और अंतरिक्ष में फैल जाती है। इस प्रकार यह प्रकाश और ऊष्मा के रूप में पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों तक पहुँचती है।