प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन Science Class 10 Chapter 16 Question Answer

Prabhakar
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Science Class 10 Chapter 16 Question Answer
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प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन Science Class 10 Chapter 16 Question Answer : Introduction

This article contains all VVI Question Answers (subjective) from Class 10th Chemistry Chapter 6 "Management of Natural Resources". These questions are of short-answer and long-answer type.


Dear students, यहाँ बिहार बोर्ड रसायन विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer के अन्तर्गत प्रकाशित इन सभी महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़-पढ़ कर याद करने का प्रयास करें। याद हो जाने के पश्चात् इन्हें अपने नोटबुक में लिखना न भूलें।

तो चलिए आज हम सबसे पहले “प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन” अध्याय के लघु उत्तरीय प्रश्नों को पढ़ते हैं और तत्पश्चात दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को भी पढ़ कर याद करने का प्रयास करेंगे।


Class 10th Science Chapter 16 Question Answer (Short Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 8 short answer type questions are asked in Chemistry section, in which at least 1 question from the chapter “Management of Natural Resources” is included. Out of these 8 questions, only 4 questions have to be answered and 2 marks are fixed for each of these questions.


रसायन विज्ञान कक्षा 10 अध्याय 6 Question Answer


1. तीन प्रकार के “R” के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:- तीन प्रकार के “R” का तात्पर्य Reduce (उपयोग में कमी), Recycle (पुनः चक्रण) और Reuse (पुनः उपयोग) से हैं। इनके द्वारा पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन का कार्य भी हो जाता है।

2. पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:- पर्यावरण मित्र बनने के लिए हम अपनी आदतों में कई परिवर्तन ला सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार है:
(i) हम रात में सोने के समय बल्ब का स्विच बंद कर सकते हैं।
(ii) कम दूरी की यात्रा के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग कर सकते हैं।
(iii) ऐसी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं जिनका पुनः उपयोग किया जा सके।
(iv) नल एवं पाइपों में रिसाव की मरम्मत करा कर जल की बचत कर सकते हैं।

3. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं? यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं।
उत्तर:- संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य वाली परियोजना के कुछ लाभ यह हो सकते हैं कि संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन करके तत्काल लाभ प्राप्त किया जा सकता है, और परियोजना को जल्दी पूरा किया जा सकता है। इसके द्वारा विकास कार्य तीव्र गति से होता है। यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से भिन्न होता हैं। लंबी अवधि की परियोजनाएँ संसाधनों के सतत उपयोग पर जोर देती हैं, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। यह संसाधनों के उचित प्रबंधन कर इनके पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इस प्रकार लंबी अवधि की परियोजनाएँ संसाधनों के दीर्घकालिक और टिकाऊ उपयोग पर जोर देती हैं।

4. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:- हाँ, संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए। इससे समाज के सभी वर्गों के लोगों तक संसाधनों का समान लाभ पहुँचता है। संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध अमीर और राजनीतिक ताकतें कार्य कर सकती हैं।

Science Class 10 Chapter 16 Question Answer


5. वन संपदाओं पर निर्भर किन्हीं दो उद्योगों का नाम बताएँ।
उत्तर:- वन संपदाओं पर निर्भर दो उद्योगों के नाम हैं – फर्नीचर उद्योग और कागज उद्योग।

6. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:- हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण इसलिए करना चाहिए क्योंकि वे हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
(i) वन मिट्टी को कटाव से बचाते हैं और भूस्खलन को रोकते हैं। ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं और जलवायु को नियंत्रित करते हैं। वन वर्षा में सहायक होते हैं। ये हमें लकड़ी, फल, औषधियाँ, और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रदान करते हैं।
(ii) वन्य जीवन आहार श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यह पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखने में मदद करता है। यह विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को आश्रय प्रदान कर जैव विविधता को बनाए रखता है।

7. वन एवं वन्य जीवन संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:- वन एवं वन्य जीवन संरक्षण के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं: वनों को संरक्षित क्षेत्रों में परिवर्तित करना, अंधाधुंध वनों की कटाई पर रोक लगाना, स्थानान्तरित खेती को नियंत्रित करना, वन की आग से रक्षा का प्रबंधन करना, वन्य जीवों के अवैध शिकार पर रोक लगाना, वन्यजीवों के अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाना, लोगों को वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूक करना, आदि।

8. वन संरक्षण हेतु क्या कदम आवश्यक हैं?
उत्तर:- वन संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:
वन संरक्षण हेतु अंधाधुंध वनों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए, स्थानान्तरित खेती को नियंत्रित करना चाहिए, वन की आग से रक्षा का प्रबंधन करनी चाहिए, वनों की कटाई वाले क्षेत्रों में यथाशीघ्र पुनः वनरोपण करना चाहिए, वनों की उचित देखभाल करनी चाहिए, और वन संरक्षण कानूनों का कड़ाई से पालन कराना चाहिए।

कक्षा 10 विज्ञान पाठ 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन प्रश्न उत्तर


9. बाँध से क्या लाभ होता है?
उत्तर:- बाँध से अनेक लाभ होते हैं। बाँध द्वारा जल संग्रहित कर विद्युत उत्पादन किया जाता है। बड़े बाँधों से नहरों को निकालकर जल की बड़ी मात्रा को दूरस्थ स्थानों तक ले जाया जाता है, जहाँ इनका उपयोग सिंचाई आदि कार्यों के लिए किया जाता है। बाँध निर्माण से बाढ़ और मृदा अपरदन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

10. जल संग्रहण की परंपरागत पद्धतियों के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर:- जल संग्रहण भारत में बहुत पुरानी संकल्पना है। जल संग्रहण की परंपरागत पद्धतियों में राजस्थान के खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र के बंधारस एवं ताल, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बंधिस, बिहार के अहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश के कुल्ह, जम्मू के काँदी क्षेत्र में
तालाब, तमिलनाडु के एरिस, केरल के सुरंगम, कर्नाटक के कट्टा इत्यादि
शामिल हैं जो आज भी उपयोग में हैं।

11. ड्रिप सिंचाई व्यवस्था क्या है?
उत्तर:- ड्रिप सिंचाई एक उन्नत सूक्ष्म सिंचाई तकनीक है जो पानी और पोषक तत्वों को बूंद-बूंद करके, सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचाती है। इस विधि में पानी और पोषक तत्वों का कुशलता पूर्वक समुचित उपयोग हो जाता है और पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है। यह विधि उन क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी है जहाँ पानी की कमी है।

12. भूमिगत जल के किन्हीं दो लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर:- भूमिगत जल के दो लाभ यह है कि
(i) भूमिगत जल पीने योग्य होता है और यह मानव एवं अन्य जीवों के लिए पानी की आवश्यकता को पूरी करता है।
(ii) भूमिगत जल का वर्षा-जल का स्वतः संग्रहण करता है और इसका वाष्पीकरण भी नहीं होता है।

Management of Natural Resources Class 10 Science Chapter 16 Notes


13. जीवाश्म ईंधन क्या होते हैं?
उत्तर:- जीवाश्म ईंधन करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के गहरे सतह में दबे हुए पौधों और पशुओं के अवशेषों द्वारा बने कार्बनिक अणु है। जब भूकंप, भूस्खलन या अन्य कारणों से पौधों और पशुओं के अवशेष पृथ्वी के गहरे सतह में चली जाती है तो वहाँ पर उच्च दाब एवं ऊष्मा के कारण जीवाश्म ईंधन का निर्माण होता है। इसके उदाहरण है – कोयला और पेट्रोलियम।

14. कोयला और पेट्रोलियम के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?
कोयला और पेट्रोलियम दोनों ही के निर्माण में लाखों वर्ष लगे हैं। चूँकि इन संसाधनों का उपयोग इनके निर्माण की अपेक्षा कहीं अधिक तेजी के साथ किया जा रहा है। अतः ये निकट भविष्य में समाप्त हो जाएँगे। इसलिए इनके संरक्षण की आवश्यकता है।

यहाँ पर “प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन” अध्याय के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर समाप्त हुआ। आशा है कि आप इन सभी प्रश्नों को समझ गए होंगे और याद भी कर लिए होंगे। इन्हें अपने नोटबुक में लिखने का प्रयास करें।

अब हम प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे।


कक्षा 10 विज्ञान पाठ 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन प्रश्न उत्तर (Long Answer Type)

In the annual board examination of Science subject, 2 long answer type questions are asked in Chemistry section, in which 1 question may be from the chapter “Management of Natural Resources”. Out of these 2 questions, only 1 question has to be answered and 5 marks are fixed for each of these questions.


कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 16 प्रश्न उत्तर


1. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- पृथ्वी पर पाए जाने वाले वे सभी संसाधन जिनका मानव तथा अन्य जीवों के द्वारा उपयोग किए जाते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। जैसे – जल, मृदा, वन, खनिज, पेट्रोलियम, वन्यजीव आदि। अधिकांश प्राकृतिक संसाधन अनवीकरणीय होते हैं और अब इनके सीमित भंडार ही बचे हैं। इसलिए इनका संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण – प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से तात्पर्य प्राकृतिक संसाधनों को क्षरण और अतिरिक्त दोहन से बचाना है। इसका मतलब है कि इनका उपयोग करते समय यह ध्यान रखा जाए कि इनका भंडार पूरी तरह से समाप्त न हों या उनकी गुणवत्ता कम न हो। यदि इनका उपयोग योजनाबद्ध और विवेकपूर्ण ढंग से किया जाए तो इनका अधिक-से-अधिक लाभ उठाया जा सकता है और इन्हें भविष्य के लिए संरक्षित भी किया जा सकता है।
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन – प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन से तात्पर्य भावी पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग करना और रखरखाव करना है। इसमें संसाधनों के उपयोग की योजना बनाना, उनकी निगरानी करना और उनका प्रबंधन करना शामिल है। प्रबंधन में इस बात को भी सुनिश्चित किया जाता है कि संसाधन का वितरण सभी वर्गों के लोगों में समान रूप से हो, न कि मुट्ठी भर अमीर और शक्तिशाली लोगों को इसका लाभ मिले।

2. वनों की कटाई का वन्य जीवों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- वनों की कटाई का वन्य जीवों पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। उनके लिए आवास, भोजन, पानी आदि की समस्या उत्पन्न होती है। वनों की कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं जिससे वे अलग-थलग पड़ जाते हैं। वनों की कटाई से वन्यजीवों के भोजन और पानी के स्रोत भी खत्म हो जाते हैं। आवास एवं भोजन नहीं मिलने के कारण कई वन्य जीव जीवित नहीं रह पाते, जिससे उनकी आबादी में कमी आ जाती है। इस प्रकार वनों की कटाई कई वन्यजीवों की विलुप्ति का भी कारण बन सकती है। कई बार वन्य जीव आवास और भोजन की खोज में पास के शहरों या गाँवों में पहुँच जाते हैं। इससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ जाता है। वनों की कटाई से जैव विविधता में भी कमी आती है, क्योंकि इससे न केवल पौधे नष्ट होते हैं बल्कि उस वन क्षेत्र के सभी वन्य जीव भी अलग-थलग पड़ जाते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन VVI Question Answer


3. जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर:- जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:
(i) जल के जितने भी स्रोत है उनकी देखभाल करनी चाहिए। नदियों, तालाबों, झरनों, आदि जलाशयों को प्रदूषण से बचाना चाहिए।
(ii) कारखाने के अपशिष्ट को नदियों में बहाने से पहले इन्हें साफ कर लेना चाहिए।
(iii) वर्षा-जल संचयन को बढ़ावा देना चाहिए।
(iv) वर्षा-जल को जमीन के अंदर जमा कर भूमिगत जल का भंडार बढ़ाना चाहिए।
(v) जल हानि कम करने का प्रयास करना चाहिए। जैसे कि नल से पानी निकालने के बाद उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए, नल एवं पाइपों में रिसाव की मरम्मत करनी चाहिए, आदि।
(vi) ड्रिप सिंचाई और फसल चक्रण के द्वारा कृषि में जल के खपत को कम किया जा सकता है।
जल प्रबंधन का अर्थ है, जल का सुनियोजित और विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना इसका वितरण समाज के सभी वर्गों के बीच न्यायपूर्ण तरीके से करना। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:
(i) नहरों का निर्माण कर दूरस्थ क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में जल को पहुँचा जा सकता है।
(ii) वर्षा-जल का संचयन कर इसका उपयोग बागवानी, पशुओं के लिए पानी आदि के लिए किया जा सकता है।
(iii) औद्योगिक, कृषि, और घरेलू अपशिष्ट जल को साफ करके सिंचाई या अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
(iv) यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पानी का उपयोग और वितरण उचित तरीके से किया जा रहा है।

4. वर्षा-जल के संचयन के लाभ का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:- वर्षा-जल के संचयन के अनेक लाभ हैं –
(i) रेगिस्तानों में, पहाड़ियों और ढलानों वाले जगहों पर वर्षा-जल का संचयन स्वच्छ पानी के सस्ते और विश्वसनीय स्रोत के रूप में किया जाता हैं। जब सूखा पड़ता है, तो पिछले महीनों में संग्रहित वर्षा जल का उपयोग किया जाता है।
(ii) वर्षा-जल को जमीन के अंदर जमा करने से भूमिगत जल का भंडार बढ़ता है। इससे जल का वाष्पीकरण समाप्त हो जाता है और दीर्घकालिक भंडारण मिलता है।
(iii) वर्षा-जल का संचयन सूखे की स्थिति से निपटने में मदद करता है।
(iv) वर्षा जल का उपयोग अन्य घरेलू उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि सिंचाई, कपड़े धोने और शौचालय को फ्लश करना, जिससे पानी के बिल में कमी आती है।
(v) वर्षा जल संचयन से मृदा अपरदन में कमी आती है। यह बाढ़ के जोखिम को भी कम करता है।
(vi) वर्षा-जल का संचयन जल संरक्षण में मदद करता है।

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5. ऊर्जा संकट क्या है? इसके समाधान के उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर:- तेजी से बढ़ती जनसंख्या और तकनीकी निर्भरता के कारण ऊर्जा की माँग भी तीव्र गति से बढ़ रही है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत जीवाश्म ईंधन (कोयला और पेट्रोलियम) हैं, जो पृथ्वी पर सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। अत्यधिक दोहन के कारण इनके अब कुछ ही भंडार शेष बचे हैं जो आगामी 200 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। उस स्थिति में, ऊर्जा की माँग और आपूर्ति के बीच असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा। इसे ही ऊर्जा संकट कहा जाता है।
ऊर्जा संकट के समाधान के उपाय निम्नलिखित हैं:
(i) ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करके ऊर्जा की खपत को कम किया जा सकता है।
(ii) ऊर्जा के नए वैकल्पिक स्रोतों की खोज करके ऊर्जा संकट का समाधान किया जा सकता है।
(iii) बायोगैस, सौर, पवन, और जलविद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जा सकती है।
(iv) ऊर्जा के उपयोग को कम करके और ऊर्जा के संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करके ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
(v) ऊर्जा संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, लोगों को ऊर्जा के संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करने और ऊर्जा की बर्बादी को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता हैं।

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